बुधवार, 27 अप्रैल 2016

असर

किताबे 
अभी नहीं पढ़ती हूँ मैं 
किसी भी की लिखी 
कि कहीं असर न हो जाये 
किसी की लेखनी का
और मौलिकता मेरी
जो अनुभवो का सार
लिख रही है
कही वो हवा न हो जाये
शब्दों के जादू से
भीतर से बहे आते है
वही भाव उतरते जाते है

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