रविवार, 13 मार्च 2016

झूठ

समझ  नहीं  आता  ?

मेरा  बार बार का रोना झूठ
  या बार बार का हँसना  झूठ 
बार बार खामोश  हो जाना झूठ
या फिर बोलते ही  जाना झूठ
कुछ  न  कुछ  तो  झूठा है 
मेरा  रब्ब  शायद  रूठा  है

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