मंगलवार, 17 नवंबर 2015

मनै मार उडारी जाण दियो


मन्नै मेरे नाम तै जाण लियो
मैं उड़ने  नै पंख फैला रहयी
मन्नै मार उडारी जाण दियो
मैं हिमालय पर झण्डा ला रहयी
मेरे जज्बे नैं सलाम करियो
मैं अंतरिक्ष ने माप बगा रहयी
मन्नै मेरी मेहनत का मान दियो
मैं बालीवुड मैं डूण्डे ठाह रहयी
मेरे साहस पै ताडी मार दियो
मैं टेलीविजन पर भी छा रहयी









बहुत हो लिया ए री ए री
मेरी घर घर में पहचान करियो
मैं ओलम्पिक  में मैडल भी ल्या रहयी
मन्नैं तड़के स्टेडियम जाण दियो
मैं रण भूमि म्ह भी ललकारी
मेरे हुंकारे ने साज दियो
मैं सेना के फाईटर प्लेन उड़ा रहयी
मन्नैं कमजोर ना मान लियो
मैं समन्द्रां नैं चीर बाग रहयी
मन्नैं नौ- सेना की कमान दियो
मैं शिक्षा के परचम फहरा रहयी
मन्नैं स्कूल पै पढनै घाल दियो
मैं अपनी कोख तै या सृष्टि रचण रहयी
मेरी रचना की देखभाल करियो
मैं धरती पर सुंदर अवतारी
मेरी रोजै नजर उतार दियो
मैं प्रेम भाव की बण रहयी सारी
मेरे भाव न अपमान करियो
मैं अध्यात्म नै भी शिखर पढ़ा रहयी
मन्नैं राम भजन नै तम्बूरे खड़ताल दियो
मैं हूँ हरियाणे की नारी
भाई मेरे जामण पर नाज करियो
भाई मेरे जामण पर नाज करियो
मां ऐ मन्नैं धरती पै आण दिये
लेखिका-सुनीता धारीवाल

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