किताबे
अभी नहीं पढ़ती हूँ मैं
किसी भी की लिखी
कि कहीं असर न हो जाये
किसी की लेखनी का
और मौलिकता मेरी
जो अनुभवो का सार
लिख रही है
कही वो हवा न हो जाये
शब्दों के जादू से
भीतर से बहे आते है
वही भाव उतरते जाते है
अभी नहीं पढ़ती हूँ मैं
किसी भी की लिखी
कि कहीं असर न हो जाये
किसी की लेखनी का
और मौलिकता मेरी
जो अनुभवो का सार
लिख रही है
कही वो हवा न हो जाये
शब्दों के जादू से
भीतर से बहे आते है
वही भाव उतरते जाते है
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