बुधवार, 27 अप्रैल 2016

कहा था न सोचेंगे तुम्हारे बारे में भी 
तो क्या 
अक्सर सोचते हैं हम कि क्यों सोचती हो तुम इतना ?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें