क्या किया अब तक
बस भूगोल ही जांचा
औरत का
नाप ली एक ही झटके में
एक ही नज़र से
सब आगे पीछे ऊंचाई गहराई
माददा नहीं है तुम्हारा
उसके दिल और दिमाग की
गहराईयों का उत्खनन करने का
तभी तो तुम्हारा इतिहास अधूरा है
और मेरा सब ज्ञान पूरा है
औरत न जान पाओगे
गर भूगोल में घूमने जाओगे
सुनीता धारीवाल
वरिष्ठ सामाजिक चिंतक व प्रेरक सुनीता धारीवाल जांगिड के लिखे सरल सहज रोचक- संस्मरण ,सामाजिक उपयोगिता के ,स्त्री विमर्श के लेख व् कवितायेँ - कभी कभी बस कुछ गैर जरूरी बोये बीजों पर से मिट्टी हटा रही हूँ बस इतना कर रही हूँ - हर छुपे हुए- गहरे अंधेरो में पनपनते हुए- आज के दौर में गैर जरूरी रस्मो रिवाजों के बीजों को और एक दूसरे का दलन करने वाली नकारात्मक सोच को पनपने से रोक लेना चाहती हूँ और उस सोच की फसल का नुक्सान कर रही हूँ लिख लिख कर
सोमवार, 20 जून 2016
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