स्कूल की घंटी
बजते ही वो
जान जाती है
मास्टरनी के घर
अब जाना है
झाड़ू बुहारी करने
बुजुर्गो को सँभालने
वही है ये
जिसकी माँ
स्कूल में बुहारी करती है
बच्चों के लिए
और वो बुहारी करती है
माँ के लिए
बजते ही वो
जान जाती है
मास्टरनी के घर
अब जाना है
झाड़ू बुहारी करने
बुजुर्गो को सँभालने
वही है ये
जिसकी माँ
स्कूल में बुहारी करती है
बच्चों के लिए
और वो बुहारी करती है
माँ के लिए
अभी अभी मुझे मिली घर के बाहर किशोर बच्ची काम पर जाते हुए
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