इक ब्याह किया था मैंने
गुप् चुप गुप् चुप
भीतर ही भीतर
गंभीर उदासी से
अर्धांगिनी है वो
हर दम संग रहती है
मेरे दिल में मेरे घर में
बस गयी है वो
मेरे घर आँगन में
जन्म दिया है उसने
एक अबोले को
और एक तन्हाई को
गुप् चुप गुप् चुप
भीतर ही भीतर
गंभीर उदासी से
अर्धांगिनी है वो
हर दम संग रहती है
मेरे दिल में मेरे घर में
बस गयी है वो
मेरे घर आँगन में
जन्म दिया है उसने
एक अबोले को
और एक तन्हाई को
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