रविवार, 29 मई 2016

राजनीति में आगे कैसे बढे महिलाएं






औरतों के लिए  सियासत  में  आगे  बढ़ने  के  लिए  दो  -तीन रास्ते  हैं कमोबेश  पुरषों के पास  भी यही  होते  हैं एक आप अपनी  ड्राइंग रूम -पोलिटिकल  कॉरिडोर लोबिंग  करते  रहें और पार्टी और नेताओं की नज़र में बने रह कर काम करें किसी एक दो  नेता या नेत्री को गुरु किसी को अपना रहनुमा बना ले मेंटर या सरंक्षक  चुन ले और उसी के कहे अनुसार उसी का हित ध्यान में रखते हुए काम करते जाएँ और आगे बढे -पार्टी नेताओं में अपनी निरंतर उपस्तिथि रखें -ज्ञात रहे आउट ऑफ़ साईट इज आउट ऑफ़ माइंड यानि जो सामने है दिखाई वही देता है -नज़र से परे घर से बुला कर आपको कोई अवसर नहीं देने वाला इसलिए सोच समझ कर चलें -इस तरीके के फायदे यह हैं कि आपकी वकालत करने वाले उपलब्ध हैं आपको हाड़ तोड़ भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी .आप अनावश्यक गलत नीयत लोगों से बची रहेंगी -ये जैसे किसी के नाम की छतरी ओढ़ लीजिये ओले सीधे नहीं पड़ेंगे बारिश में भीगे भी तो थोडा बहुत भीगेंगे .हाथी के पैर में सबका पैर होता है इसलिए मेंटर तो हाथी कद का ही चुनिए -चुन ले तो उनकी विश्वासपात्र होने के लिए परिश्रम करें उन्हें समझे उनकी कही और अनकही सभी बातो को समझे -उनके सब इलज़ाम सर लेने को तत्पर रहें उनके प्रति घोर निष्ठा बनाये रखें -उनके अनुसार अपनी सोच और व्यवहार रखें ,अपनी किसी भी मह्त्व्कान्क्षा  यदि कोई है तो का कभी भूल कर भी उनसे  जिक्र  नहीं  करें अपने सभी अवसर और भाग्य उन्ही पर छोड़ दे -
इसके कुछ रिस्क हैं -मान लो आपके मेंटर का ही जहाज डूब गया तो समझो आप की मेहनत उन्ही के साथ डूब गयी, यह एक   दाव है चले तो चले न चले तो  न चले ,क्यूंकि आपकी पहचान उनकी छत्र छाया में उनके नाम से बनी है तो अकेले आप को कोई भाव नहीं देगा ."किसी के भी नहीं हो "से  कहीं ज्यादा अच्छा होता है किसी का होना -जो किसी के नहीं होते वो कहीं के नहीं होते ये भी एक सच है सियासत का -आत: सावधानी से चुनाव करें
दूसरा तरीका यह है की आप जनता के माध्यम से आगे बढे और जनता के बीच रहें उनमे अपनी पैठ बढ़ाएं -अपने पक्ष में जनमत बनायें जनता तो टाइम दे आपको जानने का ,उनके दुःख सुख में शरीक हों हर घर का बिना भेदभाव पानी पीजिये यानि उन्हें समझिये उनकी सोच रीती रिवाज परम्पराएँ सब अध्यन करें और सब में भाग ले ,लोगो को अपने साथ जोड़े इतना गहरा जोड़े कि बिना पार्टी के टैग के भी या बिना किसी शीर्ष नेता के टैग के बिना भी वह आपको वोट दे सकें .याद रखें समर्थक बनाने व् व्यक्तिगत  वोटर बनाने में अंतर होता है -आपको जनता क्या वास्तव में अपना बॉस बनाना चाहेगी या नहीं यह मुश्किल सवाल है -हालांकि जन नेता का अर्थ होता है जन सेवक लेकिन अभी तक जनता में थ्योरी तो यही हैं की नेता सेवक होते हैं और व्यवहारिक और प्रक्टिकल रूप से उन्हें भी पता है कि नेता ही एक दिन ऊँ पर शासन करने वाले हैं या प्रसाशन पर नियन्त्र करने वाले हैं .जितना ज्यादा आप जनता में रहेंगी उतना जनता आप से प्रेम भाव से जुड़ती रहेगी .आपको मिलने वाले ही आप के लिए कार्यकर्ता का काम करेंगे और आपके लिए जनमत बनाने के लिए प्रयास करेंगे .इस तरीके में समय बहुत लगता है आप जब तक अपरिहार्य रूप से बिना पार्टी के भी जीत दर्ज करवाने जितना सक्षम होंगी तभी पार्टी भी आपके बारे में सोचने लगेगी यदि आप इतनी मेहनत नहीं कर पाती हैं तो भी किसी जातीय या लैंगिक समीकरणों में आप को अवसर मिल सकता हैं -इस तरीके का सुखद पक्ष ये है कि किसी भी नेता के डूबने से आप नहीं डूबेंगी आप सदा जिन्दा रहेंगी नेता के रूप में  लोगों के बीच .आपको दिन रात की बेगार नहीं करनी पड़ेगी ,आपको अपनी बात कहने सुनने की स्वतत्रता होगी .आपकी कही बात का वजन माना जायेगा .आपको कोई हलके में नहीं लेगा और कोई आपकी अवहेलना नहीं कर पायेगा -याद रखिये दोनों ही रास्ते शिखर तक जाते हैं और तीसरा समझदार उपाय यह है कि आप लोबिंग में भी सक्रिय रहें समय अनुसार मेंटर भी बदल ले अगर न जमे तो और जनता के बीच भी बनी रहें तो संभावना व् अवसर कहीं से भी आ सकते हैं

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें