मंगलवार, 7 जून 2016

मत ढूंढो आंखो में मेरी



मत  ढूंढो 
आँखों में मेरी
क्षत विक्षत
कुछ सपने होंगे
खंडित सी कोई
छत होगी
छत नीचे
कुछ अपने होंगे
ग़ुरबत मद से
लिपटे कुछ
लम्हे
लफ्जो से
भरपूर मिलेंगे
श्रृंगार की डिबिया
वहीँ मिलेगी
आईने
चकनाचूर मिलेंगे
मत झाँको
झांकी में मेरी
जाली में
सांटी -मुश्क कपूर मिलेंगे
खूँटी पर
इक फंदा होगा
लटके हुए गरूर मिलेंगे
अबकी तो बस बीत गयी
अगले जन्म जरूर मिलेंगे

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