बुधवार, 1 जून 2016

मैं और मेरा कैमरा -wtv initiative

अब तो मैंने खुद ही सीख लिया है सब और हर दिन निखर ही रही हूँ अपने काम में
---wtv वेब पोर्टल की शुरुआत में मुझे विडियो कैमरा या स्टिल कैमरा कोई भी चलाना नहीं आता था -और मेरे साथ जो voluntary पत्रकार या कहें प्रोडक्शन सहयोगी लड़कियां अभी सीख रही थी- एक दिन हमने एक महिला अधिकारी पर motivational documentary बनाने की सोचा और नियत समय हम टाइम फिक्स कर के हम शूटिंग के लिए पहुंचे -हमारी महिलाओं कामगारों का इतना आत्मविश्वास नहीं था कि वह अकेले यह काम कर लें तो मैंने एक चैनेल के विडियोग्राफेर को अपनी मदद के लिए कहा कि वह भी इस सीक्वेंस को parallel शूट कर ले और हमारी कैमरावीमेन को भी गाइड करता रहे - ताकि यदि हमारी फुटेज में कोई गड़बड़ हो तो हम उसकी फुटेज से काम कर लेंगे-तय समय पर हम सब उक्त अधिकारी के पास पहुँच गए अपना सामान ले कर -उस बेटी ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया था और मैं उसकी साक्षी रही थी उसे मैं अपनी बेटी की तरह हौंसला बढाती रही थी -सो वह मुझ से मिल कर बहुत प्रसन्न थी और हमारी एक दुसरे को देख आँखें नम थी -उसने बड़े प्रेम से इंटरव्यू दिया शायद ऐसा किसी को भी न दिया होगा आज तक - तो जी उक्त पुरुष कैमरामैन जी ने हमारी महिला reporter का कैमरा बंद करवा दिया और खुद के कैमरे पर ही सारा शूट कर लिया और उसे कहा की वह सिर्फ observe करती रहे -वहबेचारी शिष्टाचार वश कुछ न कह पाई चूँकि मैं सवालो पर ध्यान दे रही थी तो मैं भी ध्यान नहीं दे पाई कि क्या चल रहा है रिकॉर्डिंग के वक्त- वह हमारी उस युवती को भी कभी गलत सी लुक्स देता रहा कभी उसे काम नहीं आने का हीनता का अहसास करवाता रहा -(उस लड़की ने मुझे बाद में बताया)
काम खत्म कर के हम घर लौटे तो वह बिना फुटेज दिए ही चला गया और कह गया कल आ कर दे जायेगा क्यूंकि कार्ड से लैपटॉप में हार्डडिस्क में फुटेज कॉपी होने में समय लगता है -मैंने उसकी बात पर विश्वास कर लिया पर वो नहीं आया- वो दिन सो आज का दिन वो उस फुटेज सहित गायब है -उसे faceबुक पर इमेल पर ,फोन पर सैंकड़ो बार संपर्क करने कीकोशिश की पर वो भला मानस नहीं आया -बहुत से लोग जो उसे जानते थे या संपर्क में थे उनके मार्फ़त उसे याद करवाया कि फुटेज देदे भाई -पर वो नहीं आया -
पर वह मुझे कई सबक दे गया -अपना काम खुद करो कैसा भी काम है उसे सीखो
किसी पर भरोसा मत करो
अगर कभी किसी से काम करवाना भी हो उसकी बातों पर कोई भरोसा न करें और अपनी फुटेज या फोटो उसी वक्त ले ले चाहे कितनी भी समय की कमी हो -अपना मेमोरी कार्ड खुद ही रखें किसी को न दे
पर उसे नहीं पता कि इस लापरवाही ने मुझे नीचा दिखा दिया -मैं अपनी उस बिटिया अधिकारी के पास दोबारा फुटेज लेने की कह भी नहीं पाई - क्यूंकि जिस शिद्दत से उस वक्त उसने इंटरव्यू दिया था वह बहुत सच्चा था उसके बाद तो उसने मीडिया को सैंकड़ो इंटरव्यू दिए पर वैसा भावुक इंटरव्यू बस मेरे लिए ही था .उस पाजी कैमरामैन को क्या कहूँ कि तुमने सारे कैमरामैनो की इज्ज़त घटा दी मेरी नज़रो में उसकी खुद की साख तो गिरी ही- अरे भले मानस अगर तुझ से गलती से वो फुटेज डिलीट हो गयी थी या तुम ने ऊपर से कुछ और रिकॉर्ड हो गया था -या वो रिकॉर्ड ही नहीं हुआ था तो इस तरह भागने से थोडा न कोई हल निकलता है -एक शब्द" माफ़ी सॉरी "ही बहुत था हम माफ़ करदेते झूठ पर झूठ 6 महीने तक बोलता रहा और अपनी किरकिरी करवाई मूर्ख कहींका -या फिर वो इतना ही चालाक है कि उसने भविष्य के लिए वह फुटेज छुपा ली है-ऐसा चौकस भीनहीं दीखता वो .चलो परमात्मा उसको सद्बुद्धि दे आगे से वह ऐसा न करे किसी के साथ - पता है गैर जिम्मेदार मर्द मुझे बहुत बुरे लगते है उनकी हैसियत मेरी नजर में निल बटा निल-चाहे कितना भी फन्नेखां हो
अब तो मैंने खुद ही सीख लिया है सब और हर दिन निखरही रही हूँ अपने काम में यह मेरा सर चढ़ा शौक है रोटी का जरिया नहीं -कहते हैं शौक जब रोटी हो जाते हैं तो बोझ होजाते हैं सहजता और कलात्मकता दम तोड़ने लगती है -इसलिए यह शौक तक ही ठीक है मुझे कोई भार नहीं ढोना - (क्यूंकि मेरा सरण लाग रह्या है परमात्मा की दया से)

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