रविवार, 2 जनवरी 2022

कैमल टो आखिर है क्या जिसकी इतनी चर्चा है - जानिये क्या हैं दिखाऊ छिपाऊ पैड्स "Camel Toe: Exploring the Trend, Its Impact, and the Psychology Behind the Fashion"









अनेक वेब  पोर्टल पर और  अनेक ऑनलाइन चर्चाओं में आजकल कैमल टो की बात हो रही है आप भी सोच रहे होंगे कि अचानक सर्दियों में यह ऊंट के पंजों का जिक्र क्यों हो रहा है ।दरअसल बाजार में कैमल टो के नए  प्रोडक्ट की रेंज उपलब्ध है और इश्तिहार ध्यान खींच रहे  है अंतराष्ट्रीय बाजारों से होते हुए आजकल यह स्थानीय दुकानों पर भी उपलब्ध है यह है कैमल टो हाईड पैड और कैमल टो एन्हान्सिंग पैड ।और यह प्रोडक्ट महिलाओं के लिए है और अंतरंग है इसलिए चर्चा में हैं ।
आप और  हम सभी जानते हैं कि महिलाओं की योनि का आकार कैसा है वह कैसा दिखता है ।








अब आप ऊँट के पंजो की यह तस्वीर देखिये ।जिसमे उसकी उंगलियों के बीच बाँटने वाली रेखा है इसी रेखा को स्त्री योनि के  दोनों द्वार बन्द होने से  बीच की जुड़ने वाली रेखा को  ऊंट के पंजो की रेखा से समानता कर के शब्द घड़ लिया गया है कैमल टो ।
भारत के संदर्भ में हमारी अधिकतर वेश भूषा साड़ी सूट लूंगी घाघरा सब वह पोशाके हैं जिस में शरीर का आकार प्रकट नही होता ।टांगो का आकार भी बाहरी रूप से प्रकट नही होता योनि का आकार तो दूर की बात है ।मुझे इस पर एक बात याद आ रही है कि कुछ बीस  वर्ष पहले  लगभग 95 वर्ष के बुजुर्ग ने कहा था कि उस ने कभी औरत की टांगो को दिन की रौशनी में देखा ही नही था  वह केवल अंदाजा लगा सकते हैं पर नंगी आंखों से नही देखा ।पत्नी का साथ भी उन्हें घुप्प अंधेरो में ही मिला है और उनकी वेश भूषा  घाघरे अथवा दामण में  से  कुछ दिखाई देने की संभावना ही नही होती  थी    ।

अब आते हैं कैमल टो की बात पर ।पर मुझे एक और संदर्भ याद आ गया मुझे अपने बचपन का एक वाक्या याद आ गया उन दिनों हम सेंटर २३ चण्डीगढ में रहते थे - बच्चों को बड़ों की बाते जिज्ञासा वश सुनने की आदत होती है और जो बात खुसुर फुसुर कर के हो रही हो उस पर जयादा ध्यान होता है सो मेरा भी हुआ अपनी माँ और उनकी पड़ोसन आंटियों की गुफ्तगू में -तब हुआ यूँ था कि  यहां चंडीगढ़ में हर सेक्टर में दूघ के बूथ हुआ करते थे सुबह सुबह  लोग लाइन लगा लेते थे और दूघ   के आने का इंतजार   करते थे ।तब  तक  आपस मे लोग बाते करते थे - राम रमैया ,इधर उधर की बात ।
   एक दिन सुबह  दूध लेने वाली लाइन में एक साहिबा आई जिन्होंने इतनी टाइट स्लैक्स पहनी हुई थी कि उस के भीतर योनि के आकार की झलक साफ दिखाई दे रही थी ।सब लोगों में सुगबुगाहट  फुसफुसाहट शुरू हो गई     और सब नज़रें चुरा चुरा कर उधर ही   देख रहे थे ।हंस रहे थे ।औरते आंखे तरेर रही थी और एक बड़े सरदार जी  बुजुर्ग तो वाहे गुरु वाहे गुरु ऊँचा ऊंचा बोल रहे थे ।और एक और रिटायर्ड अंकल जी हनुमान चालीसा जोर जोर से उच्चारण कर रहे थे कि चर्चाओ से सब का ध्यान हट कर उन तक आ जाये ।
चंडीगढ के मिल्क बूथ पर तो पूरी एक पोस्ट बन सकती है इस से कई संस्मरण मुझे याद आ गए हैं फिर लिखूंगी क्यूंकि मैं हर रोज मम्मी या डैडी के साथ उछलती कूदती जरूर जाती थी उनके साथ दूघ वाले बूथ पर -तो बहुत सी अन्य यादें भी जुडी है उन दिनों की -उन्हें भी कभी लिखूंगी 

चलो फिर से लौट आते हैं वहीँ कैमल टो  के विषय पर -तो चंडीगढ़ में वर्ष 1972 या 73  के आसपास  हमारे सेक्टर के कुछ नायब लोगों ने दूध के बूथ पर इस कैमल टो  के पहली बार सार्वजनिक दर्शन किये और महीनों तक घोर चर्चा चलती रही थी ।प्रतिदिन उस साहिबा का जिक्र और और कितनी आँखें उन्ही ऊंट के पैर  को निहारने के लिए लालायित रहीं  ।औरते शाम को भी जिक्र करती थी कि देखो कैसे अपनी "शेप " दिखाती घूमती है । उक्त कैमल टो  वाली महिला दोबारा बूथ पर दिखी या नहीं मुझे बिलकुल याद नहीं पर उसकी चर्चा जरूर याद है बस वहीँ से एक शब्द सीख गए थे हम वह था "शेप"  जिसे आज तक भी इसी तरह से इस्तेमाल में लाया गया जैसा तब लाया गया था 











आज इतने वर्षों बाद समय तो बहुत आगे निकल गया  -समय का पहिया घूमा तेजी से घूम गया है  -विश्व छोटा हो गया है  कपड़े बदल गए उन्हें  पहनने के ढंग बदल गए उन्हें कैरी करने के चलन बदल गए 


कैमल टो को सो कॉल्ड " शेप " शब्द का पर्याय बने महज दस या पन्द्रह  साल ही हुए है जब  समुद्री पर्यटन में गोता खोरी की लोकप्रियता बढ़ने लगी ।गोताखोरी के लिए शरीर से चिपकी हुई ड्रेस का विधान है ताकि पोशाक के कारण  जल की लहरों के बल के घर्षण से तैराक को   फर्क न पड़े ।
तब महिलाओ ने यह ड्रेस पहनी और यह जरूरी था कि ड्रेस अच्छे से कमर की ओर  चढ़ा ली जाए और और ऐसा करने से  योनि के  प्रकृतिक आकार और ड्रेस की सिलाई का संगम हो गया जिस से यह  उभार ज्यादा दिखने लगे ।तस्वीरों में स्पष्ट  कैद होने लगे -इसी तस्वीर में उभरे योनि के आकार की तुलना ऊंट जी महाराज के पैरों  से कर दी गई - किस ने की यह अभी तक ज्ञात नहीं कर पाई हूँ 

अब बॉडी हग्गिंग कपड़ो का भी चलन आ गया है जिम में जाने वाले वस्त्र भी ब्रांडेड है .बॉडी हग्गिंग माने तो त्वचा  से  चिपकने  वाले वस्त्रो की रेंज है ।जब वस्त्र इतना चिपकेंगे तो शेप चाहे स्त्री की हो या पुरुष की हो दिखेगी तो सही ।पुरुष कैसा दिख रहा है इस पर इतना हाहाकार कभी था नही न होने वाला है बस इस पर तो नजर इधर उधर की जा सकती है यही सामाजिक  प्रैक्टिस है परंतु यानी "शेप" स्त्री की प्रकट हो रही है तो वह तो रोमांच है पुरषो के लिए ।भेद इतना है कि अधिकतर स्त्रियां पुरुष की "शेप" दर्शन से मुंह फेर कर इधर उधर हो लेंगी पर पुरुष एकाग्र हो कर देखेगा और वहां से हिलेगा भी नही और यह भी दिखाने की पूरी चेष्टा करेगा कि देखो मैंने क्या देख लिया है और देखो कि मैं अब तक देख रहा हूं ।अपवाद तो हर जगह होते हैं कुछ पुरुष भी ऐसे होंगे जो नजर फेर कर निकल लेंगे ।पर उनकी गिनती बहुत कम है ।

चलिए विषय पर लौट आते हैं  तो बात हो रही थी बदन चिपकू कपड़ो की - यह बदन चिपकाऊ कपड़ो का चलन है बाजार में स्विम सूट , टाइट पैंट , लेग्गिंग ,जोगिग पैन्ट्स, सेलेक्स ,पजामी , शॉर्ट्स यानी निक्कर ,बिकनी , जिम वियर ,सब उपबल्ध है ।और युवितयाँ महिलाएं सब पहन रही है ।मैंने एक युवती से इन कपड़ो के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि आंटी इनको पहनने से आजादी का एहसास होता है इतने हल्के कपड़े कि पता भी न चले कि पहने भी हैं या नही और सारा पसीना तुरंत सोख लेते हैं । और स्वभाविक है कि बदन चिपकू स्टाईलिश  पोशाकों  में आपका  कैमल टो तो दिखेगा ही तो अब क्या करें - 

आपको बता दें कि समाज में  चार तरह की सोच की स्त्रियां है तीन तरह के लिए प्रोडक्ट उपलब्ध है 
पहली श्रेणी वह स्त्रियां जिन्हें यह "शेप" दिखाना पसंद नही है  वह असहज महसूस करती है उनको सार्वजनिक जगहों पर खेल में अपना प्रदर्शन करना है वह अनावश्यक किसी का ध्यान आकर्षित नही करना चाहती कि उनके परिश्रम के इलावा उसके शारीरिक अंगों पर न जाये तो वे कैमल टो हाईडिंग पैड्स चुन सकती है और ड्रेस के अंदर लगा कर "शेप" को ढक सकती हैं .यह स्त्रियां मुख्यतः  भारत एवम कुछ अन्य देशों में मिलेंगी ।यहां पर कैमल टो छिपाऊ पैड की बिक्री ठीक ठाक है ।
देखें चित्र 

अब जिक्र करते हैं अगली श्रेणी का  जिस में माहिलाओं को अपनी योनि पर सर्वजनिक गर्व करना है उन्हें दिखाना है यह देखने की यानी ध्यान आकर्षण करने की चीज है वह जान बूझ कर ऐसे ही वस्त्रो का चयन करना है जहां पर "शेप "दिखाई दे ।इसके लिए मार्किट में कैमल टो एनहांसर पैड्स बाजार में उपलब्ध है ताकि उनकी शेप यदि कम दिख रही है तो वे इसे ज्यादा कर के दिखा सके ।और अपनी ओर लोगों का  ज्यादा ध्यान आकर्षित कर सकें ।
देखें यह चित्र







अब आते हैं एक और श्रेणी की तरफ जिस पर हम ने कभी ध्यान ही नही दिया है यह है उन स्त्रियों की जिनका मन और दिमाग तो औरत का है पर शरीर पर ईश्वर ने पुरुष टांग दिया है ।अब करे तो क्या करें ।
वे स्त्री के कपड़े पहनेंगी क्योंकि वे हैं तो स्त्री ही पर ईश्वरीय  जैविक विधि के विधान के व्यवधान  के कारण अतिरिक्त मांस लटक रहा है पर उस से पीछा छुड़ाना बहुत महंगा है  त्रासदी है यह शल्य चिकित्सा बहुत महंगी है हर स्त्री इसे वहन नहीं कर सकती 
 कभी सोचती हूँ कि इन सब  स्त्रियों  लिए एक अदद योनि का होना कितनी बड़ी उपलब्धि है किसी ईश्वरीय चमत्कार से कम नही होगा ।अधिकतर स्त्रियां योनि को कोसती पाई जाती है पर इन बहनो से पूछ कर देखो तो ईश्वर की देन को सम्मान करना और प्रेम करना गहराई से आ जायेगा । कसम से कोसना बन्द कर दोगी ।
तो हां जानकारी यह है कि ऐसी स्त्रियां जिनके पास पुरुष का लिंग है पर उन्हें वह लिंग छुपा कर स्त्री सहज कैमल टो यानी  'शेप 'को दिखाना है तो उनके लिए बाजार में ऐसे पैड उपलब्ध है जिस में वह अपने लिंग को छुपा कर बाहर की तरफ़ से स्त्री के कैमल टो को दिखा सकती हैं ।

 वह स्वयं को  और ज्यादा स्त्री महसूस भी कर सकें और दुसरो को उनका स्त्री होना महसूस भी  करवा सकें ।
और हां अंततः एक श्रेणी वह भी है कि दुनिया जाए भाड़ में जिसको जो सोचना है सोचे जो कहना है कहे हम तो प्रकृति के हिसाब से चलेंगे ।जब परमात्मा ने जो दे दिया है तो उसके बारे में अच्छा या बुरा क्यो परिभषित करना बस   हम सहज रहें अपने शरीर के प्रति ।जो है जैसा है वह अपना लें क्यों हाय हल्ला करें ।बल्कि  समाज मे सभी को शरीर के प्रति इतना सहज हो जाना चाहिए कि छिपाने और उघाड़ने से फर्क न पड़ें यही प्रकृति का सम्मान होगा ।हम दुनिया की परवाह किये बिना कुछ भी जो सहज और आराम दायक लगेगा वही पहनेंगी ,हमको ब्रा पैंटी कैमल टो एट्सेक्ट्रा एट्सेक्ट्रा से घंटा फर्क नहीं पड़ता ,लोग चाहे  हमारी छातियों को  तोरियां कहें चाहे  बोरियां कहें हमें घंटा फर्क नहीं पड़ता - हमारी बड़ी बूढ़ियाँ भी ऐसे ही जीती रही हैं तो हम पर इतनी  आड़ी  तिरछी  नजर कयूं 
और अब अंत मे खुद के बारे में सोचूँ कि मैं कौन सी श्रेणी में हूँ तो मुझे लगता है कि मैं उस  हिप्पोक्रेट  श्रेणी में हूँ जिन्होंने खुद ने पहनना तो घागरा ही है जो सब छिपाए और सोचना यह है कि सब कुछ प्राकृतिक रूप से सामान्य हो जाये -दूसरों को  कपड़ों के आधार पर जज भी करना है   -और कहना भी यही है स्त्री की अपनी चॉइस है वह जो करना चाहे जैसे रहना चाहे उसकी स्वतन्त्रता है-
अब कैमल टो  की कहानी खत्म -यह पोस्ट जानकारी के लिए है और इसका सार  इतना ही है कि कैसे एक सोच के आधार पर बाजार खड़ा कर दिया जाता है ।बस  सोच का उदय और  अनेक उत्पाद हाजिर और बहुत से उत्पादों के व्यापार के लिए सोच बाकायदा बनाई जाती है विधिवत निर्माण किया जाता है। उत्पाद के लिए लोगों की सोच को बनाने के लिए विशेषज्ञ है जो बहुत पुरस्कृत है।हम इंसानो के मनोविज्ञान पर बाकायदा रिसर्च कर के उद्योग बनते हैं पहले हीनता का भाव का निर्माण करो फिर उस से उबरने के लिए उत्पादों का निर्माण करो ।
यह सिलसिला चलता ही रहेगा जब तक हम सब अपने प्राकृतिक आस्तित्व में बने रहना और जो है उसकी प्रसंशा करना सीख नही जाते ।
चलते चलते यह भी बता दूं कि जिस तरह कैमल टो नाम दे दिया गया है उसी तरह इसे व्हेल टेल भी कहा जाता है 




सुनीता धारीवाल 
लेख रोचक और जानकारी परक लगा हो तो शेयर  कीजियेगा और टिप्पणी भी कीजियेगा ।


Camel Toe: The Rise of a Controversial Trend and the Psychology Behind It

Lately, the term "camel toe" has been making waves across various web portals and online discussions. You might be wondering why, in the cold winter months, there is such a sudden buzz about camel paws. The answer lies in the introduction of new products in the market that are sparking attention—Camel Toe Hide Pads and Camel Toe Enhancing Pads. These products, specifically designed for women, have become the talk of the town, stirring up a blend of curiosity and intrigue.

To understand where this conversation is coming from, let’s take a closer look at the term "camel toe." We’re all familiar with the shape and appearance of the female anatomy, and when you observe a camel’s paw, you notice the distinct line that separates the toes. This line, in the world of fashion, has become metaphorically associated with the shape of a woman’s private area, leading to the coined term “camel toe.”

In India, many traditional garments like sarees, salwar suits, and ghagras hide the body shape, particularly the legs and private areas. The concept of body shape visibility was almost taboo, even in the past. A recollection from my childhood comes to mind—an elderly man once mentioned that in his 95 years, he had never seen a woman's legs in the light of day, not even his wife's, except in the darkest hours. In that context, even glimpsing a shape was rare, let alone discussing it openly.

Now, returning to the topic of "camel toe," I recall an interesting episode from my childhood in Chandigarh in the early 1970s. In those days, every sector in Chandigarh had a milk booth, and people would stand in long lines early in the morning, waiting for fresh milk. As the queue moved slowly, casual conversations were common. One day, a woman arrived in tight slacks that clearly showed the shape of her private area. This sparked whispers and giggles among the people in line, with some even trying to avoid looking while others couldn’t stop staring. The incident, though small, left a lasting impression. The word “shape” became ingrained in our vocabulary from that moment on, referring to the silhouette of the female body that became a topic of conversation.

Fast forward to the present day, and the world has changed drastically. Fashion trends, especially in swimwear and body-hugging clothes, have become a global phenomenon. As body-hugging outfits, including leggings, skinny pants, and swimsuits, gained popularity, the "camel toe" became more noticeable. These outfits, which are designed to fit closely to the body, often highlight the shape of a woman’s private area. This visibility, once considered taboo, has now become a part of mainstream fashion.

Body-hugging clothing has become a staple for both athletic and casual wear. When people—especially women—wear these clothes, it’s no surprise that "camel toe" is visible. One young woman I spoke to mentioned that wearing these clothes gives her a sense of freedom and comfort, as they are lightweight and instantly absorb sweat, making them ideal for modern lifestyles. However, with these benefits, comes the attention to the "shape," a term that now carries both pride and a certain level of discomfort for others.

There are four categories of women when it comes to dealing with the visibility of body shapes in fashion:

1. The Modesty Seekers: These women prefer not to reveal their shapes and would feel uncomfortable if their body contours are noticed in public. They might choose Camel Toe Hide Pads to smooth out the silhouette and keep things discreet. These products are particularly popular in countries like India, where modesty remains a cultural norm.


2. The Attention Seekers: On the other hand, there are women who embrace the visibility of their shape and prefer to accentuate it. These women are more likely to choose Camel Toe Enhancing Pads, which enhance the appearance of the “shape,” making it more prominent. This group seeks attention and is not afraid to let the world know they’re confident in their body.


3. Transgender Women: A lesser-discussed group, transgender women, may find themselves caught between the desire to present as women but with male anatomy. For them, the option of using products that help shape or hide their anatomy while showcasing the feminine silhouette becomes essential. These products help them achieve the desired look without the need for expensive surgery.


4. The Naturalists: Lastly, there are those who simply don’t care about others' judgments. For these women, the natural body is the way to go. They embrace their bodies as they are and wear whatever feels comfortable without worrying about the societal expectations of modesty or shape. They believe in honoring their natural form and reject the pressure to conform to beauty standards dictated by fashion trends.



At the end of the day, the rise of "camel toe" products highlights a significant shift in how we view the human body. It’s not just about clothing anymore—it's about perception. The market for such products is a prime example of how societal views on body shape and modesty have evolved, and how brands are capitalizing on these shifts by creating products that cater to different needs.

In conclusion, the phenomenon of "camel toe" is not just a trend but a reflection of how fashion, body image, and cultural perceptions intersect. As society becomes more open to discussing and showcasing body shapes, new products will continue to emerge to cater to every preference, helping individuals express themselves in ways that were once unimaginable. Whether you choose to hide, enhance, or embrace your shape, the choice is yours—and it’s a powerful statement of body autonomy in a world that is slowly learning to appreciate natural diversity.

Written by Suneeta Dhariwal












19 टिप्‍पणियां:

  1. समाज में हमेशा से ही यह विवाद का विषय रहा है कि स्त्री किस तरह के कपड़े पहने तन को छुपाए या दिखाएं। हर समाज की अपनी-अपनी सोच रही है और बदलती भी रही है। जनजातियों में बिल्कुल ही वस्त्रहीन से लेकर वस्त्रों का चलन फैशन का रूप बनकर उभर कर आया है। साथ ही बहुत से लोग स्त्रियों के वस्त्रों के चुनाव को धर्म के साथ भी जोड़े हुए हैं। यह सब अपनी अपनी चॉइस है कौन किस तरह की जीवन पद्धति को अपनाए ।।

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  2. प्रशंसनीय 👏👏👏 न केवल जानकारी,विचारधारा भी👌

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  3. आपने मिल्क बूथ की घटना का ज़िक्र किया। आज भी सोच कहाँ बदली है। आप एक दम नये विषय चुनती हैं। साधुवाद।

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  4. मृदुला जोशी

    दुर्भाग्यवश, स्त्रियों को हमेशा से ही सेक्स का सिंबल समझा जाता रहा है। कैमल टो के विषय पर लेख लिख कर आपने समाज के एक वर्ग की सामाजिक सोच को उजागर किया है। स्त्रियों की वेशभूषा हमेशा से ही चर्चा का विषय बनी रही है। ऐसे में आपका लिखा हुआ लेख समाज को और और उसकी मानसिकता को सोचने पर मजबूर अवश्य ही करेगा।

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  5. मुमकिन ही नहीं कि कोई भी , दूसरों द्वारा आकर्षित नां होना चाहे , चाहे तन के कारण ,मन के कारण या बुद्धि के ।

    जो कुछ भी आकर्षित करने वाला उस के पास होगा उसे वह प्रदर्शित करेगा ही । छुपाएगा भी,तो ऐसे कि छुपाए गए के प्रति उत्सकता अगर बढ़े नां , तो कम भी नां हो ।

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  6. बहुत सहजता और सरलता से आपने बहुत गहरे विषय की व्याख्या की है और बहुत सी नई जानकारियों को बताया है
    आपकी लेखनी बहुत प्रभावशाली होती है गजब लिखती हैं आप
    शहला जावेद

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  7. बहुत अलग जानकारी ।यह स्त्री पर डिपेंड करता है कि वह किस तरीके के माहौल में पली बडी है, उसी तरह की उसकी सोच विकसित होती है , कि वह अपना अंग दिखाएं या छुपाए। विचारधारा में बिल्कुल नयापन।

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  8. सवाल ये नहीं उठता की एक महिला के कपड़े छोटे होने चाहिए या बड़े? सट्टे हुए होने चाहिए या खुले?
    सवाल ये उठना चाहिए की पितृ सत्तात्मक समाज में पुरुष का दिमाक कैसा होना चाहिए? उसकी सोच कैसी होनी चाहिए? उसका देखने का नजरिया कैसा होना चाहिए?
    यहां पर मैंने पुरुष की सोच इसलिए बोला क्योंकि यहां पर सिर्फ महिला की शेप, उसके कपड़ों का बखान ज्यादा हो रहा है और पितृ सत्तात्मक समाज में महिला को ही एक उपयोगी माइनोरंजक वस्तु की रूप में देखा जाता है ना की पुरुष को और महिला की सोच भी ऐसी बना दी गई है की वो भी खुद को सुंदर अति सुन्दर, एक आदर्श नारी, सुसंस्कृत नारी अपने सभी कर्तव्य पुरे करने वाली नारी बनने की कोशिश में लगी हुई है|
    आज हमें नारी के कपड़ों, उसकी शेप, उसकी सुंदरता आदि पर चर्चा करने की की जगह जरुरत है की आज 21वी सदी में हमें अपने दिमाक को कैसे रखना चाहिए| अपने देखने और समझने के दर्शष्टिकोण को कैसे सही रखना चाहिए| स्वयं पर नियंत्रण कैसे रखा जाये, दूसरों की आलोचना किये बिना उनके साथ मिलकर सहयोग कैसे किया जाये क्योंकि अगर हमारा दिमाक, हमारा दर्शष्टिकोण , हमारा समझने का नजरिया अगर सही होगा तो कपड़े, नारी, शेप, सुंदरता, लिंग आदि कुछ मायने नहीं रखता, मायने रखता है तो सिर्फ और सिर्फ हमारे खुद का देखने और समझने का नजरिया |
    धन्यवाद

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  9. शुक्रिया टिप्पणी करने के लिए

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  10. Ye ladies ki choice hai ki voh kis tareeke se rehna chahti hain
    Gents toh burke mei bhi ladies ko dekhte hai
    Agr dekhne ka najariya sahi h toh ladies kuchh bhi pehne unhe kabhi asahaj lgega hi nhi

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  11. हमेशा लड़कियों के कपड़ों पर कमेन्ट किया जाता है। पुरूषों के कपड़ों पर कोई कमेन्ट नही करता। हमे इस पुरूष प्रधान समाज की सोच को बदलना होगा न कि लड़कियों के कपड़ों पर कमेन्ट करे।

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  12. बहुत ही अच्छे तरीके से और सरलता से आप ने इस विषय के माध्यम से हम सब को जानकारी दी,आप का बहुत बहुत धन्यवाद।
    बाकी,चाहे स्त्री हो या पुरुष,ये हर किसी की सोच पर और नजरिए पर निर्भर करता है कि वो किसी को किस तरह से देखता है और उसके बारे मैं क्या सोचता है।

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  13. शुक्रिया इस पोस्ट के सार में बस इतना ही है कि कैसे एक सोच के आधार पर बाजार खड़ा कर दिया जाता है ।एक सोच हाजिर कि अनेक उत्पाद हाजिर और बहुत से उत्पादों के लिए सोच बाकायदा बनाई जाती है विधिवत निर्माण किया जाता है। उत्पाद के लिए लोगों की सोच को बनाने के लिए विशेषज्ञ है जो बहुत पुरस्कृत है।हम इंसानो के मनोविज्ञान पर बाकायदा रिसर्च कर के उद्योग बनते हैं पहले हीनता का भाव का निर्माण करो फिर उस से उबरने के लिए उत्पादों का निर्माण करो ।
    यह सिलसिला चलता ही रहेगा जब तक हम सब अपने प्राकृतिक आस्तित्व में बने रहना और जो है उसकी प्रसंशा करना सीख नही जाते ।

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  14. आप ने हमे इस विषय के माध्यम से जानकारी दी बहुत बहुत धन्यवाद। लेकिन जब तक पुरूष प्रधान समाज का नजरिया नहीं बदलेगा तब तक ऐसे ही महिलाओं के कपड़ों या उसके रहन सहन पर आलोचना होती रहेगी।

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  15. Camel toe एक नये शब्द का आविष्कार वह भी महिलाओं के अंतरंग अंग के लिए,मेरे लिए यह शब्द नया था । एक पल तो मुझे सोचने में लगा , कभी ऊँट के पैरों को इस नज़रिए से नहीं देखा । फिर एक गीत मुझे मिला ( camel toe) पर ,
    Walking down the street,something caught my eyes, A growing epidemic that really ain’t fly, This middle aged lady, I gotta be blunt, Her spandex biker shorts were creeping up the front, I could see her uterus her pants were too tight,she must not own panties , there were none in sight, She walked right by, The poor woman didn’t know, she had a frontal wedgie A camel toe , fix yourself girl
    You got a camel toe
    Dr Shashi kalia

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  16. जब भी महिलाएँ या पुरुष लीक से हट कर आधुनिकता के नाम पर अटपटे अश्लील परिधान चुनते है तो सबकी एक्सरे नज़रों का निशाना तो बनते है ।body hugging clothes के चलन में branded companies तथा bollywood Hollywood films ने अहम भूमिका निभाई है जिसे आधुनिक पीढ़ी ने हाथों हाथ लिया है और फिर पुरुषों की बीमार मानसिकता का निशाना भी बनतीं है ।कुछ महिलाओं का कहना है कि अगर उनके पास दिखाने लायक़ सुंदर शरीर हैं तो दिखाने में क्या हर्ज है । समाज में अलग अलग सोच विचार धारा के लोग रहते हैं ।body hugging dresses अनायास ही महिलाएँ हो या पुरुष,ध्यान आकर्षित करती है ।
    आधुनिकता के नाम पर बदन उघाड़ूँ कपड़े पहन कर समाज में अश्लीलता ना परोसें ताकि महिलाओं के private parts के लिए camel toe जैसे काल्पनिक synonyms ढूँढने की ज़रूरत न पड़े ।
    Dr Shashi kalia

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