यूँ ही लिखा
ज़रा मेरा हिसाब तो रखना
इकतरफे इश्क़ की किताब में रखना
कितनी रातें जागी मैं
फिर भी रही अभागी मैं
कितने ही दिन तड़पी मैं
कितनी बार तुमसे झड़पी मैं
कितना मर मर जिन्दा मैं
घायल एक परिंदा मैं
कितना तुम को चाहा है
फिर भी कौन सा पाया है
कितने दिन में उदास रही
फिर भी पाने की आस रही
कितने पल तेरा नाम लिया
इक पल भी दिल ने न आराम किया
हर घड़ी आँखे दरवाजे पर
घट घट तेरा इंतज़ार किया
झर झर बहते जज्बात मेरे
हर बूँद से मैंने इजहार किया
कब ऊँच नीच जानी मैंने
बस तुमसे मैंने है प्यार किया
राह मेरी भी आसान कहाँ थी
हर बाधा को मैंने पार किया
साहस है मेरा मैं कहती रही
तुमने न कोई इजहार किया
ये तो मैं हूँ बिन मदिरा बौराई सी
तुम ने था कब कोई जाम दिया
हर बार कही मैंने ही कही
तुमने न कोई पैगाम दिया
तुम आसानी से खाली रह लेते हो
मैंने तो है दिल को सब काम दिया
हिसाब किताब मुझे कब आया कभी
मैंने हर