शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

भारत मे अवैध संबंध के कारण तलाक इतने नही हुए होंगे जितनी हत्याएं और आत्म हत्याएं होती है ।क्यों लोग भटक जाते हैं क्यों पनप जाते है अवैध रिश्ते और क्या होता है असर कैसे समझें इस समस्या को ?


 महिलाओं के एक स्थानीय क्लब ने अभी कुछ रोज पहले मुझे अपनी वार्षिक बैठक की अध्यक्षता करने के लिए बुलाया।बढ़िया कार्यक्रम था मेरा बहुत मान सम्मान किया - हर बार की तरह अपने उद्बोधन में मैंने महिलाओं से कहा कि कोई ऐसी बात जो आप किसी से न कह पाई हों आप मुझ से निसंकोच अकेले में कह सकती हैं।हो सकता है मैं आपकी  समस्या का कोई हल बता पाऊं और अधिक से अधिक यह होगा कि आपका मन हल्का होगा और गोपनीयता भी बनी रहेगी ।
कोई भी स्त्री मेरे पास नही आई सब बोली कि वे खुश हैं उन्हें कोई समस्या नही है चलो जी कार्यक्रम खत्म हुआ और सब चल दी मैं अपनी गाड़ी की तरफ गई और गाड़ी में बैठने लगी तो पीछे से आवाज आई दीदी रुको एक मिनट ।मैंने गाड़ी का शीशा खोला और उसकी तरफ देखा उस ने अपनी शॉल उतार दी और बोली दीदी मुझे ध्यान से देखो वह घूम गई । दीदी मुझे  सर से पांव तक देखो और मुझ में बताओ मुझ में क्या कमी है मैं एम ए पास हूँ दो बेटे हैं मेरे ।लम्बे बाल है मेरे रंग भी गोरा है आप बताओ मुझ में कमी क्या है ।मेरे लिए प्रश्न अप्रत्याशित था ।मैने कहा तुम तो बहुत सुंदर हो शुशील हो ।उस ने मेरी बात सुनते ही कहा -अच्छा दीदी आप बताओ कि यदि मैं सुंदर भी हूँ सब ठीक ठाक भी है तो मेरा पति दूसरी औरत के पास क्यों जाता है अब उसकी आवाज में कम्पन था गला रुंध गया उसका और बताने लगी कि मैं बड़े व्यापारिक परिवार से आई हूं दान दहेज सब बढ़ चढ़ कर लाई थी बिल्कुल स्वस्थ हूँ  मैं पर उसको नही रोक पाई हूँ।मेरी बुध्दि अब काम ही नही करती ।इस सवाल का कोई छोटा सा जवाब नही बनता था ।मैं उसे इतना कह पाई कि धैर्य रखो और अगला शब्द यह निकला कि तुम सर्वक्षेष्ठ यह तुम्हे पता है पर तुम ने खुद को वही मान लिया जो तुम्हारा मनोबल गिराने के लिये तुम से कहा गया है ।वह सब आज से डिलीट खुद को देखना शुरू वह तुम्हे देखेगा ।और अगली मुलाकात का वादा कर मैं चली आई क्योंकि  हमारी वजहँ से  ट्रैफिक रुक रहा था  बाकी महिलाओ ने भी अपनी गाड़ियां निकालनी थी ।उस दिन मैने उस औरत की आखो में तिरस्कार कर दिए जाने बाद रूह में बस जाने वाली  गजब की पीड़ा का एहसास किया ।रास्ते भर सोचती आई थी कि मुश्किल बहुत है रिजेक्शन को बर्दाश्त करना कि तुम मेरे लायक नही हो ।आज फिर नया केस आया तो सोचा इस पर भी लिखा  ही जाए ।
आये दिन हम ऐसे अनेक लेख आलेख  पढ़ते है  वीडियो देखते है पॉडकास्ट  सुनते है विवाहेतर सम्बन्ध क्या है ?  क्यों है ? पति को कैसे वश में रखें ? कैसे पति को रिझायें ?  कैसे कपड़े पहनें ? क्या रात को करें ? क्या दिन में करें? बिस्तर पर क्या व्यवहार करें ? क्या करें कि पति आपकी ओर आकर्षित ही रहे ?  आप ऐसा करें ? या  आप वैसा करें ऐसे कितने ही ऐसे लेख हम सब के सामने अक्सर आते रहते  है ।कभी हम पढ़ लेते है कभी नजर अंदाज करते हैं किसी का टाइटल इतना आकर्षक होता है लेख के  भीतर कुछ भी नही ।ऐसे लेख छप इस लिए रहें है कि समाज मे यह समस्या तो है  जिस पर बात की ही नही जाती है आपसी सम्बन्धो में  अनेक ऐसे मामले हैं जो थोड़ी सी समझदारी से हल किये जा सकते थे ।पर समय रहते उस विषय पर समझ पैदा करने वाला कोई नही था । किसी अच्छे काउंसलर  की सलाह लेना मंहगा भी है और सब की पंहुच में भी नही है । समस्या जिन्हें है वह उन से बात कर रहे होते हैं जो उनके आस पास उपलब्ध है जरूरी नही कि समस्या सुनने वाले मित्र या परिजन इतने परिपक्व या अनुभवी हों कि कोई राय दे सकें ।अक्सर हल निकल नही पाया । 

   मैं भी  इस विषय पर अपना  दृष्टिकोण सांझा करूँ ।
विवाहेतर सम्बन्ध का अर्थ है विवाह के बाद किसी अन्य स्त्री या पुरुष से बनाये गए सम्बन्ध और अधिकतर इसका आशय  अन्य स्त्री या पुरुष से बनाये गए शारीरिक संबंधों के संदर्भ में ही लिया जाता है ।
आज हम इस विषय पर  विस्तार से चर्चा कर लेते हैं समझने की कोशिश करते है ।सब से पहले हम सब को यह जानना है मनुष्य की मानव की हम इंसानो की प्रकृति क्या है ? दरअसल मनुष्य जैविक रूप से ही किसी एक साथी के साथ रहने के लिए बना ही नही है मनुष्य अपने जीवन मे अनेकानेक स्त्री पुरषों सम लिंगियों उभय लिंगियों से सम्बन्ध बनाता है ।आप यदि प्रकृति को करीब से समझे तो पूरी सृष्टि में केवल पक्षी ही हैं जो 90 प्रतिशत एक साथी संग रहते जीते और मरते हैं स्तनपायी जीवों में यह व्यवहार नही मिलता है  6500 स्तनपायी जीवों की प्रजातियों में खुले सम्बन्ध ही होते है ।मनुष्य के जैविक इतिहास में मनुष्य एक साथी रखने वाला प्राणी नही है । यह उसकी प्रकृति ही नही है ।विकास के क्रम में मनुष्यो ने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अन्य जीवों पर अपनी सत्ता बनाने और बनाए रखने के लिए  समाज बनाया । एकल की ताकत और झुंड की ताकत में फर्क होता है और सत्ता जैविक है जो बलशाली है वही जीवित है । मनुष्यो का एक झुंड समूहिक नियंत्रण में रह कर अपना सार्थक  विकास करता रहे इसके लिए समाज ने नियंत्रण के नियम बनाये और लागू किये ।सब कबीलों के अपने नियम कायदे कानून ।यौन व्यवहार पर नियंत्रण के लिए भी कानून बनाये ।हर कबीले के लोगो का यौनिक व्यवहार और उसके नियम अलग अलग मिलेंगे ।कहीं पर किसी तरह के व्यवहार को मान्यता मिली हुई होगी ।कहीं पर वर्जित होगा ।एक बात तय है कि हर नियम कबीले के ताकतवर के पलड़े में झुका हुआ मिलेगा ।बहु पति व्यवस्था ,बहु पत्नी व्यवस्था ,रिश्ते नातों में भी किस किस से सम्बन्ध जायज किस से नाजायज कहलाये जाएंगे सब समाज की देन है ।प्रकृति को तो अपना च्रक निर्बाध चलाने के लिए एक नर और एक मादा की ही जरूरत है और उनके बीच दैहिक संबंध बनवाने के लिए दिमाग मे रसायन के स्त्राव का प्रबंध भी दे कर भेजा गया है जिस दौरान वह रसायन रिसता है तो बुध्दि जड़ रहती है ।प्रकृति का एक मात्र लक्ष्य है प्रजनन वह उस व्यवस्था में आज तक खरी है ।
चलिए आगे बढ़ते हैं अब आते है विवाह पर ।यौन व्यवहार पर  नियंत्रण और प्रजनन सुनिशिचत हो सके और इस से होने वाली संतान की भरण पोषण की जिम्मेदारी किसी के कंधे पर डालने के लिए विवाह की व्यवस्था का निर्माण हुआ ।इसी जिम्मेदारी के निर्वहन हेतु पितृ सत्ता और मातृ सत्ता व्यवस्था का  निर्माण हुआ ।अगर सारी पूंजी सम्पति साधन संसाधन का मालिकाना हक स्त्री के पास हो तो उस कबीले में हर बच्चे के भरण पोषण की जिम्मेदारी स्त्री की ।और यदि बच्चों का भरण पोषण पुरुष की जिम्मेदारी तो सारा धन साधन संसाधन पर अधिकार पुरुष का ।
सत्ता या व्यवस्था कोई भी सब के केंद्र में रहा बच्चों का भरण पोषण ।यदि सन्तान न हुई यदि सन्तान न बची तो सब खत्म ।इतिहास कथा कहानी सभ्यता सब खत्म 
। प्रजनन करना है नई  पीढ़ी को बनाना भी है  बचाना भी  है । विकास के क्रम में ही ईश्वर की अवधरणा पुख्ता हुई धर्म आस्था यह सब निर्माण हुआ और इंसान को केवल और केवल  ईश्वर से डर लगा  क्योंकि उस की नजर उस से ज्यादा ताकतवर वही था । और समाज ने इसी कमजोरी को पकड़ते हुए विवाह के नियम में  ईश्वर को साक्षी रख लिया ताकि यह व्यवस्था बनी रहे और यौनिक नियंत्रण सधा रहे इस नियंत्रण को साधने से अनेक उत्पात नियंत्रण में आ गए ।बहुत कुछ सध गया ।यह अकाट्य फार्मूला सिद्ध हुआ जो प्राकृतिक रूप से स्वतन्त्र जीव पर नकेल कसने में कामयाब हुआ और परिवार कुटुम महत्वपूर्ण बन गए ।समाज मे आश्चर्यजनक नियंत्रित सामाजिक  व्यवस्था बन गई और कबीले संस्कृतियां फलने फूलने लगी ।अपवाद में जो भी घटित होता गया उसी के अनुसार नियम बनते चले गए ।
अब 2022 है विश्व भर  के मानव  कबीले  इतना लंबा कई सौ  हजारो वर्षो का सफर कर चुके है ।गगन चुम्बी इमारतों के  भौतिक विकास से होते हुए मंगल पर जाने के वाहन भी बन गए और चले भी गए ।ये अलग बात है कि हमारा चन्द्रयान तो भटक कर  किसी खड्डे में पड़ गया और हमें कभी कोई  नासा  पड़ोसी बताता है कभी कोई बताता है कि जी आपका बालक यहां देखा है कोई कहता है वहां है पर हमारा वाहन न मिला ।अब तो हम नया बनाएंगे तमाम दुनिया मे सब से  सस्ते में  बनायेनंगे और इस बार  रास्ते पर ज्यादा नजर रखेंगे हम और इस बार तो  यात्रा का उद्घटान तो बिल्कुल  नही करवाएंगे किसी से भी चाहे प्रधन्मन्त्री ही क्यों न हो ) 
जिस विषय पर लेख चल रहा  है वह भी चंद्रयान की तरह भटक सकता है तो चलो पुनः लौटते है विवाहेत्तर सम्बन्धो की ओर । हम वर्तमान संदर्भ में इस लेख को आगे बढाते हैं ।


भारत मे समाज अब तेजी से बदल रहा है खास तौर पर वैवाहिक मान्यताएं और सामाजिक व्यवस्थाएं बदल रही हैं आज से मात्र दस वर्ष पूर्व भी अधिकतर भारतीयों ने "ओपन मैरिज" नामक चिड़िया का नाम भी नही सुना होगा .पर आज प्रचलन में है विवाहित स्त्री पुरुष आपस मे भी सम्बन्ध बना लें और पति अपनी मर्जी से पति अपनी मर्जी से  चाहे कहीं भी सम्बन्ध बना लें पर साथ साथ बने भी रहें ।यह बात मैं अपनी सास को बता दूं तो उसको तो पसीने आ जाएंगे ।वे हक्की बक्की रह जाएगी मुँह खुला का खुला रह जायेगा ।कहेगी हे राम पढ़ाई लिखाई इसे इसे काम सिखावे या तो कोई काम की पढ़ाई ना हुई ।
अब मैं उन वैवाहिक जोड़ो की ओर मुखातिब होती हूँ जो केवल विवाह हेतर सम्बन्धो के कारण  तलाक की दहलीज पर खड़े  है । और अबोध  बच्चे न उस घर के   अंदर हैं न बाहर न ही उन्हें दहलीज का ही पता है ।
हालांकि तलाक के मामलों में केवल विवाह हेतर संबध ही एक अकेला कारण नही है आपसी हिंसा ,कमाई का न होना , व्यसन  ,व्याधि,  सन्तान का न होना ,सेक्स का न होना एवं  अन्य भी  छोटे बड़े  कारण है  जो दो विवाहितो को अलग करते हैं ।

लोग विवाह के बाद भी दूसरे के प्रति आकर्षित क्यों हो जाते हैं ? 
मनुष्य स्वभाव और प्रकृति से एक साथी से सम्बन्ध रखने वाला प्राणी नही है ।वह बार बार आकर्षित होगा बस उसे फुरसत और इसके लिए  उचित परिस्थितियां मिलेंगी तो यह प्रयोग कर ही लेगा ।कभी नही चूकेगा ।(अपवाद यहां भी हैं )
व्यक्ति हर उस चीज की ओर आकर्षित होता है जो उसकी पंहुच से बाहर हो और अगर कभी उस से पंहुच से बाहर की चीज स्वयं चल कर आ जाए तो पौ बारह है ही  । किसी नए साथी से मिलने वाली अटेंशन में रोमांच है यह नितांत नया अनुभव होगा ।नई नजदीकी नई गन्ध का अनुभव होगा दिमाग मे एंडोर्फिन लेवल बढेगा और वही नशा बार बार ट्रिगर करेगा । आनन्द की अनुभूति तो  होती ही  है ।आप को कोई चाहने लगता है तो स्वयं पर विश्वास बढ़ने लगता है ।यह तो अपेक्षित ही है कि अगर किसी नए व्यक्ति के संपर्क में  आ जाये और यदि  वह व्यक्ति  उस का प्रसंशक भी  है तो वह प्रतिदिन या दिन में बीस बार प्रसशा के शब्द सुनने की लज्जत हासिल करेगा  ।  प्रसंशा से प्रसन्नता अतीव होगी ।आप डिमांड में हो यह भी भावना को बल मिलेगा ।
हम सब मनुष्य  सदैव दुसरो के गुणों से,  उनकी योग्यता से, उनकी लुक्स से , उपलब्धियों से ,ताकत से , प्रतिष्ठा से ,बुद्धि से ,अनुभव से  प्रभावित होते ही रहते है  और तो क्या ही कहें हम  मनुष्य तो किसी की एक छोटी सी अदा पर पर आकर्षित हो सकते है आकर्षण नितांत सहज और  जैविक है  आकर्षण के बाद का निकट सानिध्य और सहवास  बुध्दि की ही उपज है ।आकर्षण से हासिल हुई नजदीकी से बुध्दि संभावना खोजने निकल लेगी कि यहां पर इस से इतर भी कुछ अनुभव की गुंजाइश हो सकती है ।इस स्तर पर पुरुष की आतुरता तो देखते ही बनती है (कुछ  पुरषों को अपवाद में भी रख लेना चाहिए जिनकी बुद्धि में ब्रेक भी होते हैं  )
हम सब मे कोई न कोई  गुण प्रसंशनीय होता है किसी मे कोई गुण है किसी मे कोई  ।तो हमें वही व्यक्ति आकर्षक लगेंगे जैसे की हमें खोज होती है ।और यह खोज अवचेतन में होती है ।इसलिए आकर्षण कटघरे में नही पर उस के आगे कितना नियंत्रण किया गया ,या नियंत्रण सोचा नही गया वह कृत्य  कटघरे में लाएगा ।

और आप को याद करवा दूँ पितृ सत्ता समाज मे आज भी यह विचार उतना ही पुख्ता है आकर्षित हो कर आने वाली स्त्री के साथ बिना सहवास किये जाने देंने का मतलब मर्दानगी पर लानत है इसलिए वह उस स्तिथि तक लाने के लिए प्रपंच रच लेता है ।फर्क अब इतना आया है समाज मे।  कि अब यही सोच स्त्रियों के पास भी ट्रांसफर हो गई है कि यदि आकर्षित हो कर  कोई पुरुष आ ही गया था तो बिना कपड़े उतरवाए जाने कैसे दिया । इसलिए बराबरी दोनो तरफ हो रही है और आगे आगे और भी बदल जायेगा ।और अब तो इस तरह का ट्रैप लगाना  व्यवसाय बन गया है ।हालांकि यह फंदे यानी ट्रैप भी सदियों पुराने है पर कारगार आज भी हैं ।अंततः हनी ट्रैप का शहद बाद में कड़वे ही निकलेंगे ।
किसी पर टपक जाए उस को ले बैठेंगे चाहे विवाह हो,परिवार हो व्यापार हो या सत्ता ।
इसी आकषर्ण को बनाये रखने के लिये तो श्रृंगार ,वेश भूषा ,सुगन्धों का ईजाद हुआ यह न होता तो आज भी बिना पत्तों के या सब एक जैसे पत्तों से लिपटे  बालों की जटाएं बढाये हुए यूँ ही घूम रहे होते ।ये शिनैल नाम के पर्फ्यूम की खोज हुई ही न होती ।
सदा आकर्षक बने रहने के लिए इतना बड़ा बाजार है सदियो से  बाकायदा प्रशिक्षण दिया जाता रहा है कि कैसे सदा आकर्षक रहें ।जो इधर उधर साइटों पर आप लेख आप पढ़ते हो ना कि पति को  या पत्नी को कैसे काबू में रखा जाए वह यही अदाएं ही  सिखाते है ।यह नीम हकीम खतरा ए जान है क्योंकि हर मनुष्य अलग है अलग संस्कृति मूल्यों में बड़ा होता है इसलिए इस लेखों और वीडियो में बताए जा रहे  पति को न्यूड हो कर सरप्राइज देने का उपाय यहां नही चलता बल्कि उल्टे  दो थप्पड़ पड़ सकते हैं ।
हमारे पूर्वजो को   इस आकर्षण के सिद्धान्त का पता था इसलिए वह चरित्र निर्माण पर बल देते थे यानी स्व  नियंत्रण पर बल देते थे ।ताकि मैन मेड या वीमेन मेड विपदाओं से बचा जा सके ।
आगे बढ़ते हैं 
रिश्ते में विश्वास घात होता है तो क्या होता है ?

जिस समाज मे काम काम जो छुप कर किया जाए वह उस समाज अनुरूप  निसन्देह गलत है ।गलत को तो उ छुपाने के झूठ बोला जाएगा ।और झूठ को स्थापित करने के लिए झूठ बार बार बोला जाएगा ।झूठ पकड़ा भी जाएगा ।आपसी बातचीत में तल्खी आएगी ।आपसी  कड़वाहट,शारीरिक व शब्दिक  हिंसा ,आरोप प्रत्यारोप होगा एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया जाएगा ।असुरक्षा होगी ।अवसाद ,ग्लानि ,सब चले जायेंगे ।मानसिक पीड़ा होगी ।ठुकरा दिए जाने का एहसास बहुत पीड़ा दायक होगा ।क्रोध होगा बच्चों पर यह क्रोध उड़ेल दिया जाएगा ।अहं को चोट पंहुचेगी ।स्वाभिमान गिर जाएगा । असुरक्षा होगी ।घर टूटने की चिंता ।सर से छत निकल जाने की चिंता  ।खुद के और बच्चों की रोटी पढाई लिखाई सब की चिंता ।समाज के ताने,  उलाहने उपहास की चिंता ।हर तरह की असुरक्षा और भी उग्र और हिसंक बना देगी माहौल को ।एक रिस्ते के खत्म होने का  मनोबैज्ञानिक ,दंड भी होता है ,आर्थिक दंड भी होता है और सामाजिक दंड भी होता है ,यह व्यवस्था सामाजिक है समाज द्वारा पुरस्कृत और  स्वीकृत है इसलिए समाज का दबाव भी आएगा ही ।हमारा कानून भी सहजता से विवाह को टूटने नही देना चाहता ।

 रोमांचक खेलो में एक चेतावनी लगी होती है "  आप की जान का खतरा हो सकता  है " वहां पर तो केवल आप की जान जाएगी पर इस इंफीडिलिटी नामक  रोमांचक खेल में  में तो पूरे परिवार का जीवन भर का रोमांच खत्म जाएगा  और कई बार तो साथी दुनिया से ही  चला जाता है  और वह भी बच्चों सहित ।इसलिए यह बहुत खतरनाक है इस मे धैर्य और संयम ही काम आएगा ।
जितना बच सके तो बच लें ।


कैसे पता करें कि साथी चीटिंग कर रहा है?
यह पता लगाना कि साथी धोखा दे  कर रहा है तो बड़ा आसान  है  और थोड़ा मुश्किल भी ।
दो तरह के धोखेबाज होते है एक तो  धोखे देने में एक दम पारंगत और एक होते है साधारण से धोखेबाज 
साधारण की कैटेगरी में वह है जो कहीं आकर्षित हुए या कर लिए गए पर वे भावनाओं में बह गए और आगे बढ़ते चले गए कुछ सोच ही पाए । धीरे धीरे इतनी दूर निकल गए कि लौटने की सुध ही न रही ।वे तब तक बहते जाते है जब तक नया साथी उन्हें जमीन न दिखा दे ।
हर लहर का  एक समय होता है वह पूरे जोर से ऊपर उठती है और अंततः नीचे की ओर आती है ऊपर की ओर जाते हुए तो सब ऊपर ही ऊपर दिखता है  नए सपने नये आकाश नया जीवन ,सब रंगीन दिखता है और जब लहर लौटती है तो धरती भी दिखने लगती है और किनारे भी दिखते हैं और तल की गहराई भी दिखती है ।
तब परिवार छोड़ दिये बच्चे रस्म रिवाज सब दिखते हैं ।पर लौट आने का साहस नही जुटा पाते ।

नए नए प्रेम में पड़े व्यक्ति को हर कोई उसकी आंख से पहचान लेता है ।
1 वह आंखे चुराने लगता है 
2 झूठ बोलने लगता है 
3 व्यवहार में परिवर्तन आता है 
4 वह अधिक प्यार से पेश आने लगता है अपने स्वभाव के विपरीत 
5 या वह बहुत बेरुखी से पेश आता है 
6 अपनी निजी वस्तुएं लॉक में रखना लगता है 
7 फोन और सभी गैजेट्स पर लॉक लगा दिए जाते हैं 
8  किसी से फोन पर बात करने का लहजा बदला हुआ मिलता है 
9 किसी खास निश्चित वक्त पर बेचैनी होना ।रेस्टलेस हो जाता है 
10 बात बात पर  गुस्सा होना । चिड़चिड़ा पन प्रकट होना ।
11 तैयार होने में वक्त लगाना सोच कर पहनने लगना 
लुक्स पर ज्यादा ध्यान देना 
12 घर मे  मन नही लगना 
13 साथी से दूरी बनाना ।दूरी बनाने के बहाने बनाना 
14 बिना बताए घर से निकल जाना 
15 बाहर वक्त ज्यादा बिताना 
14 यात्राओं का बढ़ना 
15 खाने की आदतों का बदलना 
16 बातचीत का लहजा बदल जाना 
17 बोली में नए शब्दो का नए लहजो का प्रयोग बढ़ जाना 
18  जगह की पसंदगी  में बदलाव आ जाना 
20 संगीत की पसंद में बदलाव आना 

क्योंकि जब कोई व्यक्ति किसी के प्रेम आकर्षण में होता है तो वह अनजाने में वह सब आदते रुचियां अपने अंदर उतारने की कोशिश करता है जो उस के नए साथी को पसंद होता है ।यहां तक अनेक बार उठने बैठने के तरीके में भी बदलाव आ जाता है यह सब बदलाव अस्थायी होते है सिर्फ मादा को लुभाने के लिए जाने वाले करतब है जो हासिल हो जाने पर गायब हो जाते है और इंसान अपनी मूल प्रकृति में लौट आता है  ।धरती के सभी नर ।मादा को लुभाने के लिए कोई  झुंडों में जोर आजमाइश करता है कोई लड़ता है कोई नाचता है कोई पंख फैलाता है कोई चक्कर काटता है कोई सर नीचे टांगे ऊपर कर के करतब करता है कोई सींग चमकाने लगता है कोई कुछ करता है कोई कुछ पर सबका उद्देश्य एक ही है मादा से संसर्ग ।
ये जो नए नए परफ्यूम ट्राई किये जाते हैं नई नई कार सवारी यह सब  लुभाने वाले करतबों के आधुनिक रूप है ।
अब बात करते है दूसरी श्रेणी के मर्दो की जो घोर शातिर है उनकी पत्नियों को ताउम्र शक भी नही होता कि वे बाहर क्या कर रहे है ।वे ऐसी कोई हरकत नही करते जिस से वे पकड़े जा सकें ।वे परिवार और बच्चों की नजर में आदर्श पति और आदर्श पिता के रूप में स्थापित रहते है  कभी कोई लड़की आरोप लगा भी दे तो सारा परिवार कसमें खाता है उनकी और आरोप लगाने वाली को ही कटघरे में खड़ा करती है पत्नियां 
यानी पत्नियां उन पर छोड़ दी जाती है कि जाओ भिड़ लो इन से यह तुम्हारे सुहाग के लिए खतरा बन कर आई है।ये मर्द बुध्दि का आला इस्तेमाल करते है और सब व्यवस्थित रखते हैं ।इनके जीवन मे कितनी महिलाएं आई गई इनको भी याद नही होगा ।कुछ तो ऐसे हैं जिन्होंने अन्य महिला मित्रो को भी कभी निराश नही किया और वे भी  अपने अपने क्षेत्र में स्थापित कर दी गई भनक भी न लगी ।

और कुछ ऐसे है जो शातिर थे और उनको एक ही शातिर महिला ने जेल की हवा खिला दी ।ज्यादतर मर्डर एक दूसरे को धमकाने और बर्बाद कर देने वाले  
मैं अपने सामाजिक अनुभव के दावे से कह सकती हूं कि भारत मे  अवैध संबंधों के चलते  इतने तलाक नही हुए है जितने मर्डर हुए हैं । आज हम यदि यह रिसर्च करेंगे तो मर्डर का प्रतिशत ज्यादा होगा तलाक का कम 
और यदि मर्डर और आत्म हत्या दोनो को शामिल कर लेंगे तो तलाक की संख्या बौनी हो जाएगी । 

कुछ जोड़े ऐसे हैं जिनका सो कॉल्ड पहला प्यार,पहला ब्रेक अप  उनके जीवन में दोबारा आ जाता है और वे शिकवे गीले भुला कर पहला सा जीवन जी लेने की नाकाम कोशिश करते है और घर तोड़ बैठते हैं ।अक्सर इन में से किसी एक का तो पहले से ही बिखरा होता है अब इनका नोस्टाल्जिया दूसरे का भी तोड़ बैठते हैं ।


आपका साथी चीटिंग कर रहा है तो क्या करें ?
जब आपको पता चल गया है तो आप धैर्य से काम लें 
उतेजित मत हों ।उन से बैठ कर बात करें ।उन्हें अपनी बात कह लेने का मौका दें ।आप सख्ती न दिखाए न ही धमकाएं ।
वह गलती राह  पर हैं तो डरे हुए तो हैं ही  और डरा हुआ जीव ही आत्म रक्षा में पहला अटैक करता है वह आपको दोषी ठहरायेगा । आप पर आरोप लगाएगा कि तुम ऐसी नही हो वैसी नही हो ये और वो ।उन आरोपों से आहत हो जाओगे तो बुरा भला गाली गलौच करोगे ।हिंसा पर उतारू होगे ।इस से बेहतर है कि उन्हें ध्यान से सुना जाए ।समझाया जाए ।उन्हें विश्वास में लिया जाए और उन से ही पूछे कि आप बताओं हम आपका साथ कैसे दें ।हम अपने मे क्या क्या परिवर्तन लाएं ।

( आप हम से क्या चाहते हैं ) 
आप उन्हें रिश्ता टूट जाने की स्थिति में क्या क्या हानि हो सकती है वह समझाएं ।उन्हें सोचने और लौटने का वक्त दें 
सब से जरूरी कदम यह है कि अपने परिवार के सदस्यों और  माता पिता को विश्वास में लिया जाए उन से यह समस्या शेयर की जाए ।कभी माता पिता की मध्यस्थता और परिवार का दबाव भी काम कर जाती है ।आराम से बैठ कर शांत चित्त से धैर्य से  बात कर के ही हल निकालना  चाहिए हल इसी बात चीत में ही छिपा होता है लड़ने झगड़ने से कभी  हल नही निकलेगा ।कड़वाहट इतनी बढ़ेगी कि चाह कर भी तेजाब कभी कम नही होगा।

वैध या अवैध संबंधों की परिभाषा अलग अलग संस्कृति यो में तो अलग है ही पर व्यक्तियो की व्यक्तिगत मान्यताओ में भी अलग होंगी ।गलत और सही की परिभाषा सब की अपनी अपनी है।जिस बात को ले कर आप इतना ठगी हुई महसूस कर रही हूं दूसरे साथी की नजर में यह किसी अपराध की श्रेणी में ही न आता हो उसके लिए यह सब  कुछ  मायने ही न रखता हो ।सब लोग अपने विचार संस्कार  अनुभव अनुसार समस्या को अलग ढंग से देखते समझते है । आप अपने मूल्यों को दूसरे पर कभी थोप नही पाएंगी ।दूसरे को अपने जैसा सोचने और मानने को बाध्य नही किया जा सकता ।केवल अपनी सोच को बताया जा सकता है ।
प्रेम वही जो आजादी दे दे पँखो के काट रख लेने से पक्षी उड़ना तो नही भूलता ।बेशक वह अब उड़ न सकता हो पर मन उसका आसमान ही में रहेगा ।उसे उड़ने दीजिये थक कर लौट आएगा ।बस दरवाजा खुला रखिये ।
अनेक बार स्वतन्त्र समाज के विचार के प्रभाव से कुछ लोग बन्धन में घुटन महसूस करते हैं । लेकिन बाद में वह अनुभव करते है कि परिबार या साथी का होना घुटन नही बल्कि ताकत होता है क्योंकि इंसान अकेला नही रह सकता है ।उसे किसी की जरूरत जरूर महसूस होगी ।कुछ लोग ऐसा सोचते है कि वे परिवार भी छोड़ दे और जो नई गर्ल फ्रेंड बनाई है उस से भी न बंधे शादी न करें ।बस यूं ही फ्रीडम में रहे ।वे पश्चिम से प्रेरित हैं वे सब से ज्यादा घाटे में रहेंगे ।क्योंकि कोई भारतीय लड़की चाहे कितने ही वर्ष live इन मे रह ले अंततः वह भी शादी ही करना चाहेगी ।भारत मे रखैल बन कर कोई अभागी ही रहना चाहेगी ।
बाकी रोटी दो भी हो चोपड़ी हुई भी हों तो यह चल नही पायेगा ।
मेरा निजी तौर पर मानना है कि जब न निभ पाये तो अलग हो जाना बेहतर है बजाय कि कोई आत्म हत्या करे ।जीवन बेशकीमती है एक शादी विवाह जैसा बन्धन जीवन को लील जाने के लिए नही है । 


यह पोस्ट सिर्फ महिलाओ  के संदर्भ में लिखी गई है जिनके पति किसी न किसी अनैतिक रिश्ते में है 
इसके एक दम विपरीत अनेक स्त्रियां अनैतिक रिश्तो में हैं या होती है उनका मनोविज्ञान पूर्णता भिन्न है इसलिए उनके विषय मे एक और पोस्ट लिखूंगी फिर कभी ।
सुनीता धारीवाल 

6 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ एक ... हां सिर्फ कुछ एक को छोड़ कर हम ' सभी ' कभी नां कभी , कहीं नां कहीं , कम या ज्यादा एक आकर्षित होते हैं। इसे मानना या नां मानना एक बिल्कुल अलग बात है ।
    हम सभी , कही नां कहीं , कुछ नां कुछ , अपूर्ण हैं । हमारे पास कुछ ज्यादा भी है और कुछ कम भी । लिहाजा संतुलित नहीं हम लोग... असंतुलित हैं । अपने आप को संतुलित अवस्था में ले जाने के लिए हम कुछ देने , कुछ लेने और कुछ बांट लेने के लिए ता उम्र एक तलाश में रहते है । और संतुलन मिलता है तो भी कुछ क्षणों के लिए ।
    तलाश का सफर ता उम्र जारी रहता है ।

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  2. समाज की इस सच्चाई को बहुत सूझ बूझ व सुन्दर ढंग से प्रस्तुत करने के लिए आपकी लेखनी को नमन।

    जहाँ जाना/रहना ना हो मुमकिन, उसे खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ देना ही अच्छा (अगर परस्पर सम्बंधों की बागडोर सम्भाले ना संभले ....अवसाद की स्थिति में बने रहना/ आत्म हत्या/ हत्या कोई हल नहीं )

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  3. समाज की तस्वीर के इस रुख की संजीदगी के साथ उम्दा अभिव्यक्ति। इसमें उठते प्रश्नों के उत्तर या समाधान मिलेंगे या नहीं,यह तो पता नहीं, परन्तु हत्या या आत्महत्या तो कतई इसका न तो उत्तर है,न ही समाधान।

    पूजा सूद डोगर
    शिमला

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