गुरुवार, 9 जून 2016

सहज हरियाणवी हास्य -डाउन तो अर्थ मौसी



डाउन टू अर्थ मौसी 



डाउन टू अर्थ मौसी सम्बोधन हमारे परिवार में परिवार में कुछ यूं प्रचलित हुआ -अकसर हम आपसी बातचीत में कि फलां व्यक्ति फलां महिला ,फलां रिश्तेदार बड़ा डाउन टू अर्थ है उपयोग करते रहते हैं। मेरी बिटिया इस शब्द से वाकिफ थी एक दिन हम किसी रिश्तेदार के यहां गए तो बिटिया ने वहां झुकी कमर वाली कूबड़ निकली बूढ़ी महिला पहली बार देखी थी चलते समय उस बूढ़ी महिला के हाथ जमीन को छू पाने के निकट थे मेरी बिटीया ने अचम्भित हो कर कहा कि देखो मम्मी इनकी दादी सचमुच डाउन टू है अर्थ वहीं से उत्पन्न हुआ ये सम्बोधन -डाउन टू अर्थ मौसी कयूँकि रिश्ते में वह मेरी मौसी लगती थी ।मेरी जल्द ही उनसे मित्रता हो गई और मैं जब भी जाती वह मुझे अपनी दिलचस्प आपबीती सुनाती और मैं मुस्कुराए बिना न रह पाती। यह कालम उन्ही यादों का संकलन है- लोक सँवाद की सरलता है पुराने लोगबाग जो स्कूल भी न जा पाए आज तकनीक व सूचना से लैस युग में – उनका सहज सवांद व जिज्ञासा अनेक बार ऐसा स्वभाविक हास्य उत्पन्न करती है कि मुस्कुराए बिना नही रहा जाता,ऐसै ही कुछ संवाद आप से साझां करने का मन है । नए नए हिंग्लिस शब्दो का हरियाणवी बोली से कैसै सामन्जस्य बैठा पा रहे है वह , साथ ही कैसे आज का सामाजिक खुला व्यवहार उनके लिए दुविधाजनक है यही सब आप से बाटनें के लिए मेरी सोच शब्दों मे तबदील हो पा रही है।
किस्सा -एक  -आज मौसी मन्नै नयूं आपबीती सुणावै थी-ए बेटी के बताऊं मेरे गैल के बणी काहल आपणी बड़ी बेबे के छोरे के ब्याह मैं गई थी अर घोड़ी का बखत था,डीजयां बाजा बाजै था ,कोई भी कोनी नाचै था, मैं सोची अक तौंए सरू कर दे, तेरे देखा देखी और भी नाचण लाग जैंगे। ए भाईयां की सूं मै तो नाचण मन्ड गी,एक गेड़ा उरांह एक परांह मनै तो घूमर घाल दी,एबै मनै के पता उस मैं ऊतपणे का गीत बाजै था मुन्नी आला वाए मुन्नी बदनाम होई बेटी मुन्नी तो के बदनाम होई बदनाम तो मैं ए होगी । फोटुआं आले नै मेरा बीडियो बणा लिया, ईब सारा कुनबा बीडियो महं मन्नै देख देख हांसी करै अर मेरा छोरा छोह मै आ रहया अक मां तेरे पन्जेयां नै थाम्ब कै टिकया कै राखै कर ऊं ए न बेजती करवाए कर । अक बेटी मन्नै के बेरा आजकाल के ऊतपणें के गीतां का।

किस्सा - दो-आंऐ बेटी घणी पुराणी भले बखता की बात है- ऐकर कै ईनदरा गान्धी मैंह्सा के लोन बान्डै थी।जाकटी आला परधान तेरा सुसरा मह्न सिंह राम मेरे ती बी फारम दे गया और बोल्या इस नै भरवा कै अर फोटू चेप कै दे दिए।मेरा मैंह्स लेण नै तो जी करै अर फोटू खिचंवाण तै डर लगै ,दो महीने न्यू ए काड दिए । परधान बोहड़ कै फेर आ लिया अर बोल्या तारीक लिकड़या पाच्छै लोन कोनी मिलैगा । मैं जिगरा सा कर कै बोली परधान जी तौं मेर गैल चाल फोटू आलै कै ।वा मन्नै मन्डी मैं ले गया अर फोटूआं आलै की दुकान मंह धरी छोटी सी मेज पै जा बिठाई ,मन्नै तो बैठदे ही डर के मारे आंख मीच ली ,वा फोटूआं आला छोरा बोल्या मौसी आँख्यां नै तो खोल ले। मन्नै राम राम भजदी नै आँख खोल दी एक चमकारा सा लाग्या और वो बोल्या जी फोटू तो खिँचगी काह्ल नै ले जियो।मै तो चम्भा मानगी अक न्यूं ए खैन्चणी थी कै मैं सोची बैरा नी गात मैं तै के खीन्चैंगे देही नै कस्ट आवैगा।या तो किमे बात कोनी थी मैं तो ज्यांय तै एकली कोनी आंऊ थी कै बेरा मैरा के के क्यूकर क्यूकर खैन्चैगे।

बेटी परधान नै तो मेरी निरी हान्सी लाई । लै बता मन्नै एबल बेरा था इसी इसी बाताँ का


किस्सा तीन -डाउन टू अर्थ मौसी की पोती बाजार से चाईनीज मोमोज ले आई उन्हें देखते ही मौसी बोली आं ऐ यें तो वाए मोदक हैं जौण से गणेस जी खाऐं करैं मन्नै देख राखैं है फोटुआं मैं कै कै बार । ल्या बेटी मै तो खा ल्यूगीं। 
(कुरसेतर -यानि करूक्षेत्र)

किस्सा चार -ले ले बेटी केले का मैंन्गो सेक - कुरसेतर में डाउन टू अरथ मौसी ने मुझे अभी अभी औफर किया है.जैसे ही मैं मौसी के घर पहुंची तो उन्होंने मेरा इस वाक्य से स्वागत किया कि मैं मुस्कुराये बिना नहीं  रह सकी 

किस्सा पांच -मौसी अभी अभी अपने दोहते नै  समझाण लाग रहयी सै -ना बेटा यो टच आला फोन ना राखै कर अगूंठा घिस जैगा -बटणा आला राखै कर

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