"जाति है कि जाती नहीं" जिस तरह तेरी जाति मेरी जाति उपलब्धि प्रचार हो रहा है वैसे तो जाति जाएगी नहीं-कोई ललकार रहा है कोई आक्षेप कर रहा है-कोई ख़ुशी मनाता है-नीचे धरती पर क्या कम है जाति जाति प्रतियोगिता -इस इन्टरनेट सोशल मीडिया को तो छोड़ दो .जाति एक षड्यंत्र है व्यक्ति की क्षमताओं को अपने स्वार्थहित में जकड़े रखने का -अब तो छोड़ दो हम ये हैं हम वो हैं- हम ये थे हम वो थे -आज बहुत आगे निकल आये हैं हम सब #दुनिया बदल गयी
"जाति के प्रकार#जाति भीतर वर्ग#जाति बाहर वर्ग#जाति विहीन जाति# उपजाति#अपजाति#complex in diversities and divers in complexities =INDIA
भेदभाव के व्यवहार को नकार नहीं रहीं हूँ पर भूल जाने को कह रहीं हूँ # अगली पीढ़ी को पूछना बंद कर दे -#ओह यह तेरा दोस्त हैं-अच्छा ------जाति से है यह तो ये करेगा ही तुम्हारे साथ -खून में है इसके # इस टाइप के फलाना धिमकाना
"सब दिन होत न एक समान कभी उपर कभी नीचे परिवर्तन ही सुन्दर है"
(मैंने भी जातिय संगठन की बागडोर संभाली है कुछ समय-जाती एक समूह है जो समान व्यवसाय से आजीविका वहन करता है-उसे तरक्की की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए जागरूकता की ज़रूरत होती है -कडवाहट व् हिंसा की नहीं -जन्म लेते ही एक मानव दुसरे मानव पर नियंत्रण कैसे चल सकता है -अपनी जाति के अच्छे कर्मो का योग्यताओ का गुणगान अच्छा है पर दूसरों को नीचा दिखा कर खुद को ऊँचा न रखा जा सकता था न ऊँचा बनाये रख सकते हैं- सभी को जागरूक करके शिक्षा से उन्हें सम्मान हासिल कर लेने का सबक देना होता है-यकीन दिलवाना होता है कि अगर दयनीय हालत को इश्वर की मर्जी स्वीकार कर्म नहीं कर रहे तो उन्हें जगाना होता है-)
किसी को ललकारना नहीं होता -लोकतंत्र में अपनी बात कहने का हक सभी को है पर ललकारने से घमंड की बू आती है
शांति से काम लें -उकसाए कभी न भाये
जब मुश्किल वक्त आये तो एक बार जाति को दिमाग से डिलीट कीजिये और गले लगाईये
सुनीता धारीवाल जांगिड
सुनीता धारीवाल जांगिड
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