शुक्रवार, 24 जून 2016

जैसे कोई गया अभी


दिल कुछ अजब सा धड़का 
जैसे कोई गया अभी 
जो थामे बैठा था 
ऊँची नीची धड़कने
और मैं शांत सी थी 
अब कुछ बेचैनी सी है
जैसे कुछ रुक सा गया
भीतर उन्ही नसों में
जो दिल तक ले जाती थी
हर हर दृष्टी स्पर्श
और हवा के झोंके भी
जाने कैसे अचानक
बेचारा सा हो गया दिल
कि कुछ अजीब सा धड़का अभी अभी

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