रविवार, 29 मई 2016

राजनीति में आगे कैसे बढे महिलाएं






औरतों के लिए  सियासत  में  आगे  बढ़ने  के  लिए  दो  -तीन रास्ते  हैं कमोबेश  पुरषों के पास  भी यही  होते  हैं एक आप अपनी  ड्राइंग रूम -पोलिटिकल  कॉरिडोर लोबिंग  करते  रहें और पार्टी और नेताओं की नज़र में बने रह कर काम करें किसी एक दो  नेता या नेत्री को गुरु किसी को अपना रहनुमा बना ले मेंटर या सरंक्षक  चुन ले और उसी के कहे अनुसार उसी का हित ध्यान में रखते हुए काम करते जाएँ और आगे बढे -पार्टी नेताओं में अपनी निरंतर उपस्तिथि रखें -ज्ञात रहे आउट ऑफ़ साईट इज आउट ऑफ़ माइंड यानि जो सामने है दिखाई वही देता है -नज़र से परे घर से बुला कर आपको कोई अवसर नहीं देने वाला इसलिए सोच समझ कर चलें -इस तरीके के फायदे यह हैं कि आपकी वकालत करने वाले उपलब्ध हैं आपको हाड़ तोड़ भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी .आप अनावश्यक गलत नीयत लोगों से बची रहेंगी -ये जैसे किसी के नाम की छतरी ओढ़ लीजिये ओले सीधे नहीं पड़ेंगे बारिश में भीगे भी तो थोडा बहुत भीगेंगे .हाथी के पैर में सबका पैर होता है इसलिए मेंटर तो हाथी कद का ही चुनिए -चुन ले तो उनकी विश्वासपात्र होने के लिए परिश्रम करें उन्हें समझे उनकी कही और अनकही सभी बातो को समझे -उनके सब इलज़ाम सर लेने को तत्पर रहें उनके प्रति घोर निष्ठा बनाये रखें -उनके अनुसार अपनी सोच और व्यवहार रखें ,अपनी किसी भी मह्त्व्कान्क्षा  यदि कोई है तो का कभी भूल कर भी उनसे  जिक्र  नहीं  करें अपने सभी अवसर और भाग्य उन्ही पर छोड़ दे -
इसके कुछ रिस्क हैं -मान लो आपके मेंटर का ही जहाज डूब गया तो समझो आप की मेहनत उन्ही के साथ डूब गयी, यह एक   दाव है चले तो चले न चले तो  न चले ,क्यूंकि आपकी पहचान उनकी छत्र छाया में उनके नाम से बनी है तो अकेले आप को कोई भाव नहीं देगा ."किसी के भी नहीं हो "से  कहीं ज्यादा अच्छा होता है किसी का होना -जो किसी के नहीं होते वो कहीं के नहीं होते ये भी एक सच है सियासत का -आत: सावधानी से चुनाव करें
दूसरा तरीका यह है की आप जनता के माध्यम से आगे बढे और जनता के बीच रहें उनमे अपनी पैठ बढ़ाएं -अपने पक्ष में जनमत बनायें जनता तो टाइम दे आपको जानने का ,उनके दुःख सुख में शरीक हों हर घर का बिना भेदभाव पानी पीजिये यानि उन्हें समझिये उनकी सोच रीती रिवाज परम्पराएँ सब अध्यन करें और सब में भाग ले ,लोगो को अपने साथ जोड़े इतना गहरा जोड़े कि बिना पार्टी के टैग के भी या बिना किसी शीर्ष नेता के टैग के बिना भी वह आपको वोट दे सकें .याद रखें समर्थक बनाने व् व्यक्तिगत  वोटर बनाने में अंतर होता है -आपको जनता क्या वास्तव में अपना बॉस बनाना चाहेगी या नहीं यह मुश्किल सवाल है -हालांकि जन नेता का अर्थ होता है जन सेवक लेकिन अभी तक जनता में थ्योरी तो यही हैं की नेता सेवक होते हैं और व्यवहारिक और प्रक्टिकल रूप से उन्हें भी पता है कि नेता ही एक दिन ऊँ पर शासन करने वाले हैं या प्रसाशन पर नियन्त्र करने वाले हैं .जितना ज्यादा आप जनता में रहेंगी उतना जनता आप से प्रेम भाव से जुड़ती रहेगी .आपको मिलने वाले ही आप के लिए कार्यकर्ता का काम करेंगे और आपके लिए जनमत बनाने के लिए प्रयास करेंगे .इस तरीके में समय बहुत लगता है आप जब तक अपरिहार्य रूप से बिना पार्टी के भी जीत दर्ज करवाने जितना सक्षम होंगी तभी पार्टी भी आपके बारे में सोचने लगेगी यदि आप इतनी मेहनत नहीं कर पाती हैं तो भी किसी जातीय या लैंगिक समीकरणों में आप को अवसर मिल सकता हैं -इस तरीके का सुखद पक्ष ये है कि किसी भी नेता के डूबने से आप नहीं डूबेंगी आप सदा जिन्दा रहेंगी नेता के रूप में  लोगों के बीच .आपको दिन रात की बेगार नहीं करनी पड़ेगी ,आपको अपनी बात कहने सुनने की स्वतत्रता होगी .आपकी कही बात का वजन माना जायेगा .आपको कोई हलके में नहीं लेगा और कोई आपकी अवहेलना नहीं कर पायेगा -याद रखिये दोनों ही रास्ते शिखर तक जाते हैं और तीसरा समझदार उपाय यह है कि आप लोबिंग में भी सक्रिय रहें समय अनुसार मेंटर भी बदल ले अगर न जमे तो और जनता के बीच भी बनी रहें तो संभावना व् अवसर कहीं से भी आ सकते हैं

नेता वही जो इक्कीस हो

बहनों नेता वही होता है जो इकीस है 17- 18 -19 -का  कौन  अनुगमन करता है कोई नहीं .यदि आप चाहती हैं कि आपका  नेतृत्व स्थापित हो तो आपको स्वयं का विकास करना होगा खुद को इक्कीस बनाना होगा -जानकारी  लेने में आगे रहें -ताज़ा राजनैतिक व् प्रसाशास्निक घटना कर्मो से अपडेट रहें  ,आज जब सूचना क्रांति का युग है और सूचना जहाँ तहां फैली है तो आप की सूचना के प्रति तत्परता बनती है आप अपने विवेक से सही और गलत सूचना में तभी भेद कर पाएंगी जब आप उस विषय पर मूल जानकारी रख रही होंगी ,information is the best weapon बस आपको चौकन्ना व् जिज्ञासु होने की ज़रूरत है ,कम जानकारी वाले बॉस को कर्मचारी नीचा दिखाने  का  कोई अवसर नहीं चूकना चाहते और बार बार हीन व्यवहार से  मालिक  कर्मचारियों पर अधिक  भरोसा करने लगता है और उनकी सोच अनुसार फैसले लेने लगता है -जो ज्यादा जानकारी  रखेगा कम जानकारी वाला उसके अधीन व्यवहार करेगा  इसलिए महिला   नेता   को ज्यादा सीखना चाहिए ताकि आप  समकालीन प्रतिद्वन्द्वी पुरषों के विरोध का सामना कर के उनसे भी ज्ञान में व्यवहार में इक्कीस हो  जाएँ .ध्यान दे पुरषों के लिए उसका उच्च स्थापित लिंग ही बहुत है आगे रहने के लिए ये जैविक उच्चता समाज में गहरे घर की जा चुकी है जिस से न केवल पुरुष बल्कि अधिकतर औरते भी ग्रसित हैं कि पुरुष बेहतर शारीर व् दिमाग वाले होते हैं -आप इस जैविक स्थापित सोच से तभी लड़ पाएंगी यदि आप अन्य ज्ञान व् अनुभव व् साहस दिखाने के क्षेत्र में अग्रणी रहेंगी .अन्यथा पुरुष वर्ग औरतों को सहचरी के रूप में या अधीनस्थ  के रूप में तो मान्यता देगा पर नेता के रूप में  नहीं -
अगर आपको वहम हो की फलां नेता आपको बहुत सम्मान देता है और आपके कार्यों की प्रसशा करता है तो एक बार यूँ ही उसी की सीट से चुनाव की इच्छा स्पस्ट कर दो -अपनी स्तिथि में अंतर पता चल जाएगा .घोर मजबूरी में ही पुरुष स्त्री की सत्ता को मानता है अन्यथा वह अपनी  ताकतवर यथा स्तिथि बनाये रखने में अंतिम सांस तक लड़ता है .यूँ भी हमारे देश में अभी तक पुरुष महिलाओं को या तो देवी के रूप में जानता है या दासी --  माँ और भोग्या  के बीच कोई रिश्ता उसे बनाना नहीं आया है -लीडरशिप में भी यही सब  अभ्यास में है आज तक अत : नयी इबारते लिखने के लिए कमर कस ले -सीखे बहुत सीखें इक्कीस बन जाए -कर्म में भी ज्ञान में भी निष्ठां में भी शारीरिक रूप से भी सक्षम बने और आर्थिक रूप से सक्षम रहने की कोशिश करते रहें निरंतर
बार बार कहती हूँ सीखने और पूछने में संकोच नही करें आगे बढ़ने का यही एक रास्ता सही दिशा की और जाता है 

शनिवार, 28 मई 2016

महिला नेतृत्व विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम -श्रंखला कड़ी एक -भारत देश का राजनैतिक मानचित्र व् प्रसाशनिक मानचित्र -देश क्या है ?

जानिये
भारत  देश  का  राजनैतिक   मानचित्र
Political Map of India

यह भारत  का राजनैतिक  मान चित्र है जिसे हम भारत भूमि के नाम से पहचानते  हैं -इस भूभाग  पर भारत  की जनता  द्वारा चुने हुए  लोगों  की सरकार  है जो इस देश का शासन संभालती  है ,इस देश में  29 राज्य व् 7केंद्र  शासित प्रदेश हैं

  देश क्या है ?
 देश होने के मुख्य तत्व हैं -धरती  का  भाग  हो  और उसमे रहने वाले लोग हो  और उस भू भाग की सीमायें हो और वहां पर रहने वाले लोग अपने फैसले खुद लेते हों .अपनी सीमा की सुरक्षा खुद करते हों अपना प्रसाशन व् शासन खुद  करते  हों .और लोग सांस्कृतिक  रूप से अपने को एक दुसरे से जुड़े हो  कर  संयुक्त  रूप  से ही  अपना  नियन्त्र करने में  और आगे  बढ़ने में  विश्वाश करते  हों .  वही देश होता है   ,असल में अगर किसी भू भाग  पर  कोई भी  न रहता  हो  उसे देश नहीं  कहा  जा  सकता .इसलिए  वास्तव में देश में लोगों का होना महत्वपूर्ण  अवयव है -किसी भी एक अवयव  के कम होने से उसे देश नहीं कहा जाएगा -लोगो का समूह हो और उसके पास अपनी कोई जमीन न हो तो उसे भी देश नहीं कहा जाता -अगर ये दोनों हो लोग भी हो और धरती भी और उनके पास स्वयं की सत्ता न हो यानि वह प्रभु सत्ता संपन्न  न हो तो भी देश नहीं कहलाया जायेगा -जैसे कि आप  जानेंगी  कि बहुत से भूभाग के लोगों पर अन्य देशों का नियंत्रण रहा वह उसी देश की कालोनी कहलाई पर जब उन्होंने अपनी स्वयं की सत्ता पायी यानि आज़ादी ली तभी वह स्वतंत्र देश के रूप में  पहचाना गया ,हर भूभाग के लोग अपनी संस्कृति अनुसार अपना एक संयुक्त  रास्त्र नाम रखते है और अपनी पहचान के रूप में उसे परिभाषित करते हैं



भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था में दो सदन हैं लोक सभा एवं राज्य सभा -लोकसभा के सदस्य सीधे जनता के बीच से चुन कर आते है  व् राज्य सभा में मनोनीत सदस्य होते हैं -आईये पहले लोक सभा क्षेत्रो को जानते हैं
सारे भारत को जनसँख्या व् भूमि आधार पर 545 लोकसभा क्षेत्रो  में  बांटा गया है  जिसमे 543 सदस्य चुन कर आते हैं और दो  सीटो पर संसद में एंग्लो इंडियन  कम्युनिटी को जगह देने का प्रावधान है यदि   भारत के राष्ट्रपति चाहे और ऐसी जरुरत महसूस करे तो इस कम्युनिटी के दो सदस्यों को रास्त्रपति द्वारा  मनोनीत किया जा सकता हैं  , सभी क्षेत्रो से सदस्यों  की भागीदारी सुनिश्चित करने  के  लिए केंद्र शासित प्रदेशो से 20 सीटों पर सदस्य चुन कर आते हैं  -इस मानचित्र में आप देख सकते हैं की देश के हर कोने के लोगो को अपना लोकसभा प्रतिनिधि चुनने की व्यवस्था सुनिश्चचित की गयी है









अधिक जानकारी के लिए आप लोक सभा की अधिकारिक वेब साईट पर जा सकती है यहाँ लिंक है -http://164.100.47.192/loksabha/Parliament.aspx

सी एल यु मतलब मोटा काम -व्यंग्य

आज  सुबह  सुबह  अखबार  में  खबर  पढ़ी पूर्व  में  कांग्रेस  नेता  वर्तमान ने  बी जे  पी  नेता  और  आजकल  के  पिछड़ा  वर्ग  के  मूर्धन्य  नेता श्रीमान भाई  रोशन  लाल  आर्य  को  पुलिस ने  जयपुर  से गिरफ्तार  दिया  (पुलिस को उन्हें  हरियाणा में  जातिय दंगा भड़काऊ भाषण  दे  कर  जनता  में  कटुता  फ़ैलाने के  मामले  में तलाश  थी  पर  हाई  कोर्ट ने उन्हें राहत  दे दी थी ) गिरफ्तारी का  कारण  clu  दिलवाने  के  नाम पर  ठगी को अंजाम देना बताया  गया -दिल्ली के सेठ जी विशाल अग्रवाल ने आरोप लगाया की रोशन लाल ने  उनसे 30 लाख  रुपये ले लिए न तो clu करवाया न ही उनके पैसे लौटाए ,(इस पोस्ट से मुझे उनके सही या गलत होना साबित करना कतई नहीं  है बस  clu के मामले  में  अपना  थोड़ी सी जानकारी साँझा करनी है )
तो  जनाब  खबर  पढ़ते ही मुझे एक दिन का वाकया  याद आया  मैं  पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के पास बैठी थी तो एक थोड़े कम कद के पर मध्यम सी आयु वर्ग के नेता अपने काम की रिपोर्ट देने आये  उनके जाने के बाद मैंने अपने उक्त वरिष्ठ नेता जी से पूछा  सर  इनको पार्टी टिकट मिलने की संभावना मुझे दूर दूर तक नज़र नहीं आती फिर क्यूँ इनका इतना खर्चा  करवाया जा रहा है पार्टी की रैली रख दी केंद्रीय नेताओ के आवभगत इतियादी में भी इनसे काम लिया जाता है अगर पार्टी ने टिकट नहीं दी तो -नेता जी ने मुझे समझाया कि देखो टिकट और सीटें तो सीमित होती है यदि न चुने गए तो सरकार में और बड़े उपाय होते हैं कहीं चेयरमैन बना दिये जायेंगे  या कोई मोटा काम करवा लेंगे .और खर्चे पूरे  कर लेंगे  पार्टी थोड़े  न  कुछ  देती है पार्टी को तो देना  पड़ता है .बाकी तो समझ में आया  पर ये मोटा काम तब समझ में नहीं आया था और शिष्टाचार वश मैंने खुल कर पूछा नहीं कि सर ये मोटा काम क्या होता है .चलो बात आई गयी हो गयी .सरकार आ गयी  मुख्यमंत्री भी बन गए तो  पता चलने लगा की सरकार के मोटे  कामों पर  एक अधिकारी  और एक पूंजीपति  कुंडली मार  कर बैठ गए  हैं  मैं फिर भी न समझी - जब भी कोई मोटा  काम होने की खबर  दौड़ती  जो मुख्य मंत्री  नहीं बन पाए छटपटा जाते  और विरोध का स्वर बढ़ा देते -मोटे काम  का  होना असहनीय होता  जा  रहे  थे  जिस से अनुभव था  ताकत का और मोटे काम और  मोटी कमाई का  उनके  पसीने  छूट रहे थे .फिर जो हुआ वह सभी जानते हैं
"जब जहाज की न रही कोई औकात तो हम चूहों की क्या बिसात "
कुछ समय बाद एक दिन एक ऑनलाइन अखबार ने खबर छपी हरियाणा में एक एकड़ clu का रेट २ करोड़ रुपये मुख्यमंत्री ने जारी किये 50 -55 clu -पढ़ते ही मुझे मोटे काम की परिभाषा  समझ में आने लगी फिर तो सैंकड़ो मोटे काम तो मुझे मंडी के व्यापारियों ने भी गिनवा दिए -एक बारगी तो यकीन नहीं हुआ चलो खैर समाज में क्या क्या होता है सीखना समझना तो होता है जिज्ञासा वश ,
(कृपया मुझ से उस अंग्रेजी ऑनलाइन अखबार का लिंक न मांगे तब मुझे लिंक या कोई पोस्ट सेव करनी नहीं आती थी -बस पढ़ लेती थी )
तब समझ में आ गया था की सियासत में खर्चे कैसे पूरे हो जाते हैं और मुख्यमंत्री को पार्टी के बड़े मगरमच्छो  द्वारा कैसे नोचा जाता है बड़ी टेढ़ी खीर लगी ये कुर्सी न हो तो गए हो तो गए ,धन्य हैं वे जो इतने दबाव में भी काम कर लेते हैं -अब आप ही सोचो अगर कोई मुख्यमंत्री उक्त नेता के कहने पर clu न दे तो वो तो कहीं के न रहेंगे न घर के न घाट के -सियासत के कर्जे कौन कैसे उतारे -न देश में कोई लोन मिलता है न ही संघर्ष करने वालो को कोई निवेशक मिलता है -ज्ञात रहे कुछ धनपति भी निवेश करते हैं  कोई चैरिटी नहीं करेगा -उनकी भी अपनी अर्थ नियमावली है किस को कितना कब देना है या नहीं देना उन्हें हम सब से ज्यादा समझ है -ये तो भोले भाले लोग है जो संघर्ष करने वालो को भी सिक्को से तोल देते हैं ऐसे में क्या एक clu भी न मांगे

इस लेख को व्यंग्य में ही ले ले तो ही ठीक है -लेख की सत्यता स्थापित करने की मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है - ये विचार मेरे निजी है कल्पना भी हो सकते हैं (विवाद से बचने का यही तरीका है )




शुक्रवार, 27 मई 2016

प्यार हो जायेगा मेरी रूह से


मत पढो
मत सुनो
मेरी बातें
प्यार हो जायेगा
मेरी रूह से
अनश्वर बस वही है
अल्लाह से मिल कर आई है
इसलिए मोह लेती है तुम्हे
जादूगरनी है
आपे से बाहर हुई जाती है
नश्वर को लिपटाये फिरती है
न तो लिपट जाती कब की
हर रूह से
जो अभी अभी अल्लाह से
मिलने जाती है या लौट के आती है
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सदमति दे भगवान्

मैं क्यूँ करूँ संजीदा बातें
















क्यूँ भई
मैं क्यूँ करूँ
देश दुनिया की
सब संजीदा बातें
पता है इनसे दिल दिमाग पर
टनों बोझ पड़ जाता है
मुस्कुराया भी नहीं जाता
क्यूँ न मैं
ऐसे मुद्दों में अपने
अपने दिमाग की टांग   (काबिले गौर है -दिमाग की भी टांग होती है जो कहीं भी फंस जाती है )
कुछ दिन दूर ही रखूं
और खुश रह हूँ
सबसे प्रेम कर के
सबको गले लगा के
किसी के लिए बजा के
किसी के लिए थाली बजा के
किसी को सुन लूँ
किसी को कह लूँ
मुझे अभी नहीं बैठना है
चिंता से सताए
चिता सी सजाये
बुद्धिजीवी लोगो के बीच
लद कर नहीं उठना मुझे
बस जीना है
मुस्कुराते हुए
उन के साथ भी रहना है
हँसना मुस्कुराना है
जो पिट चुके जोक सुनते है
कभी खुद पिट कर भी आते हैं
फिर भी लोटपोट हुए जाते है
सारे बेचारे आम आदमी
बेचारा कर देते है
उन्हें भी जो उनकी बेचारगी पर
टनों कागज़ लिखे बैठे हैं
मुझे उन्ही में रहना हैं
सुनीता धारीवाल जांगिड

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फाल्गुनी उमंग है














रंग हैं   पतंग हैं
लहू में तरंग है
फाल्गुनी बहारो की
हवाओ में उमंग है
मस्त हुआ फिरता है  भंवरा
 कालियां  भी हुई दबंग हैं
रंगोली सी धरती है
उपर वाला भी दंग है
खुद से  प्यार हुआ जाता है पगले
यह फाल्गुन की उमंग है
मदमाती चाल
 बिना ढाल
यही फाल्गुनी ढंग है

सुनीता धारीवाल




गुरुवार, 26 मई 2016

दिलचस्प हरियाणा का रोचक समाज


दिलचस्प हरियाणा  का रोचक समाज

देश में इस बार  यूपीएससी में टॉप करने वाली होनहार टीना डाबी को भी हरियाणा एक दिलचस्प राज्य लगता है और वह यहाँ इस दिलचस्प राज्य में काम करना चाहती है  यहाँ के आर्थिक व् लैंगिक मुद्दों में  घोर असमानता के चलते इस प्रदेश में महिलाओं व् लिंगानुपात को सुधारने के लिए वह हरियाणा कैडर चाहती हैं -अब भाई हरियाणा किसी को भी दिलचस्प क्यूँ न लगे यहाँ रोचक लगने की बाते ही बहुत है और इतना रोचक हरियाणा आज से पहले कभी भी  न था .गावं गावं में बंगाली ,मराठी ,मलयालम,उड़िया ,असमिया  लहजे में हरियाणवी औरतों को देखा सुना है  शायद ही कोई राज्य होगा भारत का जहाँ की लोक भाषा अन्य भारतीय भाषाओ या बोलियों के लहजे में बोली जाती हों पर हरियाणा ने यह संभव कर दिखाया है -दूध दही के खाने की भरपूरता के चलते हरियाणा देश विदेश मूल की बहुए afford कर रहा है आप  घूंघट भीतर मंगोल चीनी आँखे भी देख सकते हैं  यहाँ . आज से पहले फेसबुक राजा जी (नाई जी को राजा जी कहते हैं जो वैवाहिक  रिश्ते करवाने की जिम्मेदारी  निभाते थे )कहाँ थे जो किसी बेरोजगार युवक को अमरीकी गोरी मेम दिलवाने में सक्षम हो जाए

an american girl married a haryana boy by falling in love with him through facebok - Entertainment News in Hindi
और कौन सा ऐसा जवान छोरा था  पानीपत के पोपरण  गावं  मुकेश जैसा  जो अपने से दोगुनी उम्र की गोरी बहु ल्याया जिसकी 25 साल की बेटी भी है और वो  दोनों खुश हों .अमरीकी बहु खेत क्यार का काम कर के खुश हैं .
आज तक किसी सरपंच को प्रधानमंत्री ने सेल्फी  विद डॉटर  कांटेस्ट के लिए भी प्रसंशा नहीं मिली थी  युवा सरपंच मुकेश जागलान ने जितनी प्रसिद्धि पाई उतनी देश में किसी भी सरपंच को न मिली
.Mother, 66, gives birth to triplets
मदीना गावं की 66 वर्षीया भतेरी देवी तीन बच्चो की माँ बनी और 70 वर्षीय राजो देवी भी माँ बन पाई ivf तकनीक की पहुँच बनी हरियाणा में

आज इस दौर में जितनी हरियाणवी बोली का इस्तेमाल मुंबई फिल्म उद्योग ने किया इतना कभी न था ,मलिका शेहरावत रूपहले परदे पर दिखी थी बगावती सी छोरी की तरह और आज रणदीप हुड्डा दिख रहे है दुलारे की तरह और हरियाणवीयों ने  खेंच रखा हैं मीटर .इतने नए और पुराने बोलीवुड कनेक्सन दिख रहें हैं हरियाणा के जितने पहले कभी न दिखे .पक्के ,मकान ,सडकें , बड़े बड़े शोपिंग माल ,और कार ,मोटर साइकिल और मोबाइल तरह तरह के गैजेट से अट गए बाजार और घर घर इन्टरनेट की पहुँच हो गयी .
आज से पहले कभी बस में लड़कियों ने कभी लड़के पीटे थे ,कमाल तो छोरियां खेलों में कर गयी लम्बी लिस्ट है(यहाँ देना संभव न होगा बस सर ऊँचा कर दिया  ) बॉक्सिंग में तो  लगभग हर वेट में सारी छोरी हमारी -कुश्ती में हाकी में और हर खेल में हमारी छोरियां ,पैरा ओलिंपिक में भी  लेखन में भी कछुऐ  की तरह चुपके से  गर्दन बाहर निकाल  ली यहाँ की छोरियों ने  अनुराधा ने यूरोप घूम के धूम कर दी सोना चौधरी ने खेल की पोल सी खोल दी , लड़कियां इतना बोलने लगी लिखने लगी  कहने लगी -नई पीढ़ी का झंडाबरदार हो गयी छोरियां ही ऐसा तो पहले माहौल न हुआ था .गाने बजाने  भी डी जे वाले हो गए ,


और कहीं एक दम सारा ही समाज  न बदल जाए इसलिए हम पूरी  तरह से नहीं बदलते हमने अपने आप ही अपने भाईचारे को आग लगा ली सरकारी बसे फूंकते फूंकते एक दुसरे के घर फूंक दिए ,गोत्र में रिश्ता बनाने वालो को कस्सी से खुद ही  काट कर सारे गावं में भी लाशो को ट्राली में डाल कर हमने सारे गावं में घुमा भी दिया .लड़की पैदा ही न हो उसके भी उपाए कर लिए लिंग जांच की मशीन घर घर डोर तो डोर उपलब्ध करवा ली ,कमी पड़ी बहुओं की तो सारे देश की छोरीयां  ला  के बसा भी  ली .देश विदेश भी हम पहुँच गए , राज बाबा बन के विश्व के सबसे बड़े व्यापारी भी बन गए  देश सेवा भी कर ली .टेलीविज़न पर भी हमारे सुथरे सुथरे बालक डांस शो में जीतने लग गए .हमने गुडगाव जैसे शहर आबाद कर लिए राजधानी की छाती पर और देखो हमारी खूबी यह है हम कंट्रोल से बाहर हो तो  खुद को ही कण्ट्रोल करने में हमारा नाम है फ़ौज की ज़रूरत नहीं होती न ही पुलिस की बाद में हम खुद ही छतीस बिरादरी भाईचारे की मीटिंग कर के मामला निपटा लेते हैं ,हम प्रदेश में बिना सरकार  बिना मुख्यमन्त्री के भी कम चला लेते हैं
और भी बहुत  रोचक व्यवहार है जो हमे दिलचस्प बनाते है इसलिए टीना  बिटिया जी जरुर आइये हम बेहद दिलचस्प लोग है और खुले दिल के मस्तमौला संकीर्ण लोग -बस हरियाणवी हरियाणवी ही होता है हम खुद को प्रिडिक्ट नहीं कर पाते कोई और कैसे कर पायेगा ,हमारे बीच रहिये हमे जानिये




मंगलवार, 24 मई 2016

बैराग भला

बैराग कितना भाने लगा है भीतर ही भीतर घर बना लिया है उसने और कमंडल व् झोला रोज़ खोलता है वो जब भी मैं अकेली होती हूँ और उसकी बात मान जाती हूँ और चल देती हूँ उसके साथ राग द्वेष मोह माया के बंधनो से परे और छोड़ देती हूँ खुद को उस असीमित रौशनी से लिपटने के लिए जहाँ सिर्फ और सिर्फ एक प्रकाश है और मैं भी बस प्रकाश बन जाती हूँ एकदम हलकी और चमकदार और फ़ैल जाती हूँ सारे ब्रह्माण्ड में खटखटाने लगती हूँ उन सब के किवाड़ जो जागते हुए भी सोये है और घिरे हुए है अँधियारो में
मेरा यही मन भावन पर्यटन है आज कल मन एकाग्र कर ध्यान लगाओ और दुनिया और ब्रह्माण्ड घूमो
अमेज़न फ्लिपकार्ट कहीं भी नहीं मिलता इसका टिकेट
ढूँढने से मिल जाएगा आपके भीतर ही बस ध्यान लगाओ
चलो चलो कोशिश करो ये अनुभव हर हाल में स्थिर रखता है ख़ुशी देता है

कूल्हे मटकाना कौन सा बुरा है

 अभिनेता @ऋषि कपूर # सम्पत्तियों  पर गान्धी परिवार का नाम ही क्यों? महाशय देश पर क़ुर्बानी देने वालों के नाम नहीं तो क्या कुल्हे मटकाने वालों के हों?
इस ट्विटर पोस्ट पर एक  राजनेता मित्र ने इस प्रकार जवाबी टिपण्णी  कर दी -देश पर मिटने वालो को नहीं तो क्या कूल्हे मटकाने वालो का नाम लिखा जाए -इस पर मैं बिना दखल दिए रह न पाई इसलिए उन्हें लिख दिया
प्रिय बड़े भाई
इंसान जब बेहद खुश होता है तब वह मुस्कुराता है हँसता है खिलखिलाता है जब हर्ष या ख़ुशी बेकाबू होती है तो मानव के देह में तरंग के रूप में प्रविष्ठ हो जाती है और इंसान की देह तरंग से अभिभूत क्रिया करती है और देह में हलचल होती है चूँकि इंसान की देह में कूल्हे लचीले जोड़ो से सुसज्जित है जिस से कूल्हे ही अत्यधिक ख़ुशी में लचीली हरकत करते है यानि मटकते है और देह का हर भाग व् अंग उपांग सब थिरकते है पर कूल्हे सबसे अधिक दृश्यता लिए होते है नाचना तो खुशी की अभिव्यक्ति की पराकाष्ठा है यही पराकाष्टा की क्षणों को मोक्ष परिभाषित किया जाता है असीमित आनंद
कूल्हे मटकाना कोई पाप नहीं न ही कोई हीन कर्म है न ही इन कूल्हे बेचारो को नीच संज्ञा दी जा सकती है
जहाँ तक कूल्हे मटकाने का सवाल है तो हर इंसान मटकाता ही है गाहे बगाहे या फिर कभी कभार अब देखो इंदिरा जी को देखिये वो भी कहाँ रोक पायी खुद को कितनी बार लोक कलाकारों के साथ वे भी नाचने  से खुद को नहीं रोक पायी बल्कि इस तरह नाचना उनकी लोकप्रियता को बढ़ा ही देता था हर बार ऐसे ही कितनी बार सोनिया जी भी लोक रंगो में रंगी दिखी और उनकी आँखों में ख़ुशी की चमक तो मैंने भी देखी है सभी नेताओ ने कभी न कभी हर्ष को बताया है
हां ये बात गौर करने लायक है कि बिना आंतरिक हर्ष के रोटी के लिए या वोट के लिए कूल्हे मटकाना तो करतब ही कहलायेगा और उनका वह सम्मान न होगा
और हाँ याद आया सो called कूल्हे मटकाने वालो की जीत पर सबसे ज्यादा भरोसा कांग्रेस ही करती आई है कभी देश का नेतृत्व करेंगे और इतिहास भी रच सकते है ये रचनात्मक जो ठहरे
पभु प्रेम में हर कोई नाचे कृष्ण भी स्त्री वेश धर नाचे देश प्रेम में मैं भी नाच लूंगी

आज़ाद सी वह

उसे देख बहुत खुश  हूँ
वो कैसी आज़ाद सी चहकती है
जब से उसने उसने ठोकरों को ठुकराया है
शायद एक मित्र नया बनाया है
मैंने देखा उसे बाहें  फैला
चूनर को हवा में लहराते हुए
जंग लड़ी थी उसने
अपने श्याम वर्ण की अस्वीकार्यता
घरेलु हिंसा और हिकारत से
सारा दर्द  उकेरा उसने
रंगों के कैनवास पर
काले रंग के शब्दों से
पन्ने भर किताबें कही
 आत्म सम्मान
नयी पहचान
सब कुछ हासिल
मैंने देख लिया था
  बेसुधी ठोकर लिए
उसके काँधे पर चढ़ी थी
नियति यह कि
 आजकल वह चढ़े  रंग
 उतारने में लगी है
फिर से खुद की खोज में
नयी परिभाषा संग आएगी वो
शीघ्र ही एक बार फिर
नए मंच पर नए कलाम के साथ
और मैं उसके इंतजार में हूँ
कि वो  आये  और एक बार फिर  से  कहे
दीदी ज़िन्दगी जीने के लिए है
बिताने के लिए नहीं


सुनीता  धारीवाल 

भीड़ हूँ मैं

भीड़ हूँ
लहलहाती हूँ
जब सर उठाती हूँ

साहिलों के पास
अररर
संभल कर जरा
अच्छे तैराक वही
डूब जाया करते है
सुनीता  धारीवाल

जी तो किया था कि भीग जाऊं
पर बरसे कहाँ थे  तुम भिगोने के लिए
सुनीता धारीवाल

राहत

कुछ तो राहत होती है जब पसीजते हो तुम
जैसे आज बरसे नहीं बस पसीजे थे तुम

तस्वीर

उतारा जो
उसे
दिल से किसी दिल ने
तस्वीरों में उतर उत्तर
खोजती है
कि क्यूं ?

