बुधवार, 27 अप्रैल 2016

वही हो रहा है

लिखा है जो 
वही हो रहा है 
न रत्ती इधर न उधर 
बस वक्त
अपने लम्हे पिरो रहा है

सुनीता धारीवाल जांगिड 

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