सोमवार, 11 जुलाई 2016

यवनिका





किसे याद रहा
उस रोज
माझी के हाथ में
जख्म बहुत थे
सवार जितने थे 
उन्हें तो पार जाना था
और मंजिल पर
नजरें लगाना था
वह खेवता रहा
हाथ रहने तक
फिर बैठ गया
हाथ पर हाथ धर

यवनिका रंगमंच हमेशा रहेगा दिल के करीब - -बहुत वक्त बिताया यहाँ लगभग दस वर्ष लगातार - 1991 से लेकर " 2000 तक
इसके निर्माण से लेकर इसको जीवंत रखने के लिए जूनून की हद तक खुद के श्रम और संसाधनों को स्वाहा कर न जाने कितने कलाकारों को मंच दिया -सरकारी साधनों से तो दुनिया ने काम किया अपना बहुत कुछ समय और साधन खो कर शहर को सान्सृतिक रूप से जिन्दा रखा चंडीगढ़ पर निर्भरता कम हुई थी उन दिनों -एक माह में दो दो बड़े आयोजन भी किये -तीज महा उत्सव के लिए दुनिया ने याद किया मुझे और इस यवनिका को भी -हमारे लिए तो किसी तीर्थ जैसा रहा यह मंच और आज भी है
कौन याद करता है मंच से उतरने के बाद कि कौन मंच की बल्लियाँ अपने काँधे उठा कर खड़ा रहा तुम्हारे मंच पर बने रहने तक
बहुत कुछ स्मरण हो आता है -कलाकार तभी कुछ कर पाता है जब कोई मंच बना कर देता है और बनाने वाले का जी निकल जाता है मंच दिल से बनाये जाते हैं

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