सोमवार, 6 जून 2016

किशोरवय दुल्हनें


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किशोर वय लड़कियां 
समझ नहीं पाती 
तन  के भीतर और बाहर 
 उगते कैकटस  
बढ़ाने लगते हैं 
अल्हड़ मस्तियाँ
उन्ही अल्हड मस्तियों
कुचलने के लिए
थमा दिए जाते हैं
उन्हें दस बीस बरस बड़े दूल्हे
जो    खींच  खींच कर
निकाल लेते है बचपन
बचपन की मासूमियत 
शरारते और सपने
जवां होने से पहले ही
हो जाती हैं वे
रस विहीन और नस विहीन
बस जी जाती है
वह किशोरवय दुल्हनें
गोदी  में बाल लिए 
बस जाती हैं किसी भी घर में




सुनीता धारीवाल जांगिड

चित्र -साभार
http://www.theguardian.com/
www.girlsnobrides.org 

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