तीस वर्ष पहले रेबेका अपने बुरे वैवाहिक रिश्ते में पति द्वारा किये जा रही हिंसा और उत्पीड़न से गुजर रही थी ।वह समझती थी जैसे किसी निचले दर्जे की प्राणी है उस के साथ अमानवीय व्यवहार होता है लेकिन जब उस ने अपने आस पास देखा तो उस से पाया यह सब सहन करने वाली वह अकेली महिला नही है बल्कि अनेक महिलाएं पतियों द्वारा हिंसा और उत्पीड़न का शिकार हैं महिलाओं के मार खाना हिंसा सहना एकदम सामान्य था ।छोटी छोटी बालिकाओं का विवाह कर देना और उनके पारंपरिक तौर पर ब्लेड से योनि अंग भंग कर देना भी सामान्य था ।उसका कहना है कि
मेरे समाज मे लड़कियों का अंग भंग करना इतना सामान्य है कि विवाह से पहले हर लड़की को इस यौन अंग भंग करने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता ही है ।
महिलाओ को उत्पीड़न से मुक्त करवाने के लिए उस से सब से मदद की गुहार की ।
उस ने बताया कि उस ने सरकारी प्रशासन से हिंसा की शिकार महिलाओं की मदद करने के लिए कहा पर कोई सुनवाई नही हुई सब से पीठ मोड़ ली
तंग आ कर एक दिन उस ने और अन्य 14 महिलाओं ने अपनी अलग दुनिया बसाने का निर्णय लिया ।
रेबेका ने बताया कि
हम ने तय कर लिया कि हमें पुरुषों की कोई जरूरत नही हम अपने आप ही अपना सब कुछ खुद कर लेंगी ।समाज के सभी पुरषो ने सोचा कि औरते खुद ही बिना किसी पुरुष की मदद से अपना गांव बसा सकती है उन्हें हमारी जरूरत तो पड़ेगी ही ।पर रेबेका और उसकी साथी महिलाओं ने पुरषो के सारे आकलनों को गलत ठहरा दिया उन्होंने मिल कर थोड़ी सी जमीन खरीदी और उसका नाम रखा उमोजा जिसका अर्थ है यूनिटी यानी ..और उन्होंने सब काम स्वयं किया मिट्टी और पेड़ों को काट कर लकड़ी से अपनी झोंपड़ियां बनाई ।उन्होंने पारंपरिक आभूषण बनाये और पर्यटकों को बेचना शुरू कर दिया उन्हें पैसा मिलने लगा ।उन्होंने यहां पर स्कूल भी बनाया अपने बच्चों को पढाना शुरू किया ।लड़कियों को भी शिक्षित करना शुरू किया ।उन्होंने सब कुछ पुरुषों की मदद के बिना किया ।वे यहां काम करती हैं नाचती गाती है और शांति से अपना जीवन बिना पुरषों के बिता रही हैं वे अपनी इस हिंसा मुक्त दुनिया मे खुश है और कोई पुरुष यहां फटक भी नही सकता ।यहां की महिलाओं के पुरुष मित्रों को भी इस गांव में आने की इजाजत नही है
शुरू में पुरषो को बहुत जलन हुई उन्होंने गांव के इर्द गिर्द चारो तरफ घर बना लिए ताकि उमोजा जाने वाले पर्यटकों का रास्ता रोका जा सके ।वहां के पुरुष उमोजा में जबरन घुस कर महिलाओं से मारपीट करते थे ।देखते देखते यह गांव अब 100 महिलाओं का गांव बन चुका है ।यह कहानी महिलाओं की सफलता की कहानी है जब उन्हें अवसर दिया जाए तो वह सिद्ध कर के दिखाती है वह अपनी क्षमता को साबित करती हैं वे दिखाती हैं कि वे नेतृत्व कर सकती हैं वे व्यापार कर सकती है वे अपने दम पर फल फूल सकती हैं ।परंतु दुर्भाग्य से अनेक परिस्थितियों में महिलाओं को अवसर ही नही मिलते कि वह स्वयं को साबित कर सकें ।
रेबेका कहती हैं उन्हें शुरुआत में बहुत मुश्किलें आई उन्हें पुरषों ने परेशान किया गया हमें इस जगह से खदेड़ने के लिये जोर लगाया ।पर हम ने अपना मनोबल और दृढ़ इच्छा को बनाये रखा ।
हमारी सरकारों को ऐसी नीतियां बनानी होंगी जो महिलाओं के ज्यादा अवसर देने में सक्षम हों ।और माता पिता होने के नाते हम सब को अपने बेटों को शिक्षित करना होगा कि वह औरतों का सम्मान करें ताकि न सिर्फ एक यह गांव बल्कि पूरी धरती ऐसी हो जाये जिस में महिलाएं अपनी सफलता का जश्न मना सकें वह सफल हो सकें ।
सुनीता धारीवाल
स्त्रोत गूगल व you tube
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