मैं हू तो सही
तू तो कोई भी नहीं
मैंने रच रखा है तुम्हे
अपनी कल्पनाओ में
आखिर खुशफ़हमी भी
तो कुछ होती है
कहीं भी न सही
पर तू है तो सही
जहाँ मैं और तू का फर्क
होता ही नहीं
बस होते है
सिर्फ हम
तू तो कोई भी नहीं
मैंने रच रखा है तुम्हे
अपनी कल्पनाओ में
आखिर खुशफ़हमी भी
तो कुछ होती है
कहीं भी न सही
पर तू है तो सही
जहाँ मैं और तू का फर्क
होता ही नहीं
बस होते है
सिर्फ हम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें