बुधवार, 22 नवंबर 2017

जिन रातों की नींन्द गवाई उनका हिसाब बाकी है
तेरे हाथों दवा हकीमी मेरा इलाज बाकी है

शनिवार, 4 नवंबर 2017

तेरे तप से है थोड़ी सी आंच मुझ में
तेरी रौशनी से रौशन है मिजाज मेरा

शुक्रवार, 3 नवंबर 2017

बेकरारी

आखों से खुद की बिछड़ने नही देता
नजदीक आता है हद से गुजरने नही देता
दूर से जताता है बेकरारी खुद की
ख्वाहिशों के पंख मेरे उगने नही देता

तुम्हारी खामोशी मुझे अच्छी नही लगती हजारो ख्वाब मरते है जब तुम खामोश होते हो

तुम्हारी खामोशी मुझे अच्छी नही लगती
हजारो ख्वाब मरते है जब तुम खामोश होते हो

कटघरे में

वाह रे नसीब
कटघरे में ले आई
नादानियां मेरी
तुम पर भी यूँ
असर करेंगी
सब  कहानियां मेरी

मातम

तुम न रहोगे
तो मातम रहेगा
बस एक की जगह है
इस दिल में मेरे

रेत

अक्सर बिना कसूर
मेरे हाथों से
रेत की तरह फिसले
कई अवसर
कई मित्र कई रिश्ते
और मैं हक्की बक्की
देखती रह गई
खाली हाथ
खुद को दो थप्पड़ मार लिए
और उन्ही हाथो से ताली बजा ली खुद पर
हर बार ठगे जाने की
बारी मेरी आती है
जिंदगी यूँ मेरा साथ निभाती है

तेरे सिरहाने नींद थी मेरे सिरहाने ख़्वाब

तेरे सिरहाने नींद थी
मेरे सिरहाने ख़्वाब
तेरा दिल दुनियादारी
मेरा दिल जज्बात

बरकत

: सुनो..
बड़ी #बरकत है,तेरे इश्क में,
जब से हुआ है,बढता ही जा रहा है ...

मुझ में मैं कहाँ बची हूँ तेरे बिन भी कहाँ जँची  हूँ


मुझ में मैं कहाँ बची हूँ
तेरे बिन भी कहाँ जँची  हूँ

दो पंक्तियां


तेरी खुशबू का पता करती है
मुझ पर एहसान हवा करती

वो जो मैं थी

ये जो
तुम हो
तुम ही बाक़ी हो मुझ मेँ..
वो जो
मैं थी
वो तो मर गई तुम पर.!

कुछ सफर ऐसे होते है


तुम पास बैठे भी दूर
रहते हो मुझ से कितना
लेकिन मैं जानती हूँ
हर दिन पास आ रहे हो तुम
बस एक दिन होश में न रहना तुम
फिर चल देंगे उन रास्तो पर
जो न कहीं जाते है न पहुँचते है
कुछ सफर ऐसे भी होते है

भूगोल

क्या किया अब तक
बस भूगोल ही जांचा
औरत का
नाप ली एक ही झटके में
एक ही नज़र से
सब आगे पीछे ऊंचाई गहराई
माददा नहीं है तुम्हारा 
उसके दिल और दिमाग की
गहराईयों का उत्खनन करने का
तभी तो तुम्हारा इतिहास अधूरा है
और मेरा सब ज्ञान पूरा है
औरत न जान पाओगे
गर भूगोल में घूमने जाओगे
सुनीता धारीवाल

चले आये क्यों

इतना तो जानती हूँ मैं
मुसाफिर हो
कहाँ रुक पाओगे तुम
यूँ ही किसी मोड़ पर
फिर मिल जाओगे तुम
ठोकरों के हवालों से
भला क्या डर जते हम
इतने भर से ही
कहाँ  डगमगाते हम
हम तो प्यार में भी जख्मी 
सरे आम हुए है
जब जिस संग चाहां
वहां बदनाम हुए है
इतने कमजोर नहीं कि
टूटने के खौफ से चटक जाते
हम तो चूर चूर हो
कर भी बन आये है
जाना ही था तो
चले आये क्यूँ
पाना न था तो
खो आये क्यूँ
खुद से डरते हो
या खुदाई से डरते हो
अँधेरे से डरे हो या
परछाई से डरते हो
हम कुचले भी है
छलनी छलनी हम भी है
ये अलग बात है
तेरे लायक हम नहीं है

बुधवार, 1 नवंबर 2017

मुलाकात

सच मे आप से मुलाकात
जिंदगी से मुलाकात होती है
आपका प्यार से देखना मुझे
सबसे बड़ी सौगात होती है
मैं कहीं भी रहूं कही चल दूँ
बस तुम्हारी बात होती है
तुम्हारे संग गुजरे हर  पल
रूमानी आस होती है
तुम्हे पा कर भी बिरहा की
तड़प और प्यास होती है

तू जिंदगी सा लगता है

ए दोस्त
तू मुझे जिंदगी सा लगता है
तेरे मन  का है नूर
जो मेरे चेहरे पर झलकता है
तेरी बातों  में
तेरे  जीवन का तप झलकता है
तेरी नजर ए इनायत से
रोम रोम मेरा महकता है
तेरी आँखों मे सच्चाई
तेरा ईमान चमकता है
इश्किया रूह के कारण  
तेरा चेहरा दमकता है
मुझ से कोई पूछ कर देखे
तू मुझको कितना जंचता है
मैं तेरी हो नही सकती
तू मेरा हो तो सकता है
तू है तो मन मे मेरे
असंख्य  दीपों का  उजाला  है
शक्ति  मेरे भीतर है
प्रेम मेरी ज्वाला है
कोई पूछे  कैसे मैने
अपना यह दिल सम्भाला है