मंगलवार, 24 मई 2016

मेरी जिस स्वभावगत  गति से तकलीफ रही हो ताउम्र -देखना उसी गति के लिए ही जानी जाउंगी एक दिन और मंथर होती तो तुम्हे भी न सुहाउंगी

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