वरिष्ठ सामाजिक चिंतक व प्रेरक सुनीता धारीवाल जांगिड के लिखे सरल सहज रोचक- संस्मरण ,सामाजिक उपयोगिता के ,स्त्री विमर्श के लेख व् कवितायेँ - कभी कभी बस कुछ गैर जरूरी बोये बीजों पर से मिट्टी हटा रही हूँ बस इतना कर रही हूँ - हर छुपे हुए- गहरे अंधेरो में पनपनते हुए- आज के दौर में गैर जरूरी रस्मो रिवाजों के बीजों को और एक दूसरे का दलन करने वाली नकारात्मक सोच को पनपने से रोक लेना चाहती हूँ और उस सोच की फसल का नुक्सान कर रही हूँ लिख लिख कर
बुधवार, 27 जुलाई 2016
वास्तु दोष
वास्तु दोष सी होती हैं वह औरतें जो विवाह रस्मो पश्चात दहेज के संदूक में रख लाती हैं चन्द किताबें चन्द सपने अपनी पहचान का जूनून और कुछ तर्क ताउम्र वे घर में वास्तु दोष होती हैं जंजीरें उपाय नामुमकिन सुनीता धारीवाल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें