गुरमीत बावा दूरदर्शन पर गाने वाली पहली गायिका बनी थी । जब गुरमीत बावा की मां का देहांत हुआ तब वे मात्र 2 वर्ष की थी पढ़ाई लिखाई के संकल्प ने उन्हें उस क्षेत्र की पहली टीचर होने का गौरव दिलाया ।जब लड़कियों की स्कूली शिक्षा प्रचलन ने नही तब गुरमीत ने जूनियर बेसिक टीचर की पढ़ाई कर ली थी ।
वे शौकिया गाती थी और बाद में व्यवसायिक गायिका बनी ।वे तुम्बी ,चिमटा ढोलकी , अल्गोजा जैसे पारंपरिक वाद्यों से संगत कर गाती थी ।उनके इस लोक रंग में गाने के अंदाज ने न केवल लोक साजों को अंतरराष्ट्रीय मिली बल्कि भारतीय महिलाओं को भी पहचान मिली ।रूस ,लीबिया ,बैंकाक,थाईलैंड ,जापान सहित अनेक देशों में उन्होंने लोक गीत गाये और भारत की लोक संस्कृति का प्रतिनिधित्व किया ।
उन्हें पूर्व में पंजाब सरकार राज्य पुरस्कार ,शिरोमणि गायिका ,संगीत नाटक अकादमी द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है इस बार पदम् श्री पुरस्कार दिया गया है ।
फरवरी 18 1944 में गुरमीत बावा का जन्म अविभाजित भारत के गांव कोठे जिला गुरदासपुर में हुआ था पिछले वर्ष 21 नवम्बर 2021 को अमृतसर में देहांत हुआ । बीते दिनों उनके परिवार के सदस्यों ने सरकार द्वारा गुरमीत बावा की अनदेखी की बात सोशल मीडिया साक्षात्कारों में भी उठाई थी और पदम् श्री दिए जाने की मांग की थी । उन्हें रोष था ऐसी कलाकार जिस ने सारी उम्र लोक विरासत को सहेजने और सवांरने में लगाई हो सरकार द्वारा उन्हें पदम् पुरस्कारों लायक नही समझा गया ।
पर अब जब उन्हें यह पुरस्कार दिया जाना है तो वह इस दुनिया मे नही हैं ।
गुरमीत बावा को बधाई वे जहां है वहां तक यह सलाम पँहुचे ।
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