बुधवार, 27 अप्रैल 2016

आप क्या जानो कि निवेशक रुपी कार्यकर्त्ता और अर्थ निवेशक कैसा कैसा और कितना दबाव बनाते है की नेता लाभ के स्थान पर बना रहे ?ऐसा नहीं हो पाने की दशा में वे किस किस तरह जलील करते है कोई कितनी जलालत सहे घर भी और बाहर भी -नज़र अवसर पर गड़ाये रखने के सिवाय कोई तरीका नहीं होता सियासत में -या तो सियासत छोड़ दो या समझोता कर लो
जल्दी सब को है क्योंकि अवसर गिनती के हैं
आज अगर नेता स्थिर नहीं तो कार्यकार्यता कहाँ स्थिर है सिर्फ वही स्थिर रहते है जिन्होंने बड़े बड़े लाभ उठा रखे हैं क्योंकि उनका जल्दी से और उतनी ही नज़दीकी किसी और से बन नहीं पाती और वो ही नेता को घेर कर दबाव बनाते है और वही पब्लिक में उसकी दुकानदारी भी जमाते है
सियासत में निवेशक दो तीन पीढ़ी तक का निवेश करते है और साधारण भोले कार्यकता को तो एक दो पीढी के बाद ही लाभ मिलता है
अक्सर दादे अपने पोतो के लिए लाभ मांगते भी दिख जाते है की चौधरी साहब इब तो तीसरी पीढी आ गयी इब तो कुछ करवा दो इतने बदनाम तो हो लिए तेरे नाम पै कि कहीं ओर जान जोगे भी नहीं
पुराणी कहावत -रांड रंडापा जद काटै जद रांडे काटण दे
नेता तो टिक जाएँ जनता टिकने दे तभी न

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें