रविवार, 17 जुलाई 2016

मोर्चा

बेटियां भी
खोले रहती हैं मोर्चा
उन माओं के खिलाफ
जो उनके पिता से
दिल लगाने की जगह
अपने सपनो से दिल्लगी में
खो जाती है
और बेटियां
अपने सपनो की दुहाई दे कर
भंग कर देती हैं
माँ की स्वप्न निद्रा
तब
माँ फिर से माँ हो जाती है
बेटी के सपनो को
सींचने लगती है
उसके पिता की पत्नी हो कर

सुनीता धारीवाल

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