नहीं जानते तुम
ये जो मैं
इतनी बाते करती हूँ न
इनकी आवाज से मैं
अपने सन्नाटो को डराती हूँ
गा गा कर चहचहा कर
अपनी चीखों को दबाती हूँ
तुमसे आंसू बाँट कर
आँखों का ध्यान बंटाती हूँ
तुम्हारे लाइक डिसलाइक
के खेल मैं भी कुछ पल
शामिल हो कर
अपनी नियति से
नज़र चुरा कर
तुम संग लुका छिप्पी का
बेमेल खेल लेती हूँ
और दुःख मुझे धप्पा कर
फिर जोर से पीठ पर
दोनों हाथ मार चौंका देता है
और मैं पकड़ी जाती हूँ
नियति के हाथो
सुनीता धारीवाल
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