नेता भावुक हो तो नेता ठगा जाता है जनता भावुक हो तो जनता ठगी जाती है यदि दोनों ही व्यवहारिक और संवेदनशील हों तो क्रांति आती है परिवर्तन आता है ,यहाँ दोनों ही तरफ से अपील जो भी की जाती है वह भावुक ही होती है चाहे जनता नेता से करे या नेता जनता से करे 'भावुक होना इंसानी कमजोरी है और कमजोर नस दबाने से ही क्रिया प्रतिक्रिया होती है
चाहे कभी कोई नेता रो पड़े कभी अभिनेता रो पड़े या फिर कभी कोई न्यायधीश रो पड़े ये भावना तब प्रबल होती है जब उसे लगता है कि वह असहाय हो गया है या उसके हाथ बंधे है और बाँधने वाले सुन नहीं पा रहे है
चाहे कभी कोई नेता रो पड़े कभी अभिनेता रो पड़े या फिर कभी कोई न्यायधीश रो पड़े ये भावना तब प्रबल होती है जब उसे लगता है कि वह असहाय हो गया है या उसके हाथ बंधे है और बाँधने वाले सुन नहीं पा रहे है
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