दुनिया में मानव कोई भी आविष्कार करता है तो वह आविष्कार मानव के लिए फायदे व् नुक्सान साथ ले कर आता है चाहे कोई दवा हो या तकनीक हो किसी भी प्रकार का ज्ञान .हर चीज़ धरती पर प्रकृति में मौजूद होती है और इंसान सिर्फ उसकी उसकी अपने लिए उपयोगिता ढूंढता हैं और हम उस आविष्कार को हाथो हाथ ले लेते है क्यूंकि उस नए आविष्कार को अनुभव करते कि वह हमारे जीवन में सरलता ला रहा है ,चूँकि इंसान के लिए प्रकृति जितना सरल तो कुछ भी नहीं पर जब इंसान उसके सूक्षम रूप को जान कर उस उर्जा को तकनीक के सहारे मानव तक पहुंचा कर अपने मानव होने के दंभ को दर्शाता है तो उस खोज में प्रकृति की सरलता नहीं रहती और उस खोज के दुष्परिणाम भी साथ आ जाते है -इतनी खोजो का परिणाम है कि हम हर खोज को स्वीकारते है और उसे फिर नकारते और फिर खोजते हैं हर बार कुछ नया और इस तरह इंसान हर युग में हर सदी में नए काम में लगा दिखाई देता है हर दशक में हर शतक में इंसान ने नए अध्याय लिखे है और प्रकृति ने भी हर युग में उसे नयी चुनौतिया दी है -बहरहाल ये खेल है बड़ा रोचक कोई नयी खोज हुई दुनिया बदल गयी कोई नयी खोज हुई दुनिया संभल गयी बार बार यही हुआ और होगा भी .समाज में रहने वाले इंसान ने हर बार अपने समाज में कुछ नया अपनाया और उसके स्वत: नियमवाली बनती गयी -समाज का रोचक सच यही है कि यह आवश्यकता अनुसार नियम बनाता है बदलता है -
ज़रा पीछे मुड़ कर देखिये इंनसान ने अपने मुह से आवाज निकाली और दूसरो को सुनाई फिर ढोल नगाड़े बना लिए सूचना के लिए संवाद के लिए वाहक उपाय नए नए बना लिए -रेडियो टेलीविज़न से होते हुए आज इन्टरनेट ने दुनिया से बातचीत इतनी आसान कर दी जितनी कभी पहले नहीं थी ,भारत देश ने अपनी आंतरिक चुनौतियों के बीच सूचना , संवाद एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हर दशक में दुनिया से साथ भागने की कोशिश की - कुछ देरी से सही पर भारत ने इस क्षेत्र में भी परनिर्भरता से पिंड छुड़ा कर अपने पैरों पर खड़ा होने का संकल्प नहीं छोड़ा .इस वर्ष बड़ी उपलब्धि प्राप्त की जब देश के वैज्ञानिको ने इस वर्ष अपने सातवें व् अंतिम भारतीय क्षेत्रीय नौवहन प्रणाली उपग्रह को भी सफलता पूर्वक स्थापित कर लिया . भारत ने वर्ष 1975 से अप्रैल 2016 तक भारत ने 84 उपग्रह स्थापित कर लिए हैं जिनका सैन्य व् असैन्य सूचना क्रांति में बड़ा योगदान है .
आज सूचना की पहुँच जितनी बढ़ी है और जितनी तेजी से बढ़ रही है वह चकित कर देने वाली तो है ही साथ ही सामजिक परिवर्तन की सबसे प्रभावी वाहन भी स्थापित हो रही है आज भारत में इन्टरनेट इस्तेमाल करने वालो की संख्या 462,124,989 तक पहुँच गयी है जो देश की कुल आबादी का लगभग 35 प्रतिशत है .मात्र 2015 से 2016 तक चालीस प्रतिशत वृद्धि हुई है आज भारत में इन्टरनेट इस्तेमाल करने वालो की संख्या अमेरिका से ज्यादा हो गयी है और अनुमान है कि यह आंकड़ा 2018 तक दोगुना हो जायेगा ,और मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या ही तीन करोड़ इकहतर लाख हो गयी है
सूचना की पहुँच ने दुनिया को निकट ला दिया है और मोबाइल के माध्यम से इन्टरनेट की पहुँच बड़े बदलाव का संकेत है .
भारतीय कम्पयुटरों का उपयोग अलग अलग रूप में व्यावसायिक रूप से होता रहा है और होगा भी परन्तु जब से हाथ में इन्टरनेट है तो इसकी उपयोगिता एक स्कूल जाने वाले बच्चे को भी समझ में आ गयी है जब अध्यापक बच्चे के स्कूल पहुंचने न पहुचने की सूचना अभिभावकों को दे रहे है -बच्चे के स्कूल के होम्वोर्क की सूचना बांटी जा रही हैं ,हर रोजमर्रा के काम में भी फोन की भूमिका हो गयी है घर के राशन की लिस्ट से लेकर दफ्तर के काम तक मनोरजन से लेकर सामजिक सक्रियता तक -दान से लेकर खरीद बेच तक कौन सी ऐसा काम हैं जहाँ ये मोबाइल फोन नहीं हैं फेसबुक सहित अन्य विडियो और चित्र शेयर करने वाले शौक काम में तब्दील हो रहे हैं और काम शौक में बदल रहे हैं नए तरह के रोजगार बने हैं नए तरीके की शिक्षा सब कुछ नया है जो आज समय के साथ नहीं चल पायेगा सूचना की सूनामी में बहुत पीछे छूट जायेगा ,
हालाँकि अभी से इस सुविधा के अनेक दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं पर अभी उन पर इतना ध्यान नहीं जायेगा क्यूंकि अभी तो नया अनुभव है और नया अनुभव उत्सव होता हैं उत्सव धीमा पड़ने पर ही जाना जाता हैं आगे क्या करना होगा इसलिए आगे बढिए प्रकृति फिर आपको देख रही है और अभी वह भी किसी उपाय में लगी होगी हम इंसानों के अगले कदमो को भांप कर
सुनीता धारीवाल जांगिड
शेष अगले अंक में
फेस बुक पर भारतीय फेस और सामाजिक नियम
नयी तकनीक के साथ कैसे जुड़े घर के बुजुर्ग और बड़े सदस्य
इन्टरनेट का दुरूपयोग व् भारतीय व् अन्तराष्ट्रीय कानून
स्त्रोत -
1- http://www.internetlivestats.com/internet-users/
2 -http://dazeinfo.com/2016/02/08/mobile-internet-users-in-india-2016-smartphone-adoption- 2015/
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