शनिवार, 5 मार्च 2016

मां मत अकेला  छोड़ना मुझे-

poem on child rape

एक बच्ची जिसका यौन उत्पीड़न एक युवक द्वारा  किया गया  था मैं उसे मिलने गयी - उसे देखते ही मेरी आत्मा भीतर तक हिल गयी मासूम सी  तीन वर्षीया बच्ची जिसे  अभी किसी भी प्रकार के यौन  उत्पीड़न का पता ही नहीं हो सकता  वो बेहद डरी हुई थी एक दम मुझसे लिपट गई और मुझे  छोड़ा ही नहीं मेरी छाती से तब तक लिपटी रही जब तक मैं वहां रही -बेहद डरी हुई है -खामोश है -दुर्भाग्य ये की माता पिता नहीं चाहते अदालत में  केस किया जाये -पुलिस से शिकायत वापिस ले चुके है -बोले हम दिहाड़ी करेंगे या अदालत में फिरेंगे बच्चे भूखे मर जायेंगे -यदि बच्ची की माँ थोड़ा सा और देर करती तो बच्ची के साथ ज्यादा बुरा हो सकता था -या उस  बच्ची की जान ही जाती पर बच्ची के सामने अश्लील क्रिया करना भी जुर्म है -बच्ची के मन पर ताउम्र अंकित रहेगा ये दिन -गरीबी, अज्ञानता ,मजबूरी किस तरह जुर्म को बढ़ावा देती है कितने ऐसे केस है जो समाज में यूँ ही दब जाते हैं 
मां मत अकेला छोड़ना मुझे 
मां तुम कहां हो मां-मुझे बहुत डर लग रह है
वो मुझे घूर रहा है
उसकी आखें एकदम लाल हैं
वह बस मुझे ही देख रहा है
मां तुम कहां हो मां-मुझे बहुत डर लग रह है


वह बार बार ईधर उधर देख रहा है
फिर फिर से मुझे ही देख रहा है
मां तुम कहां हो मां-मुझे बहुत डर लग रह है


मां मां वो इधर ही आ रहा है
बहुत तेज तेज चल रहा है
मां तुम कहां हो मां-मुझे बहुत डर लग रह है


मां वो मेरे सामने है
 मेरे छोटे भैय्या काकू की तरह एकदम नंगू पंगू  है
मां तुम कहां हो मां-मुझे बहुत डर लग रह है

 पर वह बहुत गन्दा दिखता है
मेरी फ्राक खीन्च रहा है
मुझे चाकलेट दे रहा है
मां तुम कहां हो मां-मुझे बहुत डर लग रह है


वह जोर जोर से सांस ले रहा है
 मेरे  चेहरे पर सिर पर हाथ फेर रहा है
मां तुम कहां हो मां-मुझे बहुत डर लग रह है


वो जोर जोर कान्प रहा है हंस रहा है
मुझको गोद मे बिठा रहा है
मेरी आंखें बन्द कर रहा है
मां तुम कहां हो मां-मुझे बहुत डर लग रह है


  मुझे नयी फ्राक  पहनाने के लिऐ
पुरानी फ्राक उसने ले ली है
और मेरी चडडी भी
मां तुम कहां हो मां-मुझे बहुत डर लग रह है


मां मुझे कुछ दिखाई नही देता
मुझे बहुत दर्द हो रहा है
 मेरा खून निकल  रहा है
मेरी टाँगे भीग गई हैं 
मैं दर्द से तड़प रही हूँ 
मैं अब कया  सच में मर जाऊगीं
मां तुम कहां हो मां-मुझे बहुत डर लग रह है


मुझे पापा से डर लगता है
चाचू से भी दादा से भी मामा से भी
सब से डर लगता है
मां तुम कहां हो मां-मुझे बहुत डर लग रह है


कयूं छोड़ कर चली गई थी
आदमी के पास
हां मत छोड़ना कभी मुझे
किसी विश्वासपात्र के पासऔर  किसी के भरोसे
मुझे अब हर आदमी से बहुत डर लगता है
मां तुम कहां हो मां-मुझे बहुत डर लग रह है
मुझे आदमी से डर लग रहा हैं 
माँ तुम क्यूँ चली गयी काम पर 
मुझे छोड़ कर

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