गुरुवार, 17 मार्च 2022

सी डैक मोहाली ने मनाया महिला दिवस -लैंगिक भेदभाव पर हुई चर्चा

अंतरष्ट्रीय महिला दिवस के सप्ताह पूर्व से सप्ताह पश्चात तक आयोजनों का सिलसिला अभी थमा नही है बीते  9 मार्च को भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकस सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय  द्वारा संचालित प्रगत संगणन विकास केंद्र मोहाली (सी डैक)  द्वारा महिला दिवस मनाते हुए  महिला अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए विशेष चिंतन व जागरुकता स्त्र  का  आयोजन किया गया ।जिस में वरिष्ठ समाजिक चिंतक व प्रोत्साहक श्रीमती सुनीता धारीवाल ने मुख्य अतिथि के रूप में उपस्तिथ हुई।कार्यक्रम के आरंभ में सी डैक मोहाली के कार्यकारी निदेशक डॉ प्रवीण कुमार खोसला ने सभी को महिला दिवस की बधाई दी और कहा कि आज हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है ।और अब तो शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा हो जहां महिलाओं ने अपना दमखम नही दिखाया है ।प्रवीण खोसला ने एक और महत्वपूर्ण बात कही कि  उच्च प्रशासनिक स्तर के निर्णयों में महिला अधिकारी  हमें  उस दृष्टिकोण से परिचित करवाती हैं जिस के बारे में अधिकतर पुरुष या तो अनभिज्ञ होते हैं या अधिक मान्यता नही देते हैं । निर्णय लेने की भूमिका में महिला अधिकारियोँ की भागीदारी फैसलों को अधिक मानवीय बनाती है ।
भारत मे  इलेक्ट्रॉनिक्स ,सूचना प्रद्योगिकी एवं विज्ञान के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की सँख्या उत्साहजनक है ।उन्होंने मुख्य अतिथि  श्रीमती सुनीता धारीवाल का औपचरिक अभिनन्दन कर वक्तव्य के लिए आमंत्रित किया ।
सुनीता धारीवाल ने अपने वक्तव्य में कहा भारतीय महिलाओं ने तमाम विश्व की महिलाओं की तुलना बहुत कम समय में समाज मे अपनी जगह बनाई है ।आज का दौर महिलाओं के लिए उत्सव का दौर है जिस में हम चारों तरफ महिलाओं की उप्लब्धियों का जश्न मनाते हुए आगे बढ़ रहे हैं ।परंतु महिलाओं के सामने आज भी चुनौतियां है समाज की अनेक तहों में अनेक प्रकार की समस्याओं से आज भी महिलाएं जूझ रही है ।शिक्षा और स्वास्थ्य अभी भी अपने लक्ष्य नही छू पाया है ।महिलाओं के प्रति समाज की मानसिकता में परिवर्तन तो आया है पर एक वर्ग तक ही सीमित है जिस में शिक्षा के कारण सोच बदली है  महिलाओं के प्रति सदियों से चली आ रही धारणाओं में बदलाव जरूर आया है महिलाओं की स्वीकार्यता भी  बढ़ी है । गैंगरेप ,घरेलूं हिंसा ,यौन उत्पीड़न ,मानव तस्करी के  मामलों में ज्यादा कमी नजर नही आती है ।
महिलाओं को अवसर देने के लिए अनुकूल सामाजिक माहौल बनाने की भी जरूरत होती है।यह सबकी सामाजिक जिम्मेदारी है ।और हर किसी को जागरुक होने की जरूरत होगी ।आर्थिक और राजनैतिक नेतृत्व की दिशा में अभी अनेक खाइयों को लांघना बाकी है ।
कार्यक्रम में सी डैक की महिला अधिकारी उपस्थित रहीं और उन्होंने ने भी अपने विचार साँझे किये ।

शुक्रवार, 11 मार्च 2022

अंकित धारीवाल मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा  महिलाओं को डिजिटल दुनिया से जोड़ने और उन्हें सूचना एवं प्रसारण के क्षेत्र में सबल बनाने हेतु चलाई जा रही वीमेन टीवी इंडिया नेटवर्क परियोजना के बैनर तले  स्नातकोत्तर महिला  राजकीय महाविद्यालय सेक्टर 11 चंडीगढ ,राजकीय स्नातक शिक्षा महाविद्यालय सेक्टर 20 चंडीगढ़ ,एवम यूनिवर्सिटी कालेज चुन्नी कलां ,फतेहगढ़ साहिब पंजाब के सहयोग से अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय परिचर्चा का ऑनलाइन आयोजन किया गया जिस में लैंगिक समानता की जरूरत विषय पर अनुभवी वक्ताओं ने अपने विचार सांझा किये  ।इस कार्यक्रम में हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजबीर देसवाल आईपीएस ने मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए एवम वरिष्ठ शिक्षविद प्रोफेसर डॉ अनिता कौशल विशिष्ठ अतिथि के तौर पर शामिल हुई और प्रतिभगियों का हौंसला बढ़ाया ।कार्यक्रम की शुरुआत में वीमेन टीवी इंडिया वेब पोर्टल की एडिटर मीनाक्षी चौधरी ने वीमेन टीवी  परियोजना के उद्देश्यों के  बारे में बताया । अंकित धारीवाल मेमोरियल ट्रस्ट की अध्यक्षा विभाति पढियारी ने मुख्य अतिथि ,विशिष्ठ अतिथी , प्रतिभगियों ,वक्ताओं,सहयोगी शिक्षण संस्थानों  और श्रोताओं का  औपचारिक अभिनन्दन किया और ट्रस्ट द्वारा चलाई जा रही परियोजनाओं के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि "मंगला"  किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम, "बाल सखा "बाल यौन उत्पीड़न की रोकथाम के प्रति जागरुक्ता कार्यक्रम , " वर्कप्लेस यूफोरिया "कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए जागरुकता एवम  शिकायत निवारण समितियों के गठन और क्षमता वर्धन हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम ,और वीमेन टीवी इंडिया नेटवर्क परियोजना के अंतर्गत महिलाओ को डिजिटल दुनिया से जोड़ कर उन्हें डिजिटल शिक्षित किया जा रहा है व उनकी क्षमताओं को प्रशिक्षण द्वारा बढ़ाया जा रहा है ।यह डिजिटल स्थान महिलाओं को अपनी आवाज उठाने और प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर देता है जिसका उद्देश्य सही और जिम्मेदार  सूचना का प्रसारण करना है ।
इसके बाद कार्यक्रम के संचालन की बागडोर वीमेन टीवी इंडिया नेटवर्क से जुड़ी प्रतिभशाली काउंसलर विनीत दुआ ने संभाली और परिचर्चा का बड़ी खूबसूरती और प्रभावशाली ढंग से संचालन किया ।
सबसे पहले हैदराबाद निवासी कॉर्पोरेट ट्रेनर प्रेमसाई समन्त्राय ने अपने विचार रखे और बताया कि आने वाला समाज लिंग भेद को खत्म कर समानता पर लाना है तो हमें उसकी तैयारी करनी होगी ।स्त्री पुरुष व मिश्रित व अलिंगी नागरिकों के लिए किस तरह  से नए शब्दों को गढ़ने की जरूरत होगी और किस तरह नई भौतिक सुविधाओं की जरूरत पड़ेगी ।हमे धीरे धीरे इन सब में भी परिवर्तन लाने होंगे ।
इसके बाद सुप्रसिद्ध लेखक ,प्रबन्धन विशेषज्ञ  कर्नल 
दलजीत चीमा ने अपने विचार रखे ।

अगली वक्ता वरिष्ठ पत्रकार रेणु सूद सिन्हा ने अपने विचार रखते हुए  कहा कि 

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर डॉ अनिता कौशल ने अपने संबोधन में अभिव्यक्त किया कि 

 इसके बाद परिचर्चा का दौर शुरू हुआ जिसे विनीत दुआ ने सहयोगी कालेज की एन एस एस इंचार्ज प्रोफेसर  ने भाग लिया ।एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रवनीत चावला  ,यूनिवर्सिटी कालेज की एन एस एस इंचार्ज असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ गीत लांबा और वीमेन टीवी इंडिया की निदेशक पूर्व प्रोफेसर  रजनी भल्ला ने भी परिचर्चा में भाग ले कर चर्चा को सार्थकता प्रदान की ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  पुलिस प्रशासनिक अधिकारी   राजबीर देसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि ...
लगभग दो घण्टे चले इस कार्यक्रम में  मुख्य अतिथि राजबीर देसवाल ने चर्चा में सक्रियता बनाये रखी और सभी को ध्यान से सुना और त्वरित  टिप्पणी से कार्यक्रम को जीवंत बनाये रखा ।
इस कार्यक्रम के आयोजन में पी जी जी जी सी सेक्टर 11 चंडीगढ की जेंडर कमेटी की इन्चार्ज डॉ कमल प्रीत ने भी लगातार  सहयोग दिया ।और छात्राओं को इस आयोजन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया ।
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए वीमेन टीवी से जुड़ी सदस्य महिलाओं ने सहयोग किया और कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज करवाई ।तीनो सहयोगी कालेज के छात्रों के अतिरिक्त वीमेन टीवी टीम के सदस्य डॉ मंजू अरोड़ा ,जसपाल कौर ,शशि कालिया ,नंदिनी , अस्तिन्दर कौर ,स्नेह विज ,उर्मिल बजाज ,एवम अन्य सदस्यों ने भाग लिया ।

शनिवार, 29 जनवरी 2022

पंजाब प्रदेश की लोक गायिका श्रीमती गुरमीत बावा को मरणोपरांत पदम श्री से नवाजा गया है गुरमीत बावा को लम्बी हेक की मलिका के रूप में प्रसिद्धि मिली







भारत के पंजाब प्रदेश की लोक गायिका श्रीमती गुरमीत बावा को मरणोपरांत पदम श्री से नवाजा गया है गुरमीत बावा को लम्बी हेक की मलिका के रूप में प्रसिद्धि मिली ।वे लगभग 45 सेकंड तक लम्बा आलाप ले कर अपने गायन की शुरुआत करती थी उनका यही अंदाज उन्हें अपने समकालीन गायकों से अलग करता था । उनका ठेठ देसी पंजाबी लहजा और पारम्परिक अंदाज में गायकी ने लोगों को दशकों तक दीवाना बनाये रखा ।
गुरमीत बावा दूरदर्शन पर गाने वाली पहली गायिका बनी थी । जब गुरमीत बावा की मां का देहांत हुआ तब वे मात्र 2 वर्ष की थी पढ़ाई लिखाई के संकल्प ने उन्हें उस क्षेत्र की पहली टीचर होने का गौरव दिलाया ।जब लड़कियों की स्कूली शिक्षा प्रचलन ने नही तब गुरमीत ने जूनियर बेसिक टीचर की पढ़ाई कर ली थी ।
वे शौकिया गाती थी और बाद में व्यवसायिक गायिका बनी ।वे  तुम्बी  ,चिमटा ढोलकी , अल्गोजा जैसे पारंपरिक वाद्यों से संगत कर गाती थी ।उनके इस लोक रंग में  गाने के अंदाज ने न केवल लोक साजों को अंतरराष्ट्रीय मिली बल्कि भारतीय महिलाओं को भी पहचान मिली ।रूस ,लीबिया ,बैंकाक,थाईलैंड ,जापान सहित अनेक देशों में उन्होंने लोक गीत गाये और भारत की  लोक संस्कृति का प्रतिनिधित्व किया ।
उन्हें पूर्व में पंजाब सरकार  राज्य पुरस्कार ,शिरोमणि गायिका ,संगीत नाटक अकादमी द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है इस बार पदम् श्री पुरस्कार दिया गया है ।
फरवरी 18 1944 में गुरमीत बावा का जन्म अविभाजित भारत के गांव कोठे जिला गुरदासपुर में हुआ था  पिछले वर्ष 21 नवम्बर 2021  को अमृतसर में देहांत हुआ । बीते दिनों उनके परिवार के सदस्यों ने सरकार द्वारा गुरमीत बावा की अनदेखी की बात सोशल मीडिया साक्षात्कारों में भी उठाई थी और पदम् श्री दिए जाने की मांग की थी । उन्हें  रोष  था ऐसी कलाकार जिस ने सारी उम्र लोक विरासत को सहेजने और सवांरने में लगाई हो सरकार द्वारा उन्हें  पदम् पुरस्कारों लायक नही समझा गया ।
पर अब जब उन्हें यह पुरस्कार दिया जाना है तो वह इस दुनिया मे नही हैं ।
 गुरमीत बावा को बधाई वे जहां है वहां तक यह सलाम पँहुचे ।

शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

भारत मे अवैध संबंध के कारण तलाक इतने नही हुए होंगे जितनी हत्याएं और आत्म हत्याएं होती है ।क्यों लोग भटक जाते हैं क्यों पनप जाते है अवैध रिश्ते और क्या होता है असर कैसे समझें इस समस्या को ?


 महिलाओं के एक स्थानीय क्लब ने अभी कुछ रोज पहले मुझे अपनी वार्षिक बैठक की अध्यक्षता करने के लिए बुलाया।बढ़िया कार्यक्रम था मेरा बहुत मान सम्मान किया - हर बार की तरह अपने उद्बोधन में मैंने महिलाओं से कहा कि कोई ऐसी बात जो आप किसी से न कह पाई हों आप मुझ से निसंकोच अकेले में कह सकती हैं।हो सकता है मैं आपकी  समस्या का कोई हल बता पाऊं और अधिक से अधिक यह होगा कि आपका मन हल्का होगा और गोपनीयता भी बनी रहेगी ।
कोई भी स्त्री मेरे पास नही आई सब बोली कि वे खुश हैं उन्हें कोई समस्या नही है चलो जी कार्यक्रम खत्म हुआ और सब चल दी मैं अपनी गाड़ी की तरफ गई और गाड़ी में बैठने लगी तो पीछे से आवाज आई दीदी रुको एक मिनट ।मैंने गाड़ी का शीशा खोला और उसकी तरफ देखा उस ने अपनी शॉल उतार दी और बोली दीदी मुझे ध्यान से देखो वह घूम गई । दीदी मुझे  सर से पांव तक देखो और मुझ में बताओ मुझ में क्या कमी है मैं एम ए पास हूँ दो बेटे हैं मेरे ।लम्बे बाल है मेरे रंग भी गोरा है आप बताओ मुझ में कमी क्या है ।मेरे लिए प्रश्न अप्रत्याशित था ।मैने कहा तुम तो बहुत सुंदर हो शुशील हो ।उस ने मेरी बात सुनते ही कहा -अच्छा दीदी आप बताओ कि यदि मैं सुंदर भी हूँ सब ठीक ठाक भी है तो मेरा पति दूसरी औरत के पास क्यों जाता है अब उसकी आवाज में कम्पन था गला रुंध गया उसका और बताने लगी कि मैं बड़े व्यापारिक परिवार से आई हूं दान दहेज सब बढ़ चढ़ कर लाई थी बिल्कुल स्वस्थ हूँ  मैं पर उसको नही रोक पाई हूँ।मेरी बुध्दि अब काम ही नही करती ।इस सवाल का कोई छोटा सा जवाब नही बनता था ।मैं उसे इतना कह पाई कि धैर्य रखो और अगला शब्द यह निकला कि तुम सर्वक्षेष्ठ यह तुम्हे पता है पर तुम ने खुद को वही मान लिया जो तुम्हारा मनोबल गिराने के लिये तुम से कहा गया है ।वह सब आज से डिलीट खुद को देखना शुरू वह तुम्हे देखेगा ।और अगली मुलाकात का वादा कर मैं चली आई क्योंकि  हमारी वजहँ से  ट्रैफिक रुक रहा था  बाकी महिलाओ ने भी अपनी गाड़ियां निकालनी थी ।उस दिन मैने उस औरत की आखो में तिरस्कार कर दिए जाने बाद रूह में बस जाने वाली  गजब की पीड़ा का एहसास किया ।रास्ते भर सोचती आई थी कि मुश्किल बहुत है रिजेक्शन को बर्दाश्त करना कि तुम मेरे लायक नही हो ।आज फिर नया केस आया तो सोचा इस पर भी लिखा  ही जाए ।
आये दिन हम ऐसे अनेक लेख आलेख  पढ़ते है  वीडियो देखते है पॉडकास्ट  सुनते है विवाहेतर सम्बन्ध क्या है ?  क्यों है ? पति को कैसे वश में रखें ? कैसे पति को रिझायें ?  कैसे कपड़े पहनें ? क्या रात को करें ? क्या दिन में करें? बिस्तर पर क्या व्यवहार करें ? क्या करें कि पति आपकी ओर आकर्षित ही रहे ?  आप ऐसा करें ? या  आप वैसा करें ऐसे कितने ही ऐसे लेख हम सब के सामने अक्सर आते रहते  है ।कभी हम पढ़ लेते है कभी नजर अंदाज करते हैं किसी का टाइटल इतना आकर्षक होता है लेख के  भीतर कुछ भी नही ।ऐसे लेख छप इस लिए रहें है कि समाज मे यह समस्या तो है  जिस पर बात की ही नही जाती है आपसी सम्बन्धो में  अनेक ऐसे मामले हैं जो थोड़ी सी समझदारी से हल किये जा सकते थे ।पर समय रहते उस विषय पर समझ पैदा करने वाला कोई नही था । किसी अच्छे काउंसलर  की सलाह लेना मंहगा भी है और सब की पंहुच में भी नही है । समस्या जिन्हें है वह उन से बात कर रहे होते हैं जो उनके आस पास उपलब्ध है जरूरी नही कि समस्या सुनने वाले मित्र या परिजन इतने परिपक्व या अनुभवी हों कि कोई राय दे सकें ।अक्सर हल निकल नही पाया । 

   मैं भी  इस विषय पर अपना  दृष्टिकोण सांझा करूँ ।
विवाहेतर सम्बन्ध का अर्थ है विवाह के बाद किसी अन्य स्त्री या पुरुष से बनाये गए सम्बन्ध और अधिकतर इसका आशय  अन्य स्त्री या पुरुष से बनाये गए शारीरिक संबंधों के संदर्भ में ही लिया जाता है ।
आज हम इस विषय पर  विस्तार से चर्चा कर लेते हैं समझने की कोशिश करते है ।सब से पहले हम सब को यह जानना है मनुष्य की मानव की हम इंसानो की प्रकृति क्या है ? दरअसल मनुष्य जैविक रूप से ही किसी एक साथी के साथ रहने के लिए बना ही नही है मनुष्य अपने जीवन मे अनेकानेक स्त्री पुरषों सम लिंगियों उभय लिंगियों से सम्बन्ध बनाता है ।आप यदि प्रकृति को करीब से समझे तो पूरी सृष्टि में केवल पक्षी ही हैं जो 90 प्रतिशत एक साथी संग रहते जीते और मरते हैं स्तनपायी जीवों में यह व्यवहार नही मिलता है  6500 स्तनपायी जीवों की प्रजातियों में खुले सम्बन्ध ही होते है ।मनुष्य के जैविक इतिहास में मनुष्य एक साथी रखने वाला प्राणी नही है । यह उसकी प्रकृति ही नही है ।विकास के क्रम में मनुष्यो ने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अन्य जीवों पर अपनी सत्ता बनाने और बनाए रखने के लिए  समाज बनाया । एकल की ताकत और झुंड की ताकत में फर्क होता है और सत्ता जैविक है जो बलशाली है वही जीवित है । मनुष्यो का एक झुंड समूहिक नियंत्रण में रह कर अपना सार्थक  विकास करता रहे इसके लिए समाज ने नियंत्रण के नियम बनाये और लागू किये ।सब कबीलों के अपने नियम कायदे कानून ।यौन व्यवहार पर नियंत्रण के लिए भी कानून बनाये ।हर कबीले के लोगो का यौनिक व्यवहार और उसके नियम अलग अलग मिलेंगे ।कहीं पर किसी तरह के व्यवहार को मान्यता मिली हुई होगी ।कहीं पर वर्जित होगा ।एक बात तय है कि हर नियम कबीले के ताकतवर के पलड़े में झुका हुआ मिलेगा ।बहु पति व्यवस्था ,बहु पत्नी व्यवस्था ,रिश्ते नातों में भी किस किस से सम्बन्ध जायज किस से नाजायज कहलाये जाएंगे सब समाज की देन है ।प्रकृति को तो अपना च्रक निर्बाध चलाने के लिए एक नर और एक मादा की ही जरूरत है और उनके बीच दैहिक संबंध बनवाने के लिए दिमाग मे रसायन के स्त्राव का प्रबंध भी दे कर भेजा गया है जिस दौरान वह रसायन रिसता है तो बुध्दि जड़ रहती है ।प्रकृति का एक मात्र लक्ष्य है प्रजनन वह उस व्यवस्था में आज तक खरी है ।
चलिए आगे बढ़ते हैं अब आते है विवाह पर ।यौन व्यवहार पर  नियंत्रण और प्रजनन सुनिशिचत हो सके और इस से होने वाली संतान की भरण पोषण की जिम्मेदारी किसी के कंधे पर डालने के लिए विवाह की व्यवस्था का निर्माण हुआ ।इसी जिम्मेदारी के निर्वहन हेतु पितृ सत्ता और मातृ सत्ता व्यवस्था का  निर्माण हुआ ।अगर सारी पूंजी सम्पति साधन संसाधन का मालिकाना हक स्त्री के पास हो तो उस कबीले में हर बच्चे के भरण पोषण की जिम्मेदारी स्त्री की ।और यदि बच्चों का भरण पोषण पुरुष की जिम्मेदारी तो सारा धन साधन संसाधन पर अधिकार पुरुष का ।
सत्ता या व्यवस्था कोई भी सब के केंद्र में रहा बच्चों का भरण पोषण ।यदि सन्तान न हुई यदि सन्तान न बची तो सब खत्म ।इतिहास कथा कहानी सभ्यता सब खत्म 
। प्रजनन करना है नई  पीढ़ी को बनाना भी है  बचाना भी  है । विकास के क्रम में ही ईश्वर की अवधरणा पुख्ता हुई धर्म आस्था यह सब निर्माण हुआ और इंसान को केवल और केवल  ईश्वर से डर लगा  क्योंकि उस की नजर उस से ज्यादा ताकतवर वही था । और समाज ने इसी कमजोरी को पकड़ते हुए विवाह के नियम में  ईश्वर को साक्षी रख लिया ताकि यह व्यवस्था बनी रहे और यौनिक नियंत्रण सधा रहे इस नियंत्रण को साधने से अनेक उत्पात नियंत्रण में आ गए ।बहुत कुछ सध गया ।यह अकाट्य फार्मूला सिद्ध हुआ जो प्राकृतिक रूप से स्वतन्त्र जीव पर नकेल कसने में कामयाब हुआ और परिवार कुटुम महत्वपूर्ण बन गए ।समाज मे आश्चर्यजनक नियंत्रित सामाजिक  व्यवस्था बन गई और कबीले संस्कृतियां फलने फूलने लगी ।अपवाद में जो भी घटित होता गया उसी के अनुसार नियम बनते चले गए ।
अब 2022 है विश्व भर  के मानव  कबीले  इतना लंबा कई सौ  हजारो वर्षो का सफर कर चुके है ।गगन चुम्बी इमारतों के  भौतिक विकास से होते हुए मंगल पर जाने के वाहन भी बन गए और चले भी गए ।ये अलग बात है कि हमारा चन्द्रयान तो भटक कर  किसी खड्डे में पड़ गया और हमें कभी कोई  नासा  पड़ोसी बताता है कभी कोई बताता है कि जी आपका बालक यहां देखा है कोई कहता है वहां है पर हमारा वाहन न मिला ।अब तो हम नया बनाएंगे तमाम दुनिया मे सब से  सस्ते में  बनायेनंगे और इस बार  रास्ते पर ज्यादा नजर रखेंगे हम और इस बार तो  यात्रा का उद्घटान तो बिल्कुल  नही करवाएंगे किसी से भी चाहे प्रधन्मन्त्री ही क्यों न हो ) 
जिस विषय पर लेख चल रहा  है वह भी चंद्रयान की तरह भटक सकता है तो चलो पुनः लौटते है विवाहेत्तर सम्बन्धो की ओर । हम वर्तमान संदर्भ में इस लेख को आगे बढाते हैं ।


भारत मे समाज अब तेजी से बदल रहा है खास तौर पर वैवाहिक मान्यताएं और सामाजिक व्यवस्थाएं बदल रही हैं आज से मात्र दस वर्ष पूर्व भी अधिकतर भारतीयों ने "ओपन मैरिज" नामक चिड़िया का नाम भी नही सुना होगा .पर आज प्रचलन में है विवाहित स्त्री पुरुष आपस मे भी सम्बन्ध बना लें और पति अपनी मर्जी से पति अपनी मर्जी से  चाहे कहीं भी सम्बन्ध बना लें पर साथ साथ बने भी रहें ।यह बात मैं अपनी सास को बता दूं तो उसको तो पसीने आ जाएंगे ।वे हक्की बक्की रह जाएगी मुँह खुला का खुला रह जायेगा ।कहेगी हे राम पढ़ाई लिखाई इसे इसे काम सिखावे या तो कोई काम की पढ़ाई ना हुई ।
अब मैं उन वैवाहिक जोड़ो की ओर मुखातिब होती हूँ जो केवल विवाह हेतर सम्बन्धो के कारण  तलाक की दहलीज पर खड़े  है । और अबोध  बच्चे न उस घर के   अंदर हैं न बाहर न ही उन्हें दहलीज का ही पता है ।
हालांकि तलाक के मामलों में केवल विवाह हेतर संबध ही एक अकेला कारण नही है आपसी हिंसा ,कमाई का न होना , व्यसन  ,व्याधि,  सन्तान का न होना ,सेक्स का न होना एवं  अन्य भी  छोटे बड़े  कारण है  जो दो विवाहितो को अलग करते हैं ।

लोग विवाह के बाद भी दूसरे के प्रति आकर्षित क्यों हो जाते हैं ? 
मनुष्य स्वभाव और प्रकृति से एक साथी से सम्बन्ध रखने वाला प्राणी नही है ।वह बार बार आकर्षित होगा बस उसे फुरसत और इसके लिए  उचित परिस्थितियां मिलेंगी तो यह प्रयोग कर ही लेगा ।कभी नही चूकेगा ।(अपवाद यहां भी हैं )
व्यक्ति हर उस चीज की ओर आकर्षित होता है जो उसकी पंहुच से बाहर हो और अगर कभी उस से पंहुच से बाहर की चीज स्वयं चल कर आ जाए तो पौ बारह है ही  । किसी नए साथी से मिलने वाली अटेंशन में रोमांच है यह नितांत नया अनुभव होगा ।नई नजदीकी नई गन्ध का अनुभव होगा दिमाग मे एंडोर्फिन लेवल बढेगा और वही नशा बार बार ट्रिगर करेगा । आनन्द की अनुभूति तो  होती ही  है ।आप को कोई चाहने लगता है तो स्वयं पर विश्वास बढ़ने लगता है ।यह तो अपेक्षित ही है कि अगर किसी नए व्यक्ति के संपर्क में  आ जाये और यदि  वह व्यक्ति  उस का प्रसंशक भी  है तो वह प्रतिदिन या दिन में बीस बार प्रसशा के शब्द सुनने की लज्जत हासिल करेगा  ।  प्रसंशा से प्रसन्नता अतीव होगी ।आप डिमांड में हो यह भी भावना को बल मिलेगा ।
हम सब मनुष्य  सदैव दुसरो के गुणों से,  उनकी योग्यता से, उनकी लुक्स से , उपलब्धियों से ,ताकत से , प्रतिष्ठा से ,बुद्धि से ,अनुभव से  प्रभावित होते ही रहते है  और तो क्या ही कहें हम  मनुष्य तो किसी की एक छोटी सी अदा पर पर आकर्षित हो सकते है आकर्षण नितांत सहज और  जैविक है  आकर्षण के बाद का निकट सानिध्य और सहवास  बुध्दि की ही उपज है ।आकर्षण से हासिल हुई नजदीकी से बुध्दि संभावना खोजने निकल लेगी कि यहां पर इस से इतर भी कुछ अनुभव की गुंजाइश हो सकती है ।इस स्तर पर पुरुष की आतुरता तो देखते ही बनती है (कुछ  पुरषों को अपवाद में भी रख लेना चाहिए जिनकी बुद्धि में ब्रेक भी होते हैं  )
हम सब मे कोई न कोई  गुण प्रसंशनीय होता है किसी मे कोई गुण है किसी मे कोई  ।तो हमें वही व्यक्ति आकर्षक लगेंगे जैसे की हमें खोज होती है ।और यह खोज अवचेतन में होती है ।इसलिए आकर्षण कटघरे में नही पर उस के आगे कितना नियंत्रण किया गया ,या नियंत्रण सोचा नही गया वह कृत्य  कटघरे में लाएगा ।

और आप को याद करवा दूँ पितृ सत्ता समाज मे आज भी यह विचार उतना ही पुख्ता है आकर्षित हो कर आने वाली स्त्री के साथ बिना सहवास किये जाने देंने का मतलब मर्दानगी पर लानत है इसलिए वह उस स्तिथि तक लाने के लिए प्रपंच रच लेता है ।फर्क अब इतना आया है समाज मे।  कि अब यही सोच स्त्रियों के पास भी ट्रांसफर हो गई है कि यदि आकर्षित हो कर  कोई पुरुष आ ही गया था तो बिना कपड़े उतरवाए जाने कैसे दिया । इसलिए बराबरी दोनो तरफ हो रही है और आगे आगे और भी बदल जायेगा ।और अब तो इस तरह का ट्रैप लगाना  व्यवसाय बन गया है ।हालांकि यह फंदे यानी ट्रैप भी सदियों पुराने है पर कारगार आज भी हैं ।अंततः हनी ट्रैप का शहद बाद में कड़वे ही निकलेंगे ।
किसी पर टपक जाए उस को ले बैठेंगे चाहे विवाह हो,परिवार हो व्यापार हो या सत्ता ।
इसी आकषर्ण को बनाये रखने के लिये तो श्रृंगार ,वेश भूषा ,सुगन्धों का ईजाद हुआ यह न होता तो आज भी बिना पत्तों के या सब एक जैसे पत्तों से लिपटे  बालों की जटाएं बढाये हुए यूँ ही घूम रहे होते ।ये शिनैल नाम के पर्फ्यूम की खोज हुई ही न होती ।
सदा आकर्षक बने रहने के लिए इतना बड़ा बाजार है सदियो से  बाकायदा प्रशिक्षण दिया जाता रहा है कि कैसे सदा आकर्षक रहें ।जो इधर उधर साइटों पर आप लेख आप पढ़ते हो ना कि पति को  या पत्नी को कैसे काबू में रखा जाए वह यही अदाएं ही  सिखाते है ।यह नीम हकीम खतरा ए जान है क्योंकि हर मनुष्य अलग है अलग संस्कृति मूल्यों में बड़ा होता है इसलिए इस लेखों और वीडियो में बताए जा रहे  पति को न्यूड हो कर सरप्राइज देने का उपाय यहां नही चलता बल्कि उल्टे  दो थप्पड़ पड़ सकते हैं ।
हमारे पूर्वजो को   इस आकर्षण के सिद्धान्त का पता था इसलिए वह चरित्र निर्माण पर बल देते थे यानी स्व  नियंत्रण पर बल देते थे ।ताकि मैन मेड या वीमेन मेड विपदाओं से बचा जा सके ।
आगे बढ़ते हैं 
रिश्ते में विश्वास घात होता है तो क्या होता है ?

जिस समाज मे काम काम जो छुप कर किया जाए वह उस समाज अनुरूप  निसन्देह गलत है ।गलत को तो उ छुपाने के झूठ बोला जाएगा ।और झूठ को स्थापित करने के लिए झूठ बार बार बोला जाएगा ।झूठ पकड़ा भी जाएगा ।आपसी बातचीत में तल्खी आएगी ।आपसी  कड़वाहट,शारीरिक व शब्दिक  हिंसा ,आरोप प्रत्यारोप होगा एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया जाएगा ।असुरक्षा होगी ।अवसाद ,ग्लानि ,सब चले जायेंगे ।मानसिक पीड़ा होगी ।ठुकरा दिए जाने का एहसास बहुत पीड़ा दायक होगा ।क्रोध होगा बच्चों पर यह क्रोध उड़ेल दिया जाएगा ।अहं को चोट पंहुचेगी ।स्वाभिमान गिर जाएगा । असुरक्षा होगी ।घर टूटने की चिंता ।सर से छत निकल जाने की चिंता  ।खुद के और बच्चों की रोटी पढाई लिखाई सब की चिंता ।समाज के ताने,  उलाहने उपहास की चिंता ।हर तरह की असुरक्षा और भी उग्र और हिसंक बना देगी माहौल को ।एक रिस्ते के खत्म होने का  मनोबैज्ञानिक ,दंड भी होता है ,आर्थिक दंड भी होता है और सामाजिक दंड भी होता है ,यह व्यवस्था सामाजिक है समाज द्वारा पुरस्कृत और  स्वीकृत है इसलिए समाज का दबाव भी आएगा ही ।हमारा कानून भी सहजता से विवाह को टूटने नही देना चाहता ।

 रोमांचक खेलो में एक चेतावनी लगी होती है "  आप की जान का खतरा हो सकता  है " वहां पर तो केवल आप की जान जाएगी पर इस इंफीडिलिटी नामक  रोमांचक खेल में  में तो पूरे परिवार का जीवन भर का रोमांच खत्म जाएगा  और कई बार तो साथी दुनिया से ही  चला जाता है  और वह भी बच्चों सहित ।इसलिए यह बहुत खतरनाक है इस मे धैर्य और संयम ही काम आएगा ।
जितना बच सके तो बच लें ।


कैसे पता करें कि साथी चीटिंग कर रहा है?
यह पता लगाना कि साथी धोखा दे  कर रहा है तो बड़ा आसान  है  और थोड़ा मुश्किल भी ।
दो तरह के धोखेबाज होते है एक तो  धोखे देने में एक दम पारंगत और एक होते है साधारण से धोखेबाज 
साधारण की कैटेगरी में वह है जो कहीं आकर्षित हुए या कर लिए गए पर वे भावनाओं में बह गए और आगे बढ़ते चले गए कुछ सोच ही पाए । धीरे धीरे इतनी दूर निकल गए कि लौटने की सुध ही न रही ।वे तब तक बहते जाते है जब तक नया साथी उन्हें जमीन न दिखा दे ।
हर लहर का  एक समय होता है वह पूरे जोर से ऊपर उठती है और अंततः नीचे की ओर आती है ऊपर की ओर जाते हुए तो सब ऊपर ही ऊपर दिखता है  नए सपने नये आकाश नया जीवन ,सब रंगीन दिखता है और जब लहर लौटती है तो धरती भी दिखने लगती है और किनारे भी दिखते हैं और तल की गहराई भी दिखती है ।
तब परिवार छोड़ दिये बच्चे रस्म रिवाज सब दिखते हैं ।पर लौट आने का साहस नही जुटा पाते ।

नए नए प्रेम में पड़े व्यक्ति को हर कोई उसकी आंख से पहचान लेता है ।
1 वह आंखे चुराने लगता है 
2 झूठ बोलने लगता है 
3 व्यवहार में परिवर्तन आता है 
4 वह अधिक प्यार से पेश आने लगता है अपने स्वभाव के विपरीत 
5 या वह बहुत बेरुखी से पेश आता है 
6 अपनी निजी वस्तुएं लॉक में रखना लगता है 
7 फोन और सभी गैजेट्स पर लॉक लगा दिए जाते हैं 
8  किसी से फोन पर बात करने का लहजा बदला हुआ मिलता है 
9 किसी खास निश्चित वक्त पर बेचैनी होना ।रेस्टलेस हो जाता है 
10 बात बात पर  गुस्सा होना । चिड़चिड़ा पन प्रकट होना ।
11 तैयार होने में वक्त लगाना सोच कर पहनने लगना 
लुक्स पर ज्यादा ध्यान देना 
12 घर मे  मन नही लगना 
13 साथी से दूरी बनाना ।दूरी बनाने के बहाने बनाना 
14 बिना बताए घर से निकल जाना 
15 बाहर वक्त ज्यादा बिताना 
14 यात्राओं का बढ़ना 
15 खाने की आदतों का बदलना 
16 बातचीत का लहजा बदल जाना 
17 बोली में नए शब्दो का नए लहजो का प्रयोग बढ़ जाना 
18  जगह की पसंदगी  में बदलाव आ जाना 
20 संगीत की पसंद में बदलाव आना 

क्योंकि जब कोई व्यक्ति किसी के प्रेम आकर्षण में होता है तो वह अनजाने में वह सब आदते रुचियां अपने अंदर उतारने की कोशिश करता है जो उस के नए साथी को पसंद होता है ।यहां तक अनेक बार उठने बैठने के तरीके में भी बदलाव आ जाता है यह सब बदलाव अस्थायी होते है सिर्फ मादा को लुभाने के लिए जाने वाले करतब है जो हासिल हो जाने पर गायब हो जाते है और इंसान अपनी मूल प्रकृति में लौट आता है  ।धरती के सभी नर ।मादा को लुभाने के लिए कोई  झुंडों में जोर आजमाइश करता है कोई लड़ता है कोई नाचता है कोई पंख फैलाता है कोई चक्कर काटता है कोई सर नीचे टांगे ऊपर कर के करतब करता है कोई सींग चमकाने लगता है कोई कुछ करता है कोई कुछ पर सबका उद्देश्य एक ही है मादा से संसर्ग ।
ये जो नए नए परफ्यूम ट्राई किये जाते हैं नई नई कार सवारी यह सब  लुभाने वाले करतबों के आधुनिक रूप है ।
अब बात करते है दूसरी श्रेणी के मर्दो की जो घोर शातिर है उनकी पत्नियों को ताउम्र शक भी नही होता कि वे बाहर क्या कर रहे है ।वे ऐसी कोई हरकत नही करते जिस से वे पकड़े जा सकें ।वे परिवार और बच्चों की नजर में आदर्श पति और आदर्श पिता के रूप में स्थापित रहते है  कभी कोई लड़की आरोप लगा भी दे तो सारा परिवार कसमें खाता है उनकी और आरोप लगाने वाली को ही कटघरे में खड़ा करती है पत्नियां 
यानी पत्नियां उन पर छोड़ दी जाती है कि जाओ भिड़ लो इन से यह तुम्हारे सुहाग के लिए खतरा बन कर आई है।ये मर्द बुध्दि का आला इस्तेमाल करते है और सब व्यवस्थित रखते हैं ।इनके जीवन मे कितनी महिलाएं आई गई इनको भी याद नही होगा ।कुछ तो ऐसे हैं जिन्होंने अन्य महिला मित्रो को भी कभी निराश नही किया और वे भी  अपने अपने क्षेत्र में स्थापित कर दी गई भनक भी न लगी ।

और कुछ ऐसे है जो शातिर थे और उनको एक ही शातिर महिला ने जेल की हवा खिला दी ।ज्यादतर मर्डर एक दूसरे को धमकाने और बर्बाद कर देने वाले  
मैं अपने सामाजिक अनुभव के दावे से कह सकती हूं कि भारत मे  अवैध संबंधों के चलते  इतने तलाक नही हुए है जितने मर्डर हुए हैं । आज हम यदि यह रिसर्च करेंगे तो मर्डर का प्रतिशत ज्यादा होगा तलाक का कम 
और यदि मर्डर और आत्म हत्या दोनो को शामिल कर लेंगे तो तलाक की संख्या बौनी हो जाएगी । 

कुछ जोड़े ऐसे हैं जिनका सो कॉल्ड पहला प्यार,पहला ब्रेक अप  उनके जीवन में दोबारा आ जाता है और वे शिकवे गीले भुला कर पहला सा जीवन जी लेने की नाकाम कोशिश करते है और घर तोड़ बैठते हैं ।अक्सर इन में से किसी एक का तो पहले से ही बिखरा होता है अब इनका नोस्टाल्जिया दूसरे का भी तोड़ बैठते हैं ।


आपका साथी चीटिंग कर रहा है तो क्या करें ?
जब आपको पता चल गया है तो आप धैर्य से काम लें 
उतेजित मत हों ।उन से बैठ कर बात करें ।उन्हें अपनी बात कह लेने का मौका दें ।आप सख्ती न दिखाए न ही धमकाएं ।
वह गलती राह  पर हैं तो डरे हुए तो हैं ही  और डरा हुआ जीव ही आत्म रक्षा में पहला अटैक करता है वह आपको दोषी ठहरायेगा । आप पर आरोप लगाएगा कि तुम ऐसी नही हो वैसी नही हो ये और वो ।उन आरोपों से आहत हो जाओगे तो बुरा भला गाली गलौच करोगे ।हिंसा पर उतारू होगे ।इस से बेहतर है कि उन्हें ध्यान से सुना जाए ।समझाया जाए ।उन्हें विश्वास में लिया जाए और उन से ही पूछे कि आप बताओं हम आपका साथ कैसे दें ।हम अपने मे क्या क्या परिवर्तन लाएं ।

( आप हम से क्या चाहते हैं ) 
आप उन्हें रिश्ता टूट जाने की स्थिति में क्या क्या हानि हो सकती है वह समझाएं ।उन्हें सोचने और लौटने का वक्त दें 
सब से जरूरी कदम यह है कि अपने परिवार के सदस्यों और  माता पिता को विश्वास में लिया जाए उन से यह समस्या शेयर की जाए ।कभी माता पिता की मध्यस्थता और परिवार का दबाव भी काम कर जाती है ।आराम से बैठ कर शांत चित्त से धैर्य से  बात कर के ही हल निकालना  चाहिए हल इसी बात चीत में ही छिपा होता है लड़ने झगड़ने से कभी  हल नही निकलेगा ।कड़वाहट इतनी बढ़ेगी कि चाह कर भी तेजाब कभी कम नही होगा।

वैध या अवैध संबंधों की परिभाषा अलग अलग संस्कृति यो में तो अलग है ही पर व्यक्तियो की व्यक्तिगत मान्यताओ में भी अलग होंगी ।गलत और सही की परिभाषा सब की अपनी अपनी है।जिस बात को ले कर आप इतना ठगी हुई महसूस कर रही हूं दूसरे साथी की नजर में यह किसी अपराध की श्रेणी में ही न आता हो उसके लिए यह सब  कुछ  मायने ही न रखता हो ।सब लोग अपने विचार संस्कार  अनुभव अनुसार समस्या को अलग ढंग से देखते समझते है । आप अपने मूल्यों को दूसरे पर कभी थोप नही पाएंगी ।दूसरे को अपने जैसा सोचने और मानने को बाध्य नही किया जा सकता ।केवल अपनी सोच को बताया जा सकता है ।
प्रेम वही जो आजादी दे दे पँखो के काट रख लेने से पक्षी उड़ना तो नही भूलता ।बेशक वह अब उड़ न सकता हो पर मन उसका आसमान ही में रहेगा ।उसे उड़ने दीजिये थक कर लौट आएगा ।बस दरवाजा खुला रखिये ।
अनेक बार स्वतन्त्र समाज के विचार के प्रभाव से कुछ लोग बन्धन में घुटन महसूस करते हैं । लेकिन बाद में वह अनुभव करते है कि परिबार या साथी का होना घुटन नही बल्कि ताकत होता है क्योंकि इंसान अकेला नही रह सकता है ।उसे किसी की जरूरत जरूर महसूस होगी ।कुछ लोग ऐसा सोचते है कि वे परिवार भी छोड़ दे और जो नई गर्ल फ्रेंड बनाई है उस से भी न बंधे शादी न करें ।बस यूं ही फ्रीडम में रहे ।वे पश्चिम से प्रेरित हैं वे सब से ज्यादा घाटे में रहेंगे ।क्योंकि कोई भारतीय लड़की चाहे कितने ही वर्ष live इन मे रह ले अंततः वह भी शादी ही करना चाहेगी ।भारत मे रखैल बन कर कोई अभागी ही रहना चाहेगी ।
बाकी रोटी दो भी हो चोपड़ी हुई भी हों तो यह चल नही पायेगा ।
मेरा निजी तौर पर मानना है कि जब न निभ पाये तो अलग हो जाना बेहतर है बजाय कि कोई आत्म हत्या करे ।जीवन बेशकीमती है एक शादी विवाह जैसा बन्धन जीवन को लील जाने के लिए नही है । 


यह पोस्ट सिर्फ महिलाओ  के संदर्भ में लिखी गई है जिनके पति किसी न किसी अनैतिक रिश्ते में है 
इसके एक दम विपरीत अनेक स्त्रियां अनैतिक रिश्तो में हैं या होती है उनका मनोविज्ञान पूर्णता भिन्न है इसलिए उनके विषय मे एक और पोस्ट लिखूंगी फिर कभी ।
सुनीता धारीवाल 

सवाल जिन्हें है आपके जवाब का इंतजार ?जब जिंदगी में कोई तीसरा भी हो ?




महिलाओं द्वारा पूछे गए कुछ सवाल आप के लिए लिख दे रही हूँ आप बताएं कि आप के पास इन के लिए क्या जवाब हैं ? 

केस 1
सवाल एक -मेरे पति ने गांव की जमीन बेच कर  बड़े शहर में प्रोपर्टी का कारोबार शुरू था ।मेरे दो बच्चे हैं और आयु 3o वर्ष  ।पति मुझे भी शहर में आये और बच्चे भी शहर में पढ़ने लगे ।पति का उस के दफ्तर में काम सम्भाल रही  सेक्रेटरी से सम्बन्ध बना लिए है और वह अक्सर टूर पर रहने लगा ।फिर शहर में होते हुए भी काम के बहाने रातों को घर नही आते थे ।शंका होने पर जब मैने पड़ताल शुरू की तो मुझ से मार पीट करने लगे ।घर मे क्लेश रहने लगा ।बिना बात के भड़क जाना हाथ उठाना रोज की बात हो गई ।उसे मेरी शक्ल से भी नफरत होने लगी ।वह मुझे देखते ही गुस्से से भर जाता था ।मैं यकीन नही कर सकी जो व्यक्ति हमारे भविष्य के लिए बच्चों के भविष्य के लिए हमें गांव से खुद निकाल कर लाया और आज वह हम सब को ही देख कर झल्लाता है -मुझे क्या करना चाहिए ? मेरा मर जाने को मन करता है मैं दोनो बच्चों को मार कर मर जाना चाहती हूँ ?


केस दो- 
दीदी मेरे माता पिता ने जलसेना  के बड़े अधिकारी से मेरी शादी कर दी है उनका तो जैसा सपना साकार हो गया है उन्होंने इतने बड़े घर कर इकलौते बेटे का रिश्ता कभी सोचा भी ना था ।वह सारे रिश्तरदारो को गर्व से बताते घूमते है कि उनकी बेटी इतने लायक दामाद के घर मे सुरक्षित है ।परंतु न मैं उन्हें बता सकती न सास ससुर को ।मेरे पति के अनेक औरतो से संबंध है वे देर रात तक पार्टियां करते है दोस्तो साथ घूमने जाते है ।मेरी तरफ उस तरह से नही  देखते है जैसे देखा जाना चाहिये ।नए दूल्हों का ऐसा व्यवहार नही होता जैसा उसका है ।
 उस के फोन में उसकी फोटो और चैट देखी है ।जब मैने पूछा तो उस ने बताया कि वह ऐसा ही  है ऐसा ही रहेगा न वह अपनी महिला मित्रो को छोड़ सकता है न ही वह मेरे कहने पर अपनी कोई जीवन शैली बदलेगा ।उस ने सीधे सीधे कहा कि मुझ से नाहक उम्मीदें मत लगाओ मैं सारी जिम्मेदारियां पूरी करता रहूंगा पर मेरी जिंदगी में दखल अंदाजी मुझे पसंद नही । वह सम्बन्ध भी बनाता है साथ भी ले जाता है जहां पत्नी को औपचारिक रूप से ले जाना होता है वह ले भी जाता भी है  परिवार रिश्तेदार सब जगह सब ठीक करता है पर अपने मन की बात नही करता ।मैं मशीन सी हूं बस ।जड़ सी हो गई  हूँ अब क्या करुं -कोई पूछे तुझे क्या तकलीफ है या दुख है तो कोई भी नही है ।पर वह मेरा नही है यही दुख है और यह न मैं माता पिता को समझा सकती हूं न ही मैं सास ससुर को और ना ही मुझे कुछ समझ आता है ?मुझे समझाओ मैं क्या करूँ 
 
केस तीन -
मैं नर्स थी किसी परिचित के मार्फ़त एक परिवार में बुजुर्ग की देखभाल करने गई ।उस परिवार के इकलौते बेटे की पत्नी और बच्चे उस बुजुर्ग मां को पूछते तक नही थे ।मैंने माँ जी दिल से सेवा की ।मेरी सेवा को देखते हुए लक्की जी( उस बुजुर्ग का बेटा ) मेरी बहुत इज्जत करने लगे । उन्होंने मुझे घर की बालकनी में ही कमरा दे दिया ताकि मेरा  आने जाने का सफर में जो समय लगता है और जो असुविधा होती है वह सब न हो ।मैंने वहां रहना शुरू कर दिया ।और उन के घर के अन्य कामों में भी हाथ बटाने लगी ।मैं अकेली थी मेरे घर मे एक भाई था जो नौकरी करता था दूर ही पोस्टिंग होती थी ।
लक्की जी की पत्नी और बच्चे दूसरे घर मे रहने चले गए वे उनकी माँ के साथ नही रहना चाहते थे।
धीरे धीरे लक्की जी को मुझ से लगाव हो गया और हम प्रेम में पड़ गए ।वे ज्यादातर इसी कोठी में ज्यादा वक्त बिताने लगे ।बच्चों से उनके सम्बन्ध बिगड़ने लगे और बहुत ज्यादा बिगड़े तो वह पूरी तरह यही रहने लगे  ।
माता जी की मृत्यु हो गई पर मैं अब वही उस कोठी में लक्की जी के साथ पत्नी की तरह ही रहती हूं ।लक्की जी ने मुझे आगे पढाया लिखाया बड़े कोर्स करवाये और मेरी हर जरूरत पूरी की । और वे अपनी पत्नी और बच्चों से भी निभाते रहे आते जाते रहे । मैंने अपने भाई का बेटा गोद ले लिया उस को लक्की जी ने पढाया लिखाया ।सब ठीक चल रहा था ।कि लक्की जी  को हार्ट अटैक आया वे बीमार रहने लगे ।फिर उनके परिवार

वाले उन्हें ले गए और मुझे मिलने भी नही दिया ।लक्की जी अब नही रहे और उनके परिवार ने मुझे और मेरे बेटे को उस कोठी से निकल जाने का नोटिस दे दिया है मैंने उस घर मे अपने 45 वर्ष बिताएं है मेरी और लक्की जी की यादें है हमारे प्रेम की  कहानी घर की हर दीवार पर है पर मैं अब जीना नही चाहती ।मैं बीमार रहने लगी हूँ ।क्या करूँ 

केस 4 
मेरा नाम कृष्णा है मैं गांव में रहती हूं मेरी शादी वकील से हुई है पहले वह तहसील में बैठता था अब चंडीगढ़ हाई कोर्ट में जाने लगा है तब से गांव में आना बहुत कम कर दिया है ।साल में एक बार मुशिकल से आता है हमें 5 हजार रुपये भेज देता है वह चंडीगढ़ में किसी अन्य स्त्री के साथ रहता है उस के घर में ।हम कुछ समझ नही पाते है हमारा तो जीवन बर्बाद हो गया है । वह कहता है उसे गांव की गंवार नही चाहिए थी  ।वह मेरे साथ कहीं नही जाता मेरे पीहर भी नही जाता मेरे साथ ।उसे मैं पसंद नही हूँ ।मेरे दो लड़के है ।वह कहता है वह उन दोनों को शहर में पढ़ने के लिए बुला लेगा लेकिन मुझे नही ले जाएगा ।मेरी उपस्थिति  से उसको हीनता महसूस होती है ।क्या करूँ ?

केस no 5 
मैं क्या करूँ मेरा पति बहुत हैंडसम है वह अक्सर लड़कियों से घिरा रहता है उसकी प्रसंशक हर जगह मिल जाती है वह बड़ा खिलाड़ी है उसके नाम बहुत अवार्ड हैं वह इज्जतदार है पर उसे मेरी टोकाटाकी दखल अंदाजी पसंद नहो ।मुझे लगता है कि कहीं वह भटक न जाये और किसी दिन वह मुझे छोड़ कर चला न जाये ।उसका व्यवहार पहले जैसा नही है वह मुझ से बेरुखी से बात करता है हम ने लव मैरिज की थी मैं पेशे से पत्रकार थी अब हाउस वाइफ हूँ और मेडलों की धूल झाड़ती हूँ ।मुझे हर समय यही लगता है वह कुछ छुपा रहा है और झूठ बोल रहा है 
मैं क्या करूँ कैसे पता करवाऊं कि क्या चल रहा है ? 


केस 6 
मेरे पति शहर के नामी गिरामी डॉक्टर है हमारा घर अस्पताल परिसर में ही है मेरे पति के किसी न किसी नर्स या जूनियर डॉक्टर या स्टाफ की किसी न किसी लड़की से सम्बन्ध हो जाते हैं ।मेरे टोकने पर मुझे पीटते हैं 15  वर्षो से आज तक कुछ नही बदला है न मेरी किस्मत बदली न मेरे साथ हो रहा व्यवहार ।मेरी दो  बेटीयां हैं  वह यह सब देखती  हैं ।उन पर भी बुरा  असर होता है वे दोनो प्लस 2 के बाद  घर से दूर जाना चाहती हैं ।हर कोई एक दूसरे पर झल्लाता और चिल्लाता है ।हर बार गलती मुझ पर थोप दी जाती है बेटियां भी मुझे ही कटघरे में खड़े रखती हैं 
मैं क्या करूँ मुझे लगता था जब यह बड़ी होंगी तो मेरा साथ देंगी पर ऐसा नहो हुआ ।मैं अब मर जाना चाहती हूं 

आप जवाब कमेंट में लिख सकते हैं 

















बुधवार, 12 जनवरी 2022

उमोजा # महिलाओं का गांव जहां पुरुषों के प्रवेश की है मनाही #केनिया #अफ्रीका #उमोजा

अफ्रीका के केनिया में सुदूर मरुस्थल में एक महिलाओं का बसाया एक गांव है जिसका नाम है जिसका नाम है " उमोजा " जिसका स्थानीय भाषा में  अर्थ होता है एकता एकजुटता  ।यह दुनिया का पहला गांव है या कहे कि महिलाओं का पहला संगठित प्रयास है जो पुरुषों द्वारा की जा रही घरेलू हिंसा के प्रतिकार के रूप में बसाया गया है ।यह कहानी शुरू होती है रेबेका लोलोसोली नामक महिला से जो घरेलू हिंसा से बहुत दुखी थी ।प्रतिदिन मार पीट से तंग आ चुकी रेबेका ने महिलाओं के लिए  बिना मारपीट यंत्रणा से रहने का सपना देखा ।  और इस   असम्भव लगने वाले सपने को मुश्किलों के बावजूद सच कर  दिखाया है उस ने केवल महिलाओं संगठन बनाया और सब महिलाओं ने  हिम्मत कर के हिंसा से मुक्ति पा ली । एक अलग गांव ही बना दिया है कोई पुरुष उस गांव में प्रवेश नही कर सकता है आओ जानते हैं कि उस ने यह गाँव क्यों बनाया और क्यों इस मे पुरुष नही जा सकते हैं ।



