शुक्रवार, 3 नवंबर 2017

बेकरारी

आखों से खुद की बिछड़ने नही देता
नजदीक आता है हद से गुजरने नही देता
दूर से जताता है बेकरारी खुद की
ख्वाहिशों के पंख मेरे उगने नही देता

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें