शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

ओढ़ लिए हैं
बुर्के मैंने 
आँखों पर
ढक लिया है
दिल भी
छुपा लिया है
मन मतवाला
घूंघट में
वाह 
बढ़ गयी हैं
आसानिया
आह
बढ़ गयी हैं
 उदासियाँ 

सुनीता धारीवाल जांगिड

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