शुक्रवार, 11 मई 2018

मुँडेर लापता है
उसी कुएं की
जो बरसो भरा था
पर अब करता है
सायं सायं
जब  भी कभी
जाती हूँ रस्सी ले
और ले बाल्टी
ढूंढती हूँ चक्का
नहीं मिलता
और गले लगाती है
भयावहता और सुखी गहराई

मंगलवार, 8 मई 2018

Wtv song

हम हैं wtv team india

सपनो को पंख लगाऐंगीं
सबला ताकत बन जाऐंगी

नारी मन खोल दिखाऐंगी
अपनी आवाज सुनाऐंगी

अनसुनी सदाऐं औरत की
दुनिया को सच दिखलाऐंगी

कोई पीड़ा में हों या क्रन्दन में
सबका कन्धा बन जाऐंगी

आत्मबल से  और मेहनत से
ख्वाबो को सच कर पाऐंगी

आपके विश्वास की पूंजी सें
दुनिया भर में छा जाऐंगी

हम हैं wtv team india

बुधवार, 2 मई 2018

सुनो रंगरेज मेरे

सुनो तुम
रंगरेज मेरे
मेरे उलझे पुलझे
बेरंग से धागे
रंग दो न
अपने रंग में
मैं सतरंगी सपनो में
ढूंढना चाहती हूं
खुद को
मटमैले धागों को
कुछ पल के लिए
रंगना चाहती हूं
तुम्हारे खौलते रंग घोल  से
चाहती हूं फिर सूखना
तुम्हारे तन की आंच पर
फिर बनना है मुझको
तुम्हारी पगड़ी
इतराना मुझ पर
बनूँ मैं तुम्हारी
मां का आँचल
तुम  छुप जाना
मुझ में जब चाहो
तुम्हारा मैं
झूला बनूं
गहरी निंदिया
आए तुम्हे
तेरे बंदनवार की
झालर बनूँ
बाजूं रुनक झुनक
तेरे दर पर 
मैं बनूं कोई
छतरी रंगीन
बरखा से तुझको
ओट करूँ
मैं बनूं शामयिना
तेरे उत्सव का
कड़ी धूप में तेरी
छांव बनू 
मैं बनू गमछा
तेरे कांधे का
लूँ सोख जल
तेरे तप श्रम का
जब उम्र चुके
और रंग ढले
पायदान बनूँ
तेरे घर का
तेरे चरणों मे
मेरा सूत मिटे
बस अंत समय
हो जाऊं माटी
तेरी देहरी की
तेरे आँगन की
ओ रंगरेज
सुनो तुम
रंग दो न
मेरे उलझे से
मटमैले घागे
रंग दो न
अपने रंग में
बदरंग सी मैं
उलझी पुलझी हूँ
लकीरो में आड़ी टेड़ी
तुम सुलझा दो
और रंग दो न
@SD