बहनों नेता वही होता है जो इकीस है 17- 18 -19 -का कौन अनुगमन करता है कोई नहीं .यदि आप चाहती हैं कि आपका नेतृत्व स्थापित हो तो आपको स्वयं का विकास करना होगा खुद को इक्कीस बनाना होगा -जानकारी लेने में आगे रहें -ताज़ा राजनैतिक व् प्रसाशास्निक घटना कर्मो से अपडेट रहें ,आज जब सूचना क्रांति का युग है और सूचना जहाँ तहां फैली है तो आप की सूचना के प्रति तत्परता बनती है आप अपने विवेक से सही और गलत सूचना में तभी भेद कर पाएंगी जब आप उस विषय पर मूल जानकारी रख रही होंगी ,information is the best weapon बस आपको चौकन्ना व् जिज्ञासु होने की ज़रूरत है ,कम जानकारी वाले बॉस को कर्मचारी नीचा दिखाने का कोई अवसर नहीं चूकना चाहते और बार बार हीन व्यवहार से मालिक कर्मचारियों पर अधिक भरोसा करने लगता है और उनकी सोच अनुसार फैसले लेने लगता है -जो ज्यादा जानकारी रखेगा कम जानकारी वाला उसके अधीन व्यवहार करेगा इसलिए महिला नेता को ज्यादा सीखना चाहिए ताकि आप समकालीन प्रतिद्वन्द्वी पुरषों के विरोध का सामना कर के उनसे भी ज्ञान में व्यवहार में इक्कीस हो जाएँ .ध्यान दे पुरषों के लिए उसका उच्च स्थापित लिंग ही बहुत है आगे रहने के लिए ये जैविक उच्चता समाज में गहरे घर की जा चुकी है जिस से न केवल पुरुष बल्कि अधिकतर औरते भी ग्रसित हैं कि पुरुष बेहतर शारीर व् दिमाग वाले होते हैं -आप इस जैविक स्थापित सोच से तभी लड़ पाएंगी यदि आप अन्य ज्ञान व् अनुभव व् साहस दिखाने के क्षेत्र में अग्रणी रहेंगी .अन्यथा पुरुष वर्ग औरतों को सहचरी के रूप में या अधीनस्थ के रूप में तो मान्यता देगा पर नेता के रूप में नहीं -
अगर आपको वहम हो की फलां नेता आपको बहुत सम्मान देता है और आपके कार्यों की प्रसशा करता है तो एक बार यूँ ही उसी की सीट से चुनाव की इच्छा स्पस्ट कर दो -अपनी स्तिथि में अंतर पता चल जाएगा .घोर मजबूरी में ही पुरुष स्त्री की सत्ता को मानता है अन्यथा वह अपनी ताकतवर यथा स्तिथि बनाये रखने में अंतिम सांस तक लड़ता है .यूँ भी हमारे देश में अभी तक पुरुष महिलाओं को या तो देवी के रूप में जानता है या दासी -- माँ और भोग्या के बीच कोई रिश्ता उसे बनाना नहीं आया है -लीडरशिप में भी यही सब अभ्यास में है आज तक अत : नयी इबारते लिखने के लिए कमर कस ले -सीखे बहुत सीखें इक्कीस बन जाए -कर्म में भी ज्ञान में भी निष्ठां में भी शारीरिक रूप से भी सक्षम बने और आर्थिक रूप से सक्षम रहने की कोशिश करते रहें निरंतर
बार बार कहती हूँ सीखने और पूछने में संकोच नही करें आगे बढ़ने का यही एक रास्ता सही दिशा की और जाता है
अगर आपको वहम हो की फलां नेता आपको बहुत सम्मान देता है और आपके कार्यों की प्रसशा करता है तो एक बार यूँ ही उसी की सीट से चुनाव की इच्छा स्पस्ट कर दो -अपनी स्तिथि में अंतर पता चल जाएगा .घोर मजबूरी में ही पुरुष स्त्री की सत्ता को मानता है अन्यथा वह अपनी ताकतवर यथा स्तिथि बनाये रखने में अंतिम सांस तक लड़ता है .यूँ भी हमारे देश में अभी तक पुरुष महिलाओं को या तो देवी के रूप में जानता है या दासी -- माँ और भोग्या के बीच कोई रिश्ता उसे बनाना नहीं आया है -लीडरशिप में भी यही सब अभ्यास में है आज तक अत : नयी इबारते लिखने के लिए कमर कस ले -सीखे बहुत सीखें इक्कीस बन जाए -कर्म में भी ज्ञान में भी निष्ठां में भी शारीरिक रूप से भी सक्षम बने और आर्थिक रूप से सक्षम रहने की कोशिश करते रहें निरंतर
बार बार कहती हूँ सीखने और पूछने में संकोच नही करें आगे बढ़ने का यही एक रास्ता सही दिशा की और जाता है
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