बहुत कुछ होता है
एक औरत के पास
धन सम्पति के
के अतरिक्त भी
जिसे लूटने की फ़िराक में
होता है जहान
जब
वह अकेली होती है
तब
पात्र बन विश्वास का
उकेरते है
परत दर परत
उसका सब
तन मन धन
अब
वो खाली भी होती है
अकेली भी
सुनीता धारीवाल जांगिड
एक औरत के पास
धन सम्पति के
के अतरिक्त भी
जिसे लूटने की फ़िराक में
होता है जहान
जब
वह अकेली होती है
तब
पात्र बन विश्वास का
उकेरते है
परत दर परत
उसका सब
तन मन धन
अब
वो खाली भी होती है
अकेली भी
सुनीता धारीवाल जांगिड
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