मंगलवार, 28 जून 2016

एक सी औरतें



एक सी होती हैं औरतें
एक सा बोती हैं औरतें
फसल में हिस्सा नहीं होता
खत्म यह किस्सा नहीं होता
एक सी पीड़ा होती है 
एक सी क्रीड़ा होती है
एक सा तन होता है
एक सा मन होता है
एक सी जिज्ञासा होती है
एक सी पिपासा होती है
बस उन्हें अलग कर
अलग अलग उपाय से हांका जाता है
औरत बने रहने के लिए
सुनीता धारीवाल

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