बेकाबू मेरा सिर
क्रोध से आलिंगन कर बैठा है
कर्कश शव्द बाण की ओढ़ चुनरी
शांति को ललकार कर बैठा है
बरस रही हूँ तेजाब की बारिश की तरह
बस दूर रहो इस रूप के आदि नहीं
तुम सारे मेरे प्यारे दूर रहो
क्रोध से आलिंगन कर बैठा है
कर्कश शव्द बाण की ओढ़ चुनरी
शांति को ललकार कर बैठा है
बरस रही हूँ तेजाब की बारिश की तरह
बस दूर रहो इस रूप के आदि नहीं
तुम सारे मेरे प्यारे दूर रहो
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