शनिवार, 5 मार्च 2016

डाउन टू अर्थ -मौसी का फोटु

सहज लोक हास्य 
आज सुनी मैने मौसी की आपबीती - आंऐ बेटी घणी पुराणी भले बखता की बात है- ऐकर कै ईनदरा गान्धी मैंह्सा के लोन बान्डै थी।जाकटी आला परधान तेरा सुसरा मह्न सिंह राम मेरे ती बी फारम दे गया और बोल्या इस नै भरवा कै अर फोटू चेप कै दे दिए।मेरा मैंह्स लेण नै तो जी करै अर फोटू खिचंवाण तै डर लगै ,दो महीने न्यू ए काड दिए । परधान बोहड़ कै फेर आ लिया अर बोल्या तारीक लिकड़या पाच्छै लोन कोनी मिलैगा । मैं जिगरा सा कर कै बोली परधान जी तौं मेर गैल चाल फोटू आलै कै ।वा मन्नै मन्डी मैं ले गया अर फोटूआं आलै की दुकान मंह धरी छोटी सी मेज पै जा बिठाई ,मन्नै तो बैठदे ही डर के मारे आंख मीच ली ,वा फोटूआं आला छोरा बोल्या मौसी आँख्यां नै तो खोल ले। मन्नै राम राम भजदी नै आँख खोल दी एक चमकारा सा लाग्या और वो बोल्या जी फोटू तो खिँचगी काह्ल नै ले जियो।मै तो चम्भा मानगी अक न्यूं ए खैन्चणी थी कै मैं सोची बैरा नी गात मैं तै के खीन्चैंगे देही नै कस्ट आवैगा।या तो किमे बात कोनी थी मैं तो ज्यांय तै एकली कोनी आंऊ थी कै बेरा मैरा के के क्यूकर क्यूकर खैन्चैगे।
बेटी परधान नै तो मेरी निरी हान्सी लाई । लै बता मन्नै एबल बेरा था इसी इसी बाताँ का
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