मुझको अब और बड़े नहीं होना

गिर ही तो न पायी थी
ऊँचा उठने के लिए
नीचे बहुत पक्की थी
राज दरबार  की गली
कुछ पल दुर्गन्ध की बैठक थी
बड़ी संकरी और अँधेरी थी
हाय उबकाई सी हो आई
यूँ तो मैं बड़ी कमेरी थी
न घुटनो के बल चल पायी
न रेंग रेंग सरक पायी
आज भी तन कर चलती हूँ
नेता सी बनी टहलती हूँ
बस मुझको बड़े नहीं होना
छोटे छोटे सपने है मुझ्को बोना

लौटते अवसर

बरसो दस्तक देते अवसर
न जाने क्यों
मेरे घर के बाहर से
दबे पाँव गुजर जाते है
पहुंचती हूँ जब दरवाजे तक
बस जाती परछाई दिखती है
और लौट आती हूँ मैं
कर्म की उसी खिड़की पर
जिसका न  दरवाजा
न शीशा हैं

मेरे हिस्से कुछ किस्से









कुछ कहानिया कुछ किस्से
कुछ तेरे हिस्से कुछ मेरे हिस्से

सुनीता धारीवाल

मुक्कमल

मुक्कमल हो गयी हूँ
छूट कर तुझ से

मेरी तरफ

कोई मेरी तरफ न था
तरफदारी फिर करता कौन
कितना  रोया और बौखलाया था
मेरे भीतर का चिल्लाता मौन

सुनीता धारीवाल

मेरी जिस स्वभावगत  गति से तकलीफ रही हो ताउम्र -देखना उसी गति के लिए ही जानी जाउंगी एक दिन और मंथर होती तो तुम्हे भी न सुहाउंगी

कम्बखत धड़कने

कमबख्त धड़कने 
नींद का अपहरण किये
 धाविका सी भागी जाती है 
तभी तो  दिल बेचारा  
प्यास से मरा जाता है
 और दिमाग 
पसीना पसीना
सुनीता धारिवाल

नामर्द हवाएँ

शुरू होती है
ओझल सी हो जाती है
मेरी तरह सब सर्द हवाएँ
गुनगुनी सी बन जाती हैं
गर्मी की नामर्द हवाएँ

उपहार का शिष्टाचार

अक्सर हम उपहार Gift लेने वाले की हैसियत को ध्यान में रख कर चुनते है न की अपनी -(इनके यहाँ तो यह भी चल जायेगा कह कर गिफ्ट भी चला रहे होते है ) मुझे याद है हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारी की पत्नी ने लोकल गिफ्ट शॉप वाले से यूँ सेटिंग कर रखी थी जो भी गिफ्ट उनके यहाँ आये वह मैडम उन्हें आधे दाम पर उसी  दूकान पर बेच देती थी या फिर अपनी ज़रूरत का कोई और सामान ले लेती थी ,देखो भइ घर छोटा होता है ज़रूरी नहीं कि सब सामान सजाऊ जो भी आये इस से सौदा करना बेहतर है -और साहब को आये दिन कुछ न कुछ गिफ्ट तो मिलते ही रहते है -और एक मंत्री जी की पत्नी तो कार की डिक्की का हर हिसाब आते ही ले लेती है क्या मज़ाल की एक फूलमाला भी बाहर छूट जाये ,यही आदेश है उनका की मंत्री जी के आते ही सब कुछ भीतर लाया जाये बिना कान्ट छांट ,
अब आप ये भी जानना चाहते होंगे कि मैं उपहारों का क्या करती हूँ ?तो जनाब मैं बहुत ब्लेस्ड वीमेन हूँ जिसे जिंदगी में अनेकानेक सममान व् उपहार मिलते रहे है और आज भी मिलते हैं ढेरो शाल मोमेंटो फूल गुलदस्ते अन्य गिफ्ट -मैं इन्हें बहुत प्यार से ग्रहण करती हूँ फिर  उन उपहारों को उन लोगो को देती हूँ जिनकी उन्हें भौतिक ज़रूरत होती है कितनी ही औरतों को मैंने अपनी शाल भेंट की है मेरी माँ से लेकर मुझे प्यार करने वाली मेरा सम्मान करने वाली गाव की  बुजुर्ग दादियों तक ,गरीब लड़कियों की शादी में दे देती हूँ गिफ्ट्स बर्तन चादर इतियादी के सामान ,खाने का सामान जो मेरी ज़रूरत से ज्यादा हो तो मेरे घर के सामने धोबन को और यदि बिस्कुट नमकीन  जैसा बड़े बड़े पैकेट हो तो अनाथ आश्रम में बच्चों को दे आती हूँ जो धन मिलता है माला इतियादी वो पुनः खर्च हो जाता है डीज़ल पेट्रोल में जाने आने में -किताबे हो तो खुद रख लेती हूँ पढ़ती हूँ और स्कूल को दान करती हूँ
और हाँ मोमेंटो बहुत मिलते है घर के इंटीरियर डिज़ाइन में इनकी जगह नहीं है सो अपने दफ्तर में रख लेती हूँ चूँकि ये बहुत ज्यादा होते है तो मैं इन्हें भी अपने सहयोगी कार्यकर्ताओ को बाँट देती हूँ की ये लो सम्मान जो मुझे आप सब के सहयोग से मिला है और वास्तव में उन्हों के कारण बहुत कुछ मिला है यकीन मानो वो मोमेंटो उन के घरो में इतना बखूबी सजता और संभालता है दोहरी वैल्यू के साथ कि यह बहन जी को मिला इनाम है जो बहिन जी ने सिर्फ मुझे ही रखने को दिया है उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता
",तुम क्या समझोगे एक इनाम की कीमत "बरसो लगते है संघर्ष में पिसते हुए "
हाँ याद आया मेरे पास लगभग 27  साल पहले भी बहुत इनाम इक्कठे हुए  थे  सजा लेने के बाद भी बोरियों में भरे रखे थे और एक दिन मैंने गुस्से में चार बोरियां भर इनाम जला  दिए थे जब मुझे लगा की इनकी कोई कीमत नहीं रोटी दिलाने में दो रोटी  खाने में तब उम्र कहाँ पकी थी जो रोटी पकती
"देर से समझ आ रहा था की रोटी के लिए लोग  इनाम नहीं इमान मांगते है "
यही तो मार खा गया इण्डिया
(वैसे मुझे पेट भरने की कोई दिक्कत नहीं हुई कभी उदार पति बहिन भाई पिता परिवार के चलते बल्कि पकवान ही सुलभ रहे पर मैं अपनी कमाई रोटी का स्वाद चखना चाहती थी जो आज तक नसीब नहीं हुई "
और हाँ याद आया एक नए नवेले नेता ने मुझ से पुछा था की बड्डम बडे नेता को क्या भेंट दूँ
मैंने कहा "सोना ,हीरे या प्लाट या नॉट बाकी सब ये नहीं रखेंगे न इन्हें याद रहेगा "सच्ची मुची भाई ने अपने किल्ले बेच कर परिवार के हर सदस्य के लिए सोने और हीरे के आइटम दिए और भाई आज उनका खासम ख़ास है जी "

हर बार मेरे हाथ अनुभव के सिवाय कुछ नहीं आता
यही मेरी नियति है मेरा अनुभव दुसरो के बखूबी काम आता है

हे आम नारी -राज गली नहीं आसाँ पर जाईये ज़रूर

 हे आम नारी राजगली आसान नहीं  – पर चलो चुनावों के लिए अपनी दावेदारी करते हैं चलो चुनाव लड़ते हैं 

















हरियाणा में स्थानीय निकाय के हो रहे चुनावो के बाद पंजाब के विधानसभा चुनाव आने वाले हैं. चुनावी बाज़ार तेजी पर है. सभी पत्र पत्रिकाएं चैनल सब लोकतंत्र पर फ़िदा हुए जाते हैं इस बीच आओ बहनों आप के साथ भी राजनीति के या यूँ कह ले कि महिला नेतागिरी के साइड इफेक्ट्स सांझा कर ही लूँ आप के काम आयेंगे ख़ास कर उन राजनैतिक महिलाओ को यह सुझाव व् अनुभव बहुत लाभ देंगे जिन्होंने इस बार चुनाव लड़ने का मन बना लिया है –

तो बहनों ये साइड इफ़ेक्ट सार्वभौमिक हैं और कश्मीर से कन्याकुमारी तक प्रभावी है इन अनुभवों का लाभ उन भाग्यशाली महिलाओं को नहीं मिल पायेगा जो नामी गिरामी प्रतिष्ठित स्थापित राजनेताओ ,मंत्रियों, सांसदों, विधायको ,राज्यपालों इतियादी की सुपुत्रियाँ है या पत्नियाँ है या बहन,प्रेमिका इतियादी  इतियादी है. यह उनके लिए भी नहीं है जो पूंजीपतियों की बहु बेटियां है या जो ग्लैमर की रंगीन पर्दों की चमचमाती अभिनात्रियाँ है यह व्यक्तिगत अनुभवों से लैस  समझाइश  मेरे भारतवर्ष की उन वीरांगनाओ के लिए हैं जो आम साधारण भारतीय महिला हैं और जो देश प्रेम से ओतप्रोत ,निष्ठावान, जुझारू ,संघर्षशील स्वयसिद्धा है और राष्ट्र प्रेम व् राष्ट्र  के विकास हेतु प्रोत्साहित हो कर  राजनिति में कूद पड़ी है और जब आप ने चुनाव लड़ने के लिए एलान कर ही दिया है तो आपको नेतागिरी में कैसे कैसे और क्या क्या अनुभव हो सकेंगे जानिये चार महत्वपूर्ण चरणों में -

पहला चरण
1    1  आपके संबोधन अचानक बदल जायेंगे आपके प्रतिद्वंद्वी आपको बहिन जी मैडम जी कहने से गुरेज करने लगेंगे – सियासती बाज़ार में आपके नए नए नाम रखे जायेंगे और अपने नए नए संबोधन आपको चौंका देंगे .सियासती लोग आपसे मिलते ही आपके मुहं पर कहेंगे आओ जी नेता जी, विधयक जी, सांसद जी ,या मंत्री जी और कई अश्लील फूहड़ टाईप  हास्यपद नाम भी आपकी पीठ पीछे पुकारे जायेंगे .

2     2 आपके चुनावी क्षेत्र के अब तक के सभी प्रति द्वंद्वी जो आज तक कुत्तो की तरह बरसो से आपस में  लड़ रहे थे वे आपके खतरे को भांप एक मंच पर दिखने लगेंगे और एकजुट हो कर आपके खिलाफ सांझी रणनीति तैयार करेंगे

3       3     शहर में आपके हलके में आपकी अनूठी अफवाहें फैलने लगेंगी .अब आपकी हर गतिविधि संदिग्ध कहलाई जाएगी आपके परिवार व् मिलने जुलने वालो को शंका की दृष्टि से देखा जाने लगेगा

4         4- अब आपको अपना अतीत स्मरण नहीं करना पड़ेगा लोग आपके जन्म से ले कर अब तक सभी वाकये लोगो को कंठस्थ हो जायेंगे

5     5-    आपकी जन्म कुंडली सभी नेताओ के पास मिलेगी और शहर के ब्राह्मण उसे बांचने लगेंगे .किसी के भी पास जाओ आपकी कुंडली मिलेगी

6      6-    आपको अपने घर दफ्तर की सुरक्षा का ज्यादा ध्यान नहीं दें पड़ेगा क्यूंकि आपके घर दफ्तर के बाहर भीतर सब जगह जासूस तैनात कर दिए जायेंगे जो आपने सोने जागने नहाने धोने किसी से मिलने न मिलने तक की सारी सूचनाये आप से ज्यादा आपके प्रतिद्वंद्वी के पास मिलेंगी

7    7 -    प्रतिद्वंद्वियों के चमचे आपके घर दफ्तर में आपके निष्ठावान कार्यकर्ता बन कर घुसपैठ करेंगे और आप उन्हें पहचान नहीं पाएंगे

8     8-  आपके घर की हर क्रिया का लाइव अपडेट लोकल नेताओ के पास और हर किस्म के छुटभैयों के पास  मिलेगा .

दूसरा चरण
इस चरण तक आपका सार्वजनिक कद थोड़ा बड़ा हो चुका होगा और आपकी जगह समाज में बन गयी होगी ,आपकी लोकप्रियता बढ़ चुकी होगी आपके गुणों व् काम करने के तरीकों के कारण लोग आपको संवेदनशील कैंडिडेट मानने से लगेंगे तो साइड इफेक्ट्स का दूसरा चरण शुरू होगा

1 आपकी चारित्रिक बदनामी के प्रयास होने लगेंगे .विभिन्न नेताओ संग अफसरों संग आपके रंगीन अन्तरंग संबंधो के रोचक किस्से शहर भर  में चर्चित हो रहे होंगे .आपकी रंगीन काल्पनिक कहानिया प्रचालित होंगी –ऐसे राजनैतिक कथावाचको की मांग तेज़ी से बढ़ेगी(कई ऐसे किस्से सुनने को मिलेंगे कि आप समझ नहीं पाएंगी कि क्या ऐसा भी हो सकता है )

२- आपकी कही हर बात को आपके श्रीमुख से निकले हर शब्द को भद्दे अश्लील ढंग से परिभाषित किया जाने लगेगा और सार्वजनिक उपहास के अनेक प्रयास किये जायेंगे ,जैसे कोई मंच से कुर्सी खींच लेगा जब आप बैठने लगेंगी ,या कोई ऐसे कटाक्ष या लुच्चे और टुच्चेपन से द्विअर्थी शब्दों आपका परिचय देगा मंच  से कि लोग हँसेंगे और आप को स्तिथि व् अपना मनोबल संभालना मुश्किल लगेगा पर आप विजय पा ही लेगी और मंच से घर तक सामान्य होने की कोशिश में लगी होगी

३-आपके कार्यकर्ताओ का मनोबल गिराने के लिए प्रयास किये जायेंगे की आप गलत औरत के झांसे में आ गए हो उसका सच हम जानते है

4-अब आपके प्रतिद्वंद्वी पार्टी के आका पर दबाव डाल के आपके उपर रैल्ली या जलसे की जिम्मेदारी लदवा देंगे और थैली की भी जिम्मेदारी आप को दी जा सकती है

5-पार्टी के हर खर्च पर आपकी भागीदारी सुनिश्चित कर दी जाएगी पार्टी के हर नेता के आगमन आवभगत की जिम्मेदारी खर्च सहित आप पर डाल दी जायेगी और साथ ही हाथ आपका प्रचार होगा की आप बेहद कमज़ोर प्रत्याशी साबित होंगे और पार्टी की सीट का नुक्सान होगा यदि आपको पार्टी ने भाव दे दिया तो 

6-शहर के सभी चंदा मांगने वालो को आपके घर का पता बताया जाने लगेगा एकाएक चंदा मांगने वालो की भीड़ का आप सामना करने लगेंगी

7- अलग अलग संस्था वाले ,रामलीला वाले ,गली मोहल्ला मैच वाले , सभी आयोजनों में आपको फीता कटवाने के लिए ले जाने वालों की भीड़ बढ़ जाएगी ,मंच पर आपसे धन दान की अपील की जाएगी ,विवाह शादी ,रस्म क्रिया ,दसूठ्न ,जगराता ,कीर्तन इतियादी सब के निमंत्रण आपको ढेरों प्रतिदिन प्राप्त होंने लगेंगे .

8- स्थानीय धर्मस्थलों से लेकर गली नुक्कड़ के भूत उतारने वाले बाबाओ के चेले,छोटे बड़े  डेरे वाले बाबाओ के चेले आपके पास आने लगेंगे आप को बताने कि उनके बाबा के पास कितनी अंधभक्त वोटर की ताकत है ,और वे आग्रह कर कर आपको अपने बाबा के पास ले जायेंगे ताकि डेरे बसेरे की भी मार्केटिंग हो सके कि आप जैसे लोग भी नतमस्तक हैं वहां पर (गरीब आदमी वहां भी ठगा जायेगा )अंधभक्त आपके कार्यकर्ताओ के माध्यम से दबाव बनवायेंगे कि फलां नेता ने फलां डेरे मंदिर की इतनी सेवा की फर्श या छत पक्की करवाई तभी उसे उसे आशीर्वाद मिला और पार्टी ने टिकट दी और वह विधायक बने -आपकी समझ से बाहर चीज़े होते हुए भी आप कुछ नहीं कर पाएंगी क्यूंकि आप को पब्लिक में पहुँचना है हर हालत में हर जगह .


9- –कुछ छुटभैया  नेता आपके नाम से जगह जगह लोगो से धन उगाही करने लगेंगे अब आपके सावधान होने की बारी हैं पर वक्त की कमी के चलते आप चाह कर भी उन्हें ढूंढ नहीं पाएंगी

9                 10 -आपके हर खर्च में दलाली होने लगेगी छोटे छोटे खर्चो को बढ़ा कर आप से माँगा जायेगा

1                 11- आपको अपना मीडिया मैनेजमेंट खुद देखना होना प्रेस नोट लिखने से छपने तक. मात्र 100 प्रति अखबार  की        डिस्ट्रीब्यूशन वाला यानि वितरण वाला अखबार/पत्र पत्रिका से लेकर लाखो प्रति वितरण करने वाले अखबार आपसे       विज्ञापन की उम्मीद करने लगेंगे और आपका मीडिया बजट कितना है कि जानकारी लेने लगेंगे (भइ आम आदमी       का क्या मीडिया बजट )हर कोई आपका प्रेस नोट छापने के लिए उत्सुक होगा -आप मार्किट में आया नया ग्राहक      जो ठहरे .कुल मिला के बीस पचीस अखबार लोकल व् कभी कभी ऑनलाइन वाले भी और नेशनल भी आपको           एप्रोच करेंगे ,हर महीने दो तीन चार अखबार अपना कोई तीज त्यौहार या कैसा भी  परिशिष्ठ निकालेंगे और          आप को उसमे  अपना शुभ कामना विज्ञापन देना होगा ,और यदि आपने किसी को विज्ञापन देने से मना कर          दिया तो अगली बार आपका प्रेस नोट आपके मुंह पे दे मारेंगे .एक आध महाशय आपको धमकाएंगे कि वे आपके     खिलाफ कोई स्टोरी भी प्लांट कर सकते है जिस से आपकी इमेज मिटटी में मिल सकती है .आप उसे भी डील कर     ही लेंगी .फिर पत्रकारों में से कोई भला मानुस आपका प्रेस नोट पकड़ेगा ही नहीं और साफ़ बता देगा कि हम फलां     के समर्थक हैं इसलिए प्रेस नोट लेंगे भी नहीं .कुछ वास्तव में आपका उत्साह बढ़ा ही देंगे अच्छी ख़बरें छाप कर       चाहे उनकी गिनती कम होगी पर वो मिलेंगे ज़रूर .पत्रकार बंधू गाहे बगाहे चाय पीने आ सकते हैं और ऐसा भी         होगा कि कभी वह आपकी प्रेस कांफ्रेंस का बाईकाट कर के चलते बने जब तक आप माफ़ी न मांग ले क्यूंकि हो       सकता है आप अपने कार्यकर्त्ता को चाय पहले पूछ ले और उन्हें कहना या पानी पिलवाना भूल जाएँ ,या हो सकता     है कभी अनजाने में आप उन्हें नमस्ते न बुला पाई हूँ कहीं और मगन हों और उनकी अनदेखी हो गयी हो -मीडिया     की नाराजगी की सम्भावना पग पग पर मिलेगी ,एक आध प्रदेश स्तरीय पत्रकार महोदय आपकी मीडिया मैनेज         करने के लिए आगे आ कर आपकी मदद की पेशकश कर सकते हैं ,सारे प्रदेश में आपकी प्रेस कवरेज करने हेतु        और अखबारों में निरंतर छापते रहने के आश्वासन के साथ एक मुश्त राशि या मासिक राशि पर आपको विचार         करना पड सकता है ,पर आप तो ठहरी आम औरत तो आपके लिए यह मुश्किल होगा ,धीरे धीरे आप अखबारों के       पन्नो से गायब हो जाएँगी और विरोधी प्रचार तेज़ी पकड़ेगा कि आप ने सियासत को रामराम कह दी है .ऐसे में      आपके कार्यकर्ता सूचना लायेंगे कि अमुक नेता ने मीडिया को प्रेस वार्ता के बाद एक एक सोने की चेन व् घड़ी दी     अंग्रेजी दारू से विदेशी ब्रांड की दारू व् नियमित पार्टी की चर्चा होने लगेगी -आप ये भी नहीं कर पाएंगी और खुद       कोशिश करेंगी की चलो हफ्ते पन्द्रह दिन में कोई तो खबर लगा दे की मैं जिन्दा हूँ भाई -पर चुनाव आते आते आप      अखबार से पूरी तरह लुप्त हो जाएँगी डायनासोर की किसी प्रजाति की तरह .कि जैसे आप हैं ही नहीं धरती पर -        आप अकेली बैठ कर अखबार से पूछेंगी इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई 



 .   12 -आप को  अपने कार्यकर्ताओं की भर्ती से  ट्रेनिंग तक आपको खुद करनी होगी ,आपको सुभ छार बजे से रात       बारह या एक बजे तक का समय काम करते रहना होगा .आपको अपनी टीम का मनोबल बढ़ाये रखने में व्         कार्यकर्ताओ के आपसी द्वेष मिटने के लिए अनथक प्रयास करने होंगे,कोई रूठ के घर बैठ जायेगा एक को मनाएगी       दूसरा रूठ जायेगा ये सिलसिला चलेगा ,कार्यकर्ताओ की आपसी सर फूटोव्वल भी आप देखेंगी 

1          13 -आपका चाहे घर की ईंटें बिक जाए पर प्रचार यही होगा की फलां नेता ने आपको पैसे दे कर फलां  नेता का काम    खराब करने के लिए प्लांट किया है और आपको खुला धन कहीं ऊपर पार्टी से मिल रहा है सो इसे लूट सको तो लूट    लो

         14  - अगर आप इतना कर पा रही होंगी तो आपकी उस सीट के लिए दावेदारी सपष्ट दिखने लगेगी और जनता आपको    ध्यान से जांचने लग जाएगी और आपके विरोधी नीचतम प्लानिंग में जुट जायेंगे

      तीसरा चरण

1     1-   आपको विरोधी नेताओ द्वारा कार्यकर्ताओ के माध्यम से किसी बड़े काल गर्ल रैकेट की सरगना के रूप में प्रचारित किया जाएगा और आपको मुक्त सेक्स की पक्षधर बताया जाने लगेगा

2     २-     आपके अश्लील पोस्टरर जनता में लगाये जायें और  रैलोयों में बंटवाए जायें ऐसी सम्भावना बनेगी

3      3 -  आपकी हम नाम हम शकल को ढूँढा जायेगा और उन्हें पूर्व नियोजित तरीके से अवैध काम करते हुए पकडवाया जायेगा और अखबार आपकी हम नाम की उक्त खबर छापेंगे और आपके विरोधी इसे आपकी खबर बता कर जनता व् दूरस्थ कार्यकर्ताओ को भ्रमित करेंगे

4     4-     आपके नाम से किसी महिला द्वारा शहर के प्रतिष्टित लोगो को अभद्र भाषा में फोन करवाएं जायेंगे जिस से आप की साख गिराई जायेगी प्रभावशाली लोग आपसे मिलने में कतरायेंगे और दूरी बनाने का प्रयास करेंगे –अब in सब से भी आप को खुद निबटना पड़ेगा बताने के लिए वह मैं नहीं थी भाई मेरा ऐसा कोई फोन नहीं है

5      5-    लोग अजीबो गरीब पेशकश ले कर आने लगेंगे धन उगाही और कमाई सम्बन्धी जिन्हें आप को चतुराई से निकालना होगा

6      6-    आपके घर में चोरी का सामान रख उसकी चोरी की बरामदगी भी दिखाई जा सकती है जिसमे आपक पति देवर जेठ भाई सब चोर बताये जा सकते हैं

7       7-  आपकी गाडी में कोई प्रेम से लिफ्ट ले कर बैठेगा और सोने के या ड्रग्स के अवांछित पैकेट छोड़ जायेगा और पुलिस नाके से कुछ देर पहले छोड़ जायेगा ताकि आप पकडे जाएँ –सावधान

8       8-   आपके राजनैतिक दौरों के दौरान आपकी गाडी के पहियों के नट कोई निकाल देगा और फिर से कवर चढ़ा देगा –इश्वर आपके साथ होगा तो गाडी की आवाज आप पहचान् जायेंगे और एकदम हाईवे पर आप तेज नहीं भगायेंगे बच जायेंगे

9      9-  आपको टेलीफोन पर धमकियाँ मिलेगी आपके बच्चो और परिवार को उठाने की धमकियाँ और आपको उठा ले जाने के धमकिया आम होंगी लोग अज्ञात होगे अलग अलग फोन होंगे और कभी प्राइवेट नंबर से भी ,पहले से काल ट्रेसर व् काल रिकॉर्डर ऐप्स फोन में लगा ले

1      10 - आपके समर्थको को गाहे बगाहे पीटा जायेगा और जिस पर आप अधिक आश्रित हो उसकी टांग की हड्डी या हाथ की हड्डी तो ज़रूर तोड़ दी जाएगी कोई उनसे झगडा करेगा बेवजह चाहे पार्किंग करने पर हो जाये चाहे कुहनी लगने पर

           11-   दुसरे नेताओ के समर्थक आपके समर्थको को गाहे बगाहे बड़े बड़े अस्त्र शस्त्र गोली बंदूके दिखायेंगे सार्वजनिक सांझे मंचो पर आपके समर्थको को कडवी लुक से डराने का प्रयास करेंगे

          12 -   कभी कभी कोई सजायाफ्ता मुजरिम परोल पर आ कर आपसे मिलने आयेंगे या कभी वे किसी का सन्देश लायेंगे की माहोल ख़राब है आपकी चिंता करते है इसलिए आपको बताने आयें है(उनका मकसद आपको डराना ही होता है )

1        13 -  कुछ गुंडे टाइप  लोग आपके दफ्तर घर के गिर्द गश्त बढ़ा देंगे
(इन सब का असर ये होगा कि आपके परिवार वाले माँ बाप पति बच्चे सब डरने लग जायेंगे वे सब आपको अपने प्यार त्याग का वास्ता दे कर लौटने को दबाव बनाने लगेंगे ,आप से बात करना बंद कर देगे ताना कशी करेंगे घर में हो रही किसी भी अप्रिय घटना का आपको जिम्मेदार ठहराने लगेंगे .आपके दिमाग से राजनीति  का भूत  निकालने के लिए साम दाम दंड भेद सब आजमायेंगे बाबा फ़कीर धागा ताबीज व्रत आदि सब आजमाए जायेंगे हद तो तब होगी जब आपसे आपके ही  बच्चो के जीवन की भीख मांगने के लिए भावुक अपीलें जारी की जाएँगी .आपके माता पिता और सगे सम्बन्धी इक्कठे हो कर आप को समझायेंगे की देखो बिटिया यह तो बड़े पैसे वालो का काम हैं या बेशर्मो का .प्रभावशाली लोग पैसे वाले स्थापित लोग तुम्हे भला क्यूँ आगे आने देंगे इतियादी इत्यादि )


14 – अब हो सकता है आपके धन उपार्जन के सभी स्त्रोत एक एक कर बंद होने लग जाएँ आपके पति या  पिता का तबादला दुसरे शहर में हो जाए या उनकी नौकरी पर बन आये

1          15 -    कुछ निवेशक टाइप लोग बिना मांगे  जबरदस्ती आपकी सामजिक जलसों की ज़रूरत पूरी करने लग जायेंगे         बिन मांगे इन्वर्टर जनरेटर कूलर सब लगवा जायेंगे लाख मन करो पर बहन बहन जी कर के सब रखवा जायेंगे (       यदि आपका कुछ न बना तो बाद में यही लोग सब वापिस मांग कर ले जायेंगे खुद नहीं आयेंगे किसी और के हाथ      मंगवाएंगे या दूकान वाला ही पेमेंट मांगने आएगा  )


      चौथा चरण

    इतना सब अनुभव हो जाने पर भी यदि आप अपनी दावेदारी पर डटी रही और अपनी दावेदारी जताती रही तो         निश्चित है की अब आपको लोग उचित प्रत्याशी मानने लग जायेंगे और विरोधी की बातो में न आ कर आपकी बात      ध्यान से सुनेंग  इतने पर विरोधी तो अपना काम बंद नहीं करंगे न .

1             1- आपके विरोधी प्रतिद्वंद्वी आपके जातिगत सामाजिक आंकड़े इक्कठा कर यह सिद्ध करेंगे की आप की दावेदारी नहीं      बनती,आप हर जगह बाहरी प्रत्याशी ही रहेंगी ससुराल चुन लो या मायका या अपने पसंदीदा कोई हलका 

2        २-  आपकी सार्वजनिक खिलाफत होगी परस्पर नारा युद्ध देखेंगी आप जलसों में ,

3         3 - आपके विरोधी लामबंद होंगे व् उनकी बैठको का और आपके विरोध का खर्च बढेगा यानि आपके विरोधी आप की      खिलाफत में और निवेश करेंगे .

4        4-   आपके खिलाफ बसे भर भर लोगो को पार्टी दफ्तर भेजा जायेगा जो कहेंगे की वहां आपका कोई जन आधार नहीं

5        5- पार्टी के  बड़े नेताओ के कान भरे जायेंगे की आप उनके नाम का दुरूपयोग कर लोगो को बहका रही रही या आप        उक्त बड़े नेता के संग अपने  अन्तरंग किस्से उछाल  रही हो और उनकी बदनामी कर रही हो

6       6-   पार्टी के संगठन में आपको कमजोर और सीट ख़राब करने वाली प्रत्याशी बता के पूरी लोबिंग की जायेगी
7-              हाँ आपकी स्थानीय घटिया अफवाहे अब क्षेत्रीय न हो कर राष्ट्रिय हो जाएँगी राष्ट्रिय स्तर के नेता आपको बिना           मिले नाम से जानने लग जायेंगे चटखारे दार किस्से राजधानी का कुछ दिन मनोरंजन करेंगे .जब तक आप सब        से मिल कर नहीं आयेंगे और अपना पक्ष नहीं रखेंगे तब तक  नेता लोग कानो से ही आपको द्खेंगे,इतने पर भी      कई नेता आपकी बात का भरोसा नहीं करेंगे और कुछ करेंगे 

   7- यहाँ आपकी काबिलियत का आपकी मेहनत का वह लोग कलम ले कर फैसला लिखेंगे जो कभी रण में उतरे ही       नहीं अव्वल दर्जे के दलाल आपके चरित्र वेरीफाई करेंगे सारा जोर आपको नेता से औरत बनाने पर लगा देंगे –

    8- अवसर उन्ही के हाथ हैं जिन्हें प्रारब्ध में राज मिला है (या जनता के पास है जनता भी बरगलाई जाती है  )        भेड़िये तहजीब का आंकलन करेंगे .बस आप अपने आप को  ही लोहा कर ले यह मान की शैतानो के बीच भी कहीं        भगवान मिल सकते हैं इसलिए आस न छोड़े और सामना करें हर हंसी हर उपहास का हर तंज हर त्रास का –          याद रखें आप आम औरत है जो ताकतवर दिखने वाली हर औरत से ज्यादा ताकत वर हैं

   9- हाँ कुछ घिसे पिटे नेता आप के सरंक्षक बन कर आप तक आने लगेंगे वे आपके माध्यम से उनके बुझ  चुके         सियासी तंदूर जलाने के सपने बुनने लगेंगे और सारे सीनियर नेताओ का सियासी पारिवारिक व् व्यक्तिगत बखिया     उधेड़ देंगे आप के सामने और एक से एक घटिया तरीके सुझायेंगे अपनी दावेदारी को टिकट में बदलने के लिए        ,इसलिए इनसे भी सावधान रहें ,आये दिन टीवी पर दिखने वाली नेता शक्लो के असली नकली सभी बेटो भाई           भतीजो भतीजियों से सावधान रहें ,फूंक फूंक कर कदम रखें जूते चाहे जल जाएँ पाँव न जले .

       अगर आप ने यह सब अनुभव कर लिया है तो समझो आप में दम है नेता गिरी का और एक दिन आप सच्ची       दमदार नेता बन कर उभर जाएँगी अगर समय समय पर मिलने वाले शॉक्स से आप उबर गयी तो
     आप  राष्ट्र निष्ठां से दिमाग को चौकन्ना रखते हुए मेहनत करती रहें  आपका भी दिन आएगा यदि आपने इन       सब ऊपर लिखित चरणों का अनुभव पूर्णरूपेण नहीं किया है  तो यकीन जानिये आप किसी के चरणों में है आप         नेता नहीं है क्यूंकि नेता ही इन सब को भुगत कर जन नेता बनता है पार्टी तो जूता चाट को भी विधायक बना       सकती है पर नेता उसे लोग ही बनाते है तपा तपा कर .तपिये और कमर कसिये अनुभव कीजिये 

     विशेष नोट -इतना सब सहन करने के बाद भी कोई साला ये कह सकता है कि इस औरत को  कैसा पार्टी टिकट?      इसकी तो कोई राजनैतिक बैकग्राउंड ही नहीं है और दूसरा कहेगा अबे यार रंडियो को कौन देता है टिकेट " 

     आप मुझे बताइए यह लेख आपको कैसा लगा - मैंने  यह लेख आपके लिए ही  मेरे अपने व् मेरी सहयोगी          समकालीन नेत्रियों के अनुभव के आधार पर लिखा गया है और पूर्णतया सच है अगले लेख में लिखूंगी चुनाव कैसे       लड़ा जाए  -अपने और अपनी राजनेता मित्र महिलाओं के अनुभव सांझा करुँगी किआप चुनाव लडें तो क्या क्या      होगा

    सुनीता धारीवाल जांगिड