एक सी होती हैं औरतें
एक सा बोती हैं औरतें
फसल में हिस्सा नहीं होता
खत्म यह किस्सा नहीं होता
एक सी पीड़ा होती है
एक सी क्रीड़ा होती है
एक सा तन होता है
एक सा मन होता है
एक सी जिज्ञासा होती है
एक सी पिपासा होती है
बस उन्हें अलग कर
अलग अलग उपाय से हांका जाता है
औरत बने रहने के लिए
सुनीता धारीवाल
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