सच्ची घटनाएँ जो मुझ पर गहरा असर करती है -आप भी ज़रूर पढ़े -
एक बारह वर्षीया बच्ची कोर्ट से बाहर निकलते हुए जोर जोर से रोते ही जा रही थी और जोर जोर से बोल रही थी पापा आई ऍम सॉरी पापा आई ऍम सॉरी -सभी की निगाहे उस बच्ची की तरफ लगी थी -पापा को हथकड़ी लगाये पुलिस ले जा रही थी -जब हथकड़ी लगे पापा पास से गुजरे तो उसे बोले मैं न कहता था पापा को जेल हो जाएगी -सुनते ही वह बच्ची और भी जोर जोर से रोने लगी पापा मुझे माफ़ कर दो - सबकी उत्सुकता उसी दृश्य से सम्बंधित थी -मैंने भी पास ही खड़ी मेरी मित्र वकील से पुछा की आखिर मामला क्या है -जो सुना तो उसके बाद बहुत देर तक सुनना जैसे बंद ही हो गया - बिन माँ की उस बच्ची का पिता पिछले छ; महीने से उसका बला त्कार कर रहा था उसे किसी भी रिश्तेदार के यहाँ नहीं जाने देता था न ही किसी से मिलने देता था -रिश्तेदार समझ रहे थे की वो अपनी बच्ची के लिए बहुत possessive है और किसी पर यकीन नहीं करता खुद ही उसकी बढ़िया और सुरक्षित परवरिश कर रहा है -एक दिन बच्ची ने बार बार हो रहे शारीरिक प्रहारों से आहत हो कर अपनी टीचर को अपनी व्यथा सुना थी - टीचर ने मामला दर्ज करवा दिया और पुलिस पिता को उठा ले गयी -मैं सोच ही नहीं पा रही थी की वह बच्ची क्या सोच रही होगी -अपना दर्द भूल आत्मग्लानि में सॉरी सॉरी चिल्ला रही थी मेरे कारण पापा को जेल हो गई -
यह सच्ची घटना है -चंडीगढ़ कोर्ट से अखबारों में भी छपा था बच्ची का ये रोना
वरिष्ठ सामाजिक चिंतक व प्रेरक सुनीता धारीवाल जांगिड के लिखे सरल सहज रोचक- संस्मरण ,सामाजिक उपयोगिता के ,स्त्री विमर्श के लेख व् कवितायेँ - कभी कभी बस कुछ गैर जरूरी बोये बीजों पर से मिट्टी हटा रही हूँ बस इतना कर रही हूँ - हर छुपे हुए- गहरे अंधेरो में पनपनते हुए- आज के दौर में गैर जरूरी रस्मो रिवाजों के बीजों को और एक दूसरे का दलन करने वाली नकारात्मक सोच को पनपने से रोक लेना चाहती हूँ और उस सोच की फसल का नुक्सान कर रही हूँ लिख लिख कर
रविवार, 13 मार्च 2016
I am sorry papa
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें