किसी को अपने इज़्ज़तदार और शरीफ होने का भ्रम है तो वह एक बार सियासत में आजमा ले खुद को -वहम निकल जायेगा
यह मात्र उपमा है जो हम सबसे ज्यादा खुद के लिए इस्तेमाल करते हैं औरो के लिए इस्तेमाल करने से पहले सोच में पड़ जाते है
संभावित है कि खुशफहमी के चलते आप सियासत में उतरने का साहस नहीं करेंगे
और खुद की आलोचना जो कभी न सुनी हो उसे भी सहन नहीं कर पाएंगे
यह मात्र उपमा है जो हम सबसे ज्यादा खुद के लिए इस्तेमाल करते हैं औरो के लिए इस्तेमाल करने से पहले सोच में पड़ जाते है
संभावित है कि खुशफहमी के चलते आप सियासत में उतरने का साहस नहीं करेंगे
और खुद की आलोचना जो कभी न सुनी हो उसे भी सहन नहीं कर पाएंगे
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