तीस वर्ष पहले रेबेका  अपने बुरे वैवाहिक रिश्ते में पति द्वारा किये जा रही हिंसा और  उत्पीड़न से गुजर रही थी  ।वह समझती थी  जैसे किसी निचले दर्जे की प्राणी है उस के साथ अमानवीय व्यवहार होता है  लेकिन जब उस ने अपने आस पास देखा तो उस से पाया यह सब सहन करने वाली वह अकेली महिला नही है बल्कि अनेक महिलाएं पतियों द्वारा हिंसा और उत्पीड़न का शिकार हैं महिलाओं के मार खाना हिंसा सहना एकदम सामान्य था ।छोटी छोटी बालिकाओं का विवाह कर देना और उनके पारंपरिक तौर पर  ब्लेड से योनि अंग भंग कर देना भी सामान्य था ।उसका कहना है कि 
मेरे समाज मे लड़कियों का अंग भंग करना इतना सामान्य है कि विवाह से पहले हर लड़की को इस यौन अंग भंग करने की  प्रक्रिया से गुजरना पड़ता ही है ।


महिलाओ को उत्पीड़न से मुक्त करवाने के लिए उस से सब से  मदद की गुहार की ।

 उस ने  बताया कि उस ने सरकारी प्रशासन से हिंसा की शिकार महिलाओं की मदद करने के लिए कहा पर  कोई सुनवाई नही हुई सब से पीठ मोड़ ली 
तंग आ कर एक दिन उस ने और अन्य 14 महिलाओं ने अपनी अलग दुनिया बसाने का निर्णय लिया ।
रेबेका ने बताया कि 
हम ने तय कर लिया कि हमें पुरुषों की कोई जरूरत नही हम अपने आप ही अपना सब कुछ खुद कर लेंगी ।समाज के सभी पुरषो ने सोचा कि औरते खुद ही बिना किसी पुरुष की मदद से अपना गांव बसा सकती है उन्हें हमारी जरूरत तो पड़ेगी ही ।पर रेबेका और उसकी साथी महिलाओं ने पुरषो के सारे आकलनों को गलत ठहरा दिया  उन्होंने मिल कर थोड़ी सी जमीन खरीदी और उसका नाम रखा उमोजा जिसका अर्थ है यूनिटी यानी ..और उन्होंने सब काम स्वयं किया मिट्टी और पेड़ों को काट कर लकड़ी से अपनी झोंपड़ियां बनाई ।उन्होंने पारंपरिक आभूषण बनाये और पर्यटकों को बेचना शुरू कर दिया उन्हें पैसा मिलने लगा ।उन्होंने यहां पर स्कूल भी बनाया अपने बच्चों को पढाना शुरू किया ।लड़कियों को भी शिक्षित करना शुरू किया ।उन्होंने सब कुछ पुरुषों की मदद के बिना किया ।वे  यहां काम करती हैं नाचती गाती है और शांति से अपना जीवन बिना पुरषों के बिता रही हैं वे अपनी इस हिंसा मुक्त दुनिया मे खुश है और कोई पुरुष यहां फटक भी  नही सकता ।यहां की महिलाओं के  पुरुष मित्रों को  भी इस गांव में आने की इजाजत नही है 


शुरू में पुरषो को बहुत जलन हुई उन्होंने गांव के इर्द गिर्द चारो तरफ घर बना  लिए ताकि  उमोजा जाने वाले पर्यटकों का रास्ता रोका जा सके ।वहां के पुरुष उमोजा में जबरन घुस कर महिलाओं से मारपीट करते थे ।देखते देखते यह गांव अब 100 महिलाओं का गांव बन चुका है ।यह कहानी महिलाओं की सफलता की कहानी है जब उन्हें अवसर दिया जाए तो वह सिद्ध कर के दिखाती है वह अपनी क्षमता को साबित करती हैं वे दिखाती हैं कि वे नेतृत्व कर सकती हैं वे व्यापार कर सकती है वे अपने दम पर फल फूल सकती हैं ।परंतु दुर्भाग्य से अनेक परिस्थितियों में महिलाओं को अवसर ही नही मिलते कि वह स्वयं को साबित कर सकें ।

रेबेका कहती हैं उन्हें शुरुआत में बहुत मुश्किलें आई उन्हें पुरषों ने  परेशान किया गया हमें इस जगह से खदेड़ने के लिये जोर लगाया ।पर हम ने अपना मनोबल और दृढ़ इच्छा को बनाये रखा ।
हमारी सरकारों को ऐसी नीतियां बनानी होंगी जो  महिलाओं के  ज्यादा अवसर देने में सक्षम हों ।और माता पिता होने के नाते हम सब को अपने बेटों को शिक्षित करना होगा कि वह औरतों का सम्मान करें ताकि न सिर्फ एक यह गांव बल्कि पूरी धरती ऐसी हो जाये जिस में महिलाएं अपनी सफलता का जश्न मना सकें वह सफल हो सकें ।

सुनीता धारीवाल 
स्त्रोत गूगल व you tube 
 

रविवार, 9 जनवरी 2022

तसमेनियन टाइगर ? इनका क्या हुआ ऑस्ट्रेलिया में ? यात्रा संस्मरण

टाइगर की पहचान उसके तन पर पड़ी धारियों से होती है यह जंगली ताकवर जीव मांसाहारी है क्या हो जब एक जीव का शिकार इतनी मात्रा में किया जाए कि वह लुप्त ही हो जाये और अब तस्वीरों में हम उसे देख पाए ।अब चाहे जितने भी प्रयास कर लें हम वापिस उस जीव को पैदा नही कर सकते ।अवशेष भी नही मिल रहे तो अब जीव विज्ञानी पुरात्तव विज्ञानी  पत्थरों बीच उनकी हड्डियां ढूढ रहे हैं अवशेष ढूंढ रहे है कि हम उन्हें तकनीक के माध्यम से जिंदा कर लें पर अभी तक ऐसी कोई सफलता नही मिली है ।मानव द्वारा किसी जीव का इतना संहार कर लिया जाए कि उसका समूल नाश हो जाये।और तसमेनिया में  यही हुआ है तसमेनियन  टाइगर के साथ ।अब केवल पुस्तकों में ही इसका जिक्र है पर धरती पर नही है ।और बाकी बचती है अफवाहें और कल्पनाएं स्थानीय लोग ऐसी कथाएं घडते रहते है कि किसी ने यहां देखा किसी ने वहां देखा पर सबूत नही मिलते ।
यह देखिये चित्र
यह धारीदार जीव अब नही है यह मानव की भेंट चढ़ चुका है 
चलिए बाकी जीवों को भी देख लेते हैं 



।हर देश का अपना प्राकृतिक वनस्पति जीव जंतु होते हैं
यह पोसम है यह बड़े आकार का चूहा है भारतीय बिल्ली से बस थोड़ा सा छोटा होता है और शहरों में भी मिलता है ।वहां पर भेड़ पालन होता है 



घोड़ो के अस्तबल हैं गाय हैं और कुत्ते भी है परंतु सब पालतू है सड़को पर कोई भी आवारा पशु नही मिलेगा बस पौसम चूहा और ही सब जगह दिखाई दे जाता है बाकी सब तो जंजीरो से बंधे हैं 

घोड़ो की ट्रेनर रेबेका अपनी  कीशोरी घोड़ी लूसी के साथ - तस्वीर मेरे द्वारा ली गई है 

लोगों को यहां घोड़े पालने का शौक है हरी भरी चरागाहों की शोभा बढ़ाते यह घोड़े बहुत ही खूबसूरत है घोड़ो को मच्छरों से बचाने के लिए उन पर कवर डाल दिये जाते है घोड़ो के अलग प्रकार के कपड़े है वे भी सजा दिए जाते है ।महिलाएं घोड़ो की ट्रेनर है और इन अस्तबलों की मालकिन भी हैं और घोड़ो को इधर उधर ले जाने के वाहन तो बड़े ही खूबसूरत बनाये जाते है 


सड़को पर आपको अक्सर यह वाहन मिलेंगे कार जीप के पीछे बांध दिए गए यह हॉर्स फ्लोट बहुत ही आकर्षक लगते हैं ।
यहां पर ऊंट है बड़ी मात्रा में रेगिस्तान है सूखा इलाका है दूर दूर तक हरियाली नही केवल सूखी  और तपती धरती उस पर जिंदा है ऊंट ।इस विषय पर अलग पोस्ट लिखूंगी कि पानी के कारण कितने ऊंटों को गोलियों से मार दिया जाता है ताकि वह मनुष्य के हिस्से का पानी न पी जाएं ।
साँप, लोमड़ी ,भेड़िये  गिद्ध भी हमें दिखाई दिए ।
 यहां पर सांपो की भरमार है जगह जगह चेतावनी बोर्ड लगे होते है कि यहां साँप है कृपया  ध्यान दें ।यहां के सांपों पर भी एक पोस्ट अलग से लिखना चाहूंगी।

यहां पर पालतू गाय है दूध पीने का ज्यादा चलन नही है अधिकतर  भारतीय लोग ही दूघ की खपत करते है ।
यहां पर दस हजार से भी ज्यादा समुद्र के तट है इसलिए जल में रहने वाले जीवों की भी भरमार है स्थानीय लोग उन्हें जानते पहचानते है ।थल के अलग और जल के अलग जीव है  जंगल हैं तो खूबसूरत पक्षी भी हैं ।यहां  टर्की एक पक्षी है इमू है इसकी भी एक कहानी है feather in the cap वह भी आपको सुनाऊँगी 
अभी के लिए बस इतना ही ,

सुनीता धारीवाल 

किसी र्भ्रूण को स्तनपान करते देखा सुना है आपने ।आओ बताएं भी और दिखाएं भी #ऑस्ट्रेलिया भ्रमण संस्मरण


यह देखो सब : कंगारू आश्चर्यचकित करता है जिसका भ्रूण माँ के स्तन से दूघ पीता है मेरे लिए यह अति हैरान करने वाली जानकारी थी ।मेरे ज्ञान में सिर्फ यह था कि कोई भी स्तन धारी जीव का बच्चा जन्म लेने के बाद ही  माँ स्तन से दूघ पी कर बड़ा होता है ।पर मैं हैरान रह गई कि कंगारू का भ्रूण सीधे स्तन से ही आहार लेता है ।कंगारू की थैली (धानी ) में ही उसका बच्चा बड़ा होता है थैली इतनी चिपचिपी होती है भीतर से जिसके कारण भ्रूण और बच्चा भी उछल कर बाहर नही गिरते । कंगारू के ऊंची ऊंची छलांग लगाने के बावजूद भी बच्चा थैली में सुरक्षित रहता है ।आप से फोटो शेयर कर रही हूँ ।



कंगारू आस्ट्रेलिया में पाया जानेवाला एक स्तनधारी पशु है। यह आस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु भी है। कंगारू शाकाहारी, धानीप्राणी (मारसूपियल, marsupial) जीव हैं जो स्तनधारियों में अपने ढंग के निराले प्राणी हैं। इन्हें सन्‌ 1773 ई. में कैप्टन कुक ने देखा और तभी से ये सभ्य जगत्‌ के सामने आए। इनकी पिछली टाँगें लंबी और अगली छोटी होती हैं, जिससे ये उछल उछलकर चलते हैं। पूँछ लंबी और मोटी होती है जो सिरे की ओर पतली होती जाती है।
कंगारू के पैरों में अँगूठे नहीं होते। इनकी दूसरी और तीसरी अँगुलियाँ पतली और आपस में एक झिल्ली से जुड़ी रहती हैं, चौथी और पाँचवीं अँगुली बड़ी होती हैं। चौथी में पुष्ट नख रहता है।


कंगारू की पूँछ लंबी और भारी होती है। उछलते समय वे इसी से अपना संतुलन बनाए रहते हैं और बैठते समय इसी को टेककर इस प्रकार बैठे रहते हैं मानों कुर्सी पर बैठे हों। वे अपनी अगली टाँगों और पूँछ को टेककर पिछली टाँगों को आगे बढ़ाते हैं और उछलकर पर्याप्त दूरी तक पहुँच जाते हैं।



कंगारू का मुखछिद्र छोटा होता है जिसका पर्याप्त भाग ओठों से छिपा रहता है। मुख में निचले कर्तनकदंत (इनसाइज़र्स, incisors) आगे की ओर पर्याप्त बढ़े रहते हैं, जिनसे ये अपना मुख्य भोजन, घास पात, सुगमता से कुतर लेते हैं। इनकी आँखें भूरी और औसत कद की, कान गोलाई लिए बड़े और घूमनेवाले होते हैं, जिन्हें हिरन आदि की भाँति इधर-उधर घुमाकर ये दूर आहट पा लेते हैं। इनके शरीर के रोएँ पर्याप्त कोमल होते हैं और कुछ के निचले भाग में घने रोओं की एक और तह भी रहती है।


कंगारू की थैली उसके पेट के निचले भाग में रहती है। यह थैली आगे की ओर खुलती है और उसमें चार थन रहते हैं। जाड़े के आरंभ में इनकी मादा एक बार में एक बच्चा जनती है, जो दो चार इंच से बड़ा नहीं होता। प्रारंभ में बच्चा माँ की थैली में ही रहता है। वह उसको लादे हुए इधर-उधर फिरा करती है। कुछ बड़े हो जाने पर भी बच्चे का सबंध माँ की थेली से नहीं छूटता और वह तनिक सी आहट पाते ही भागकर उसमें घुसजाता है। किंतु और बड़ा हो जाने पर यह थेली उसके लिए छोटी पड़ जाती है और वह माँ के साथ छोड़कर अपना स्वतंत्र जीवन बिताने लगता है। 




आस्ट्रेलिया के लोग कंगारू का मांस खाते हैं और उसकी पूँछ का रसा बड़े स्वाद से पीते हैं। वैसे तो यह शांतिप्रिय शाकाहारी जीव है, परंतु आत्मरक्षा के समय यह अपनी पिछली टाँगों से भयंकर प्रहार करता है।

सुनीता धारीवाल

गुरुवार, 6 जनवरी 2022

अल्पाका -यह ऊंट भी है और भेड़ भी @ऑस्ट्रेलिया भ्रमण संस्मरण


यहां पर न बिल्ली न कुत्ता जो भी हैं सब पालतू है घरों में ही है बाहर कुछ नही ।यहां लोग भेड़ पालते है और यह चित्र जो आप देख रहे हैं वह है अलपाका ALPACA यह जीव भेड़ और ऊंट का मिला जुला सा रूप दिखता है ।इसकी ऊन काफी महंगी है इसकी ।इसका चमड़ा काम आता है और मीट भी ।यहां के किसान खासकर भेड़ पालक इन्हें रखते है रेवड को नियंत्रण में रखने के लिए यह तेज दौड़ते है व भेड़ो को बिखरने नही देते ।जैसे हमारे यहां रेवड़ हांकने के लिए कुत्तों से काम लिया जाता है यहां पर अल्पाका से # Travel Diaries Australia

सियासत ने क्या सिखाया मुझे

सियासत ने मुझे बहुत कुछ सिखाया या यूं कहें कि मैंने इस क्षेत्र की सक्रियता को बहुत नजदीक से जाना और स्वयं का विकास किया ।मैंने सीखा कि आप के शब्दों की कीमत क्या है कब कैसे किसको कहाँ क्या और कितना कहना है कितना कहा जाए यह सीखा ।अपने शब्दों पर नियंत्रण और शब्दों का चयन सीखा ।सहन शक्ति की पराकाष्ठा सीखी ।सम्मान ग्रहण करना और उसके मायने सीखे ।सामाजिक जिम्मेदारी क्या है कैसे निभाई जाए कैसे समझी जाए कैसे कोशिश की जाए यह समझा ,अपने वजूद की पहचान हुई ।अपनी क्षमताओं का आंकलन हुआ ,खुद पर नियंत्रण साधना सीखा
।चुप रहना और चुप के अर्थ समझने आ गए । विरोध और आलोचना को सहन करना सीखा ।स्वयं से लड़ाई लड़ना सीखा ।विचारों की भिन्नता को स्वीकारना सीखा ।अफवाह और दुष्प्रचारो को सहन करना उनसे पार पाना सीखा ।अंततः समझा  की अनकूल और विपरीत परिस्थितियां और उस समय मे मिले या चूक गए अवसर सब किस्मत का खेल है ।हम स्वयं का बौद्धिक और सामाजिक रूप से  विकसित कर सकते है पर राजनैतिक  सामर्थ्य का हासिल होना या न होना सब भाग्य है ।परोक्ष रूप से बहुत कुछ हासिल होता है जब हम मेहनत करते है ।कम से कम अनुभव तो हासिल होता है 
।सियासत में  व्यवहारिकता है भावना की प्रधानता नही है भावुक होना कमजोरी है सहज विश्वास करना मूर्खता है ।
आखों से देख कर कानो से सुन कर भी अंधे होना और बहरे होना क्या होता है यह भी अनुभव किया ।
मेरा सारा व्यक्तित्व बदल गया ।चंचलता तो soul से निकल गई ।अनुराग विचलित हो गया ।रह गई बस हर वक्त चिंतन और जिम्मेदारी का दबाव। देश प्रथम हो गया समाज प्रथम हो गया ।परिवार और स्वयं को झोंकना देश के प्रति जिम्मेदारी लगा ।बहुत कुछ छूट गया । जो खो गया वह पाया नही जा सकता है क्या मिलेगा उस तरफ कभी ध्यान एकाग्र नही किया । मंजिल थी नही तो रास्ते भी सरल नही रहे ।और अब तो वक्त निकल गया । आदत हो गई है हर दम चिंतन के दबाव में रहने की । अब तो किसी के लायक नही रहे । कहीं भी फिट नही । क्षणिक आनन्द की घड़ियां खोजते  चुनते चुनते बिताते बिताते बीत रही है । लगता है जैसे personalty disorder है कोई ।जैसे हम  है वैसा माहौल जगह और अवसर नही ।जैसा माहौल और जिम्मेदारिया है वैसे हम नही ।सामंजस्य बैठ नही रहा न ही कभी बैठेगा ।

रविवार, 2 जनवरी 2022

कैमल टो आखिर है क्या जिसकी इतनी चर्चा है - जानिये क्या हैं दिखाऊ छिपाऊ पैड्स









अनेक वेब  पोर्टल पर और  अनेक ऑनलाइन चर्चाओं में आजकल कैमल टो की बात हो रही है आप भी सोच रहे होंगे कि अचानक सर्दियों में यह ऊंट के पंजों का जिक्र क्यों हो रहा है ।दरअसल बाजार में कैमल टो के नए  प्रोडक्ट की रेंज उपलब्ध है और इश्तिहार ध्यान खींच रहे  है अंतराष्ट्रीय बाजारों से होते हुए आजकल यह स्थानीय दुकानों पर भी उपलब्ध है यह है कैमल टो हाईड पैड और कैमल टो एन्हान्सिंग पैड ।और यह प्रोडक्ट महिलाओं के लिए है और अंतरंग है इसलिए चर्चा में हैं ।
आप और  हम सभी जानते हैं कि महिलाओं की योनि का आकार कैसा है वह कैसा दिखता है ।








अब आप ऊँट के पंजो की यह तस्वीर देखिये ।जिसमे उसकी उंगलियों के बीच बाँटने वाली रेखा है इसी रेखा को स्त्री योनि के  दोनों द्वार बन्द होने से  बीच की जुड़ने वाली रेखा को  ऊंट के पंजो की रेखा से समानता कर के शब्द घड़ लिया गया है कैमल टो ।
भारत के संदर्भ में हमारी अधिकतर वेश भूषा साड़ी सूट लूंगी घाघरा सब वह पोशाके हैं जिस में शरीर का आकार प्रकट नही होता ।टांगो का आकार भी बाहरी रूप से प्रकट नही होता योनि का आकार तो दूर की बात है ।मुझे इस पर एक बात याद आ रही है कि कुछ बीस  वर्ष पहले  लगभग 95 वर्ष के बुजुर्ग ने कहा था कि उस ने कभी औरत की टांगो को दिन की रौशनी में देखा ही नही था  वह केवल अंदाजा लगा सकते हैं पर नंगी आंखों से नही देखा ।पत्नी का साथ भी उन्हें घुप्प अंधेरो में ही मिला है और उनकी वेश भूषा  घाघरे अथवा दामण में  से  कुछ दिखाई देने की संभावना ही नही होती  थी    ।

अब आते हैं कैमल टो की बात पर ।पर मुझे एक और संदर्भ याद आ गया मुझे अपने बचपन का एक वाक्या याद आ गया उन दिनों हम सेंटर २३ चण्डीगढ में रहते थे - बच्चों को बड़ों की बाते जिज्ञासा वश सुनने की आदत होती है और जो बात खुसुर फुसुर कर के हो रही हो उस पर जयादा ध्यान होता है सो मेरा भी हुआ अपनी माँ और उनकी पड़ोसन आंटियों की गुफ्तगू में -तब हुआ यूँ था कि  यहां चंडीगढ़ में हर सेक्टर में दूघ के बूथ हुआ करते थे सुबह सुबह  लोग लाइन लगा लेते थे और दूघ   के आने का इंतजार   करते थे ।तब  तक  आपस मे लोग बाते करते थे - राम रमैया ,इधर उधर की बात ।
   एक दिन सुबह  दूध लेने वाली लाइन में एक साहिबा आई जिन्होंने इतनी टाइट स्लैक्स पहनी हुई थी कि उस के भीतर योनि के आकार की झलक साफ दिखाई दे रही थी ।सब लोगों में सुगबुगाहट  फुसफुसाहट शुरू हो गई     और सब नज़रें चुरा चुरा कर उधर ही   देख रहे थे ।हंस रहे थे ।औरते आंखे तरेर रही थी और एक बड़े सरदार जी  बुजुर्ग तो वाहे गुरु वाहे गुरु ऊँचा ऊंचा बोल रहे थे ।और एक और रिटायर्ड अंकल जी हनुमान चालीसा जोर जोर से उच्चारण कर रहे थे कि चर्चाओ से सब का ध्यान हट कर उन तक आ जाये ।
चंडीगढ के मिल्क बूथ पर तो पूरी एक पोस्ट बन सकती है इस से कई संस्मरण मुझे याद आ गए हैं फिर लिखूंगी क्यूंकि मैं हर रोज मम्मी या डैडी के साथ उछलती कूदती जरूर जाती थी उनके साथ दूघ वाले बूथ पर -तो बहुत सी अन्य यादें भी जुडी है उन दिनों की -उन्हें भी कभी लिखूंगी 

चलो फिर से लौट आते हैं वहीँ कैमल टो  के विषय पर -तो चंडीगढ़ में वर्ष 1972 या 73  के आसपास  हमारे सेक्टर के कुछ नायब लोगों ने दूध के बूथ पर इस कैमल टो  के पहली बार सार्वजनिक दर्शन किये और महीनों तक घोर चर्चा चलती रही थी ।प्रतिदिन उस साहिबा का जिक्र और और कितनी आँखें उन्ही ऊंट के पैर  को निहारने के लिए लालायित रहीं  ।औरते शाम को भी जिक्र करती थी कि देखो कैसे अपनी "शेप " दिखाती घूमती है । उक्त कैमल टो  वाली महिला दोबारा बूथ पर दिखी या नहीं मुझे बिलकुल याद नहीं पर उसकी चर्चा जरूर याद है बस वहीँ से एक शब्द सीख गए थे हम वह था "शेप"  जिसे आज तक भी इसी तरह से इस्तेमाल में लाया गया जैसा तब लाया गया था 











आज इतने वर्षों बाद समय तो बहुत आगे निकल गया  -समय का पहिया घूमा तेजी से घूम गया है  -विश्व छोटा हो गया है  कपड़े बदल गए उन्हें  पहनने के ढंग बदल गए उन्हें कैरी करने के चलन बदल गए 


कैमल टो को सो कॉल्ड " शेप " शब्द का पर्याय बने महज दस या पन्द्रह  साल ही हुए है जब  समुद्री पर्यटन में गोता खोरी की लोकप्रियता बढ़ने लगी ।गोताखोरी के लिए शरीर से चिपकी हुई ड्रेस का विधान है ताकि पोशाक के कारण  जल की लहरों के बल के घर्षण से तैराक को   फर्क न पड़े ।
तब महिलाओ ने यह ड्रेस पहनी और यह जरूरी था कि ड्रेस अच्छे से कमर की ओर  चढ़ा ली जाए और और ऐसा करने से  योनि के  प्रकृतिक आकार और ड्रेस की सिलाई का संगम हो गया जिस से यह  उभार ज्यादा दिखने लगे ।तस्वीरों में स्पष्ट  कैद होने लगे -इसी तस्वीर में उभरे योनि के आकार की तुलना ऊंट जी महाराज के पैरों  से कर दी गई - किस ने की यह अभी तक ज्ञात नहीं कर पाई हूँ 

अब बॉडी हग्गिंग कपड़ो का भी चलन आ गया है जिम में जाने वाले वस्त्र भी ब्रांडेड है .बॉडी हग्गिंग माने तो त्वचा  से  चिपकने  वाले वस्त्रो की रेंज है ।जब वस्त्र इतना चिपकेंगे तो शेप चाहे स्त्री की हो या पुरुष की हो दिखेगी तो सही ।पुरुष कैसा दिख रहा है इस पर इतना हाहाकार कभी था नही न होने वाला है बस इस पर तो नजर इधर उधर की जा सकती है यही सामाजिक  प्रैक्टिस है परंतु यानी "शेप" स्त्री की प्रकट हो रही है तो वह तो रोमांच है पुरषो के लिए ।भेद इतना है कि अधिकतर स्त्रियां पुरुष की "शेप" दर्शन से मुंह फेर कर इधर उधर हो लेंगी पर पुरुष एकाग्र हो कर देखेगा और वहां से हिलेगा भी नही और यह भी दिखाने की पूरी चेष्टा करेगा कि देखो मैंने क्या देख लिया है और देखो कि मैं अब तक देख रहा हूं ।अपवाद तो हर जगह होते हैं कुछ पुरुष भी ऐसे होंगे जो नजर फेर कर निकल लेंगे ।पर उनकी गिनती बहुत कम है ।

चलिए विषय पर लौट आते हैं  तो बात हो रही थी बदन चिपकू कपड़ो की - यह बदन चिपकाऊ कपड़ो का चलन है बाजार में स्विम सूट , टाइट पैंट , लेग्गिंग ,जोगिग पैन्ट्स, सेलेक्स ,पजामी , शॉर्ट्स यानी निक्कर ,बिकनी , जिम वियर ,सब उपबल्ध है ।और युवितयाँ महिलाएं सब पहन रही है ।मैंने एक युवती से इन कपड़ो के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि आंटी इनको पहनने से आजादी का एहसास होता है इतने हल्के कपड़े कि पता भी न चले कि पहने भी हैं या नही और सारा पसीना तुरंत सोख लेते हैं । और स्वभाविक है कि बदन चिपकू स्टाईलिश  पोशाकों  में आपका  कैमल टो तो दिखेगा ही तो अब क्या करें - 

आपको बता दें कि समाज में  चार तरह की सोच की स्त्रियां है तीन तरह के लिए प्रोडक्ट उपलब्ध है 
पहली श्रेणी वह स्त्रियां जिन्हें यह "शेप" दिखाना पसंद नही है  वह असहज महसूस करती है उनको सार्वजनिक जगहों पर खेल में अपना प्रदर्शन करना है वह अनावश्यक किसी का ध्यान आकर्षित नही करना चाहती कि उनके परिश्रम के इलावा उसके शारीरिक अंगों पर न जाये तो वे कैमल टो हाईडिंग पैड्स चुन सकती है और ड्रेस के अंदर लगा कर "शेप" को ढक सकती हैं .यह स्त्रियां मुख्यतः  भारत एवम कुछ अन्य देशों में मिलेंगी ।यहां पर कैमल टो छिपाऊ पैड की बिक्री ठीक ठाक है ।
देखें चित्र 

अब जिक्र करते हैं अगली श्रेणी का  जिस में माहिलाओं को अपनी योनि पर सर्वजनिक गर्व करना है उन्हें दिखाना है यह देखने की यानी ध्यान आकर्षण करने की चीज है वह जान बूझ कर ऐसे ही वस्त्रो का चयन करना है जहां पर "शेप "दिखाई दे ।इसके लिए मार्किट में कैमल टो एनहांसर पैड्स बाजार में उपलब्ध है ताकि उनकी शेप यदि कम दिख रही है तो वे इसे ज्यादा कर के दिखा सके ।और अपनी ओर लोगों का  ज्यादा ध्यान आकर्षित कर सकें ।
देखें यह चित्र







अब आते हैं एक और श्रेणी की तरफ जिस पर हम ने कभी ध्यान ही नही दिया है यह है उन स्त्रियों की जिनका मन और दिमाग तो औरत का है पर शरीर पर ईश्वर ने पुरुष टांग दिया है ।अब करे तो क्या करें ।
वे स्त्री के कपड़े पहनेंगी क्योंकि वे हैं तो स्त्री ही पर ईश्वरीय  जैविक विधि के विधान के व्यवधान  के कारण अतिरिक्त मांस लटक रहा है पर उस से पीछा छुड़ाना बहुत महंगा है  त्रासदी है यह शल्य चिकित्सा बहुत महंगी है हर स्त्री इसे वहन नहीं कर सकती 
 कभी सोचती हूँ कि इन सब  स्त्रियों  लिए एक अदद योनि का होना कितनी बड़ी उपलब्धि है किसी ईश्वरीय चमत्कार से कम नही होगा ।अधिकतर स्त्रियां योनि को कोसती पाई जाती है पर इन बहनो से पूछ कर देखो तो ईश्वर की देन को सम्मान करना और प्रेम करना गहराई से आ जायेगा । कसम से कोसना बन्द कर दोगी ।
तो हां जानकारी यह है कि ऐसी स्त्रियां जिनके पास पुरुष का लिंग है पर उन्हें वह लिंग छुपा कर स्त्री सहज कैमल टो यानी  'शेप 'को दिखाना है तो उनके लिए बाजार में ऐसे पैड उपलब्ध है जिस में वह अपने लिंग को छुपा कर बाहर की तरफ़ से स्त्री के कैमल टो को दिखा सकती हैं ।

 वह स्वयं को  और ज्यादा स्त्री महसूस भी कर सकें और दुसरो को उनका स्त्री होना महसूस भी  करवा सकें ।
और हां अंततः एक श्रेणी वह भी है कि दुनिया जाए भाड़ में जिसको जो सोचना है सोचे जो कहना है कहे हम तो प्रकृति के हिसाब से चलेंगे ।जब परमात्मा ने जो दे दिया है तो उसके बारे में अच्छा या बुरा क्यो परिभषित करना बस   हम सहज रहें अपने शरीर के प्रति ।जो है जैसा है वह अपना लें क्यों हाय हल्ला करें ।बल्कि  समाज मे सभी को शरीर के प्रति इतना सहज हो जाना चाहिए कि छिपाने और उघाड़ने से फर्क न पड़ें यही प्रकृति का सम्मान होगा ।हम दुनिया की परवाह किये बिना कुछ भी जो सहज और आराम दायक लगेगा वही पहनेंगी ,हमको ब्रा पैंटी कैमल टो एट्सेक्ट्रा एट्सेक्ट्रा से घंटा फर्क नहीं पड़ता ,लोग चाहे  हमारी छातियों को  तोरियां कहें चाहे  बोरियां कहें हमें घंटा फर्क नहीं पड़ता - हमारी बड़ी बूढ़ियाँ भी ऐसे ही जीती रही हैं तो हम पर इतनी  आड़ी  तिरछी  नजर कयूं 
और अब अंत मे खुद के बारे में सोचूँ कि मैं कौन सी श्रेणी में हूँ तो मुझे लगता है कि मैं उस  हिप्पोक्रेट  श्रेणी में हूँ जिन्होंने खुद ने पहनना तो घागरा ही है जो सब छिपाए और सोचना यह है कि सब कुछ प्राकृतिक रूप से सामान्य हो जाये -दूसरों को  कपड़ों के आधार पर जज भी करना है   -और कहना भी यही है स्त्री की अपनी चॉइस है वह जो करना चाहे जैसे रहना चाहे उसकी स्वतन्त्रता है-
अब कैमल टो  की कहानी खत्म -यह पोस्ट जानकारी के लिए है और इसका सार  इतना ही है कि कैसे एक सोच के आधार पर बाजार खड़ा कर दिया जाता है ।बस  सोच का उदय और  अनेक उत्पाद हाजिर और बहुत से उत्पादों के व्यापार के लिए सोच बाकायदा बनाई जाती है विधिवत निर्माण किया जाता है। उत्पाद के लिए लोगों की सोच को बनाने के लिए विशेषज्ञ है जो बहुत पुरस्कृत है।हम इंसानो के मनोविज्ञान पर बाकायदा रिसर्च कर के उद्योग बनते हैं पहले हीनता का भाव का निर्माण करो फिर उस से उबरने के लिए उत्पादों का निर्माण करो ।
यह सिलसिला चलता ही रहेगा जब तक हम सब अपने प्राकृतिक आस्तित्व में बने रहना और जो है उसकी प्रसंशा करना सीख नही जाते ।
चलते चलते यह भी बता दूं कि जिस तरह कैमल टो नाम दे दिया गया है उसी तरह इसे व्हेल टेल भी कहा जाता है 




सुनीता धारीवाल 
लेख रोचक और जानकारी परक लगा हो तो शेयर  कीजियेगा और टिप्पणी भी कीजियेगा ।