यह देखो सब : कंगारू आश्चर्यचकित करता है जिसका भ्रूण माँ के स्तन से दूघ पीता है मेरे लिए यह अति हैरान करने वाली जानकारी थी ।मेरे ज्ञान में सिर्फ यह था कि कोई भी स्तन धारी जीव का बच्चा जन्म लेने के बाद ही माँ स्तन से दूघ पी कर बड़ा होता है ।पर मैं हैरान रह गई कि कंगारू का भ्रूण सीधे स्तन से ही आहार लेता है ।कंगारू की थैली (धानी ) में ही उसका बच्चा बड़ा होता है थैली इतनी चिपचिपी होती है भीतर से जिसके कारण भ्रूण और बच्चा भी उछल कर बाहर नही गिरते । कंगारू के ऊंची ऊंची छलांग लगाने के बावजूद भी बच्चा थैली में सुरक्षित रहता है ।आप से फोटो शेयर कर रही हूँ ।
कंगारू आस्ट्रेलिया में पाया जानेवाला एक स्तनधारी पशु है। यह आस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु भी है। कंगारू शाकाहारी, धानीप्राणी (मारसूपियल, marsupial) जीव हैं जो स्तनधारियों में अपने ढंग के निराले प्राणी हैं। इन्हें सन् 1773 ई. में कैप्टन कुक ने देखा और तभी से ये सभ्य जगत् के सामने आए। इनकी पिछली टाँगें लंबी और अगली छोटी होती हैं, जिससे ये उछल उछलकर चलते हैं। पूँछ लंबी और मोटी होती है जो सिरे की ओर पतली होती जाती है।
कंगारू के पैरों में अँगूठे नहीं होते। इनकी दूसरी और तीसरी अँगुलियाँ पतली और आपस में एक झिल्ली से जुड़ी रहती हैं, चौथी और पाँचवीं अँगुली बड़ी होती हैं। चौथी में पुष्ट नख रहता है।
कंगारू की पूँछ लंबी और भारी होती है। उछलते समय वे इसी से अपना संतुलन बनाए रहते हैं और बैठते समय इसी को टेककर इस प्रकार बैठे रहते हैं मानों कुर्सी पर बैठे हों। वे अपनी अगली टाँगों और पूँछ को टेककर पिछली टाँगों को आगे बढ़ाते हैं और उछलकर पर्याप्त दूरी तक पहुँच जाते हैं।
कंगारू का मुखछिद्र छोटा होता है जिसका पर्याप्त भाग ओठों से छिपा रहता है। मुख में निचले कर्तनकदंत (इनसाइज़र्स, incisors) आगे की ओर पर्याप्त बढ़े रहते हैं, जिनसे ये अपना मुख्य भोजन, घास पात, सुगमता से कुतर लेते हैं। इनकी आँखें भूरी और औसत कद की, कान गोलाई लिए बड़े और घूमनेवाले होते हैं, जिन्हें हिरन आदि की भाँति इधर-उधर घुमाकर ये दूर आहट पा लेते हैं। इनके शरीर के रोएँ पर्याप्त कोमल होते हैं और कुछ के निचले भाग में घने रोओं की एक और तह भी रहती है।
कंगारू की थैली उसके पेट के निचले भाग में रहती है। यह थैली आगे की ओर खुलती है और उसमें चार थन रहते हैं। जाड़े के आरंभ में इनकी मादा एक बार में एक बच्चा जनती है, जो दो चार इंच से बड़ा नहीं होता। प्रारंभ में बच्चा माँ की थैली में ही रहता है। वह उसको लादे हुए इधर-उधर फिरा करती है। कुछ बड़े हो जाने पर भी बच्चे का सबंध माँ की थेली से नहीं छूटता और वह तनिक सी आहट पाते ही भागकर उसमें घुसजाता है। किंतु और बड़ा हो जाने पर यह थेली उसके लिए छोटी पड़ जाती है और वह माँ के साथ छोड़कर अपना स्वतंत्र जीवन बिताने लगता है।
आस्ट्रेलिया के लोग कंगारू का मांस खाते हैं और उसकी पूँछ का रसा बड़े स्वाद से पीते हैं। वैसे तो यह शांतिप्रिय शाकाहारी जीव है, परंतु आत्मरक्षा के समय यह अपनी पिछली टाँगों से भयंकर प्रहार करता है।
सुनीता धारीवाल
Achhi jankari
जवाब देंहटाएंvery nice information
जवाब देंहटाएंVery good information..suneeta mam u always bring amazing facts always .we r thankful to u.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंबहुत ही आश्चर्यजनक जानकारी दी है आपने। पढ़कर ज्ञान वर्धन हुआ । अद्भुत!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आप सभी का इस पोस्ट तक आने के लिए और पढ़ने के लिए
जवाब देंहटाएंआभार
Amazing! Nature is full of such surprises. We need to explore more and more. Thanks for the beautiful write up!
जवाब देंहटाएंAmazing facts about kangaroo…kangaroo care is also called skin to skin contact.It is a technique of newborn care of pre-term babies where babies are kept chest to chest & skin to skin with parents.
जवाब देंहटाएंAmazing fact...Thanks Sunita ma'am for sharing this wonder of Nature
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