गुरुवार, 2 जून 2016

मेंढको की कामयाबी













आज मेढ़को ने 
कामयाबी पायी 
मुझे कुएं में खींच लिया 
अब मेरे लिए भी 
वही नियम हैं 
अँधेरे में रहना है 
मुँडेर देखना मना है 
और
 बाहर कूदना 
सजा ऐ भुखमरी  है 
बस अब मुझे 
एक जगह बैठे बैठे 
मेंढको को गाते टरटराते 
सुनना है 
ऊपर मत जाओ 
ऊपर मत जाओ 
मेंढको की जाति 
खतरे में है 
और यहीं रह कर 
टर ट र करना है 
मैं जानती  हूँ 
ऊपर रौशनी है
तुम्हारा इंतजार करती 
जाओ जाओ जाओ 
और ये भी जानती  हूँ 
असंख्य टरटररों के शोर में 
मेरी आवाज दम तोड़ेगी 
पर रौशनी कहती है 
कोई सुनेगा ज़रूर  
और गले लगाएगा 
रोशनी को 
पार कर मुंडेर को


सुनीता धारीवाल  

(चित्र साभार -https://huttsatwork.wordpress.com/2013/03/05/frog-festivities/)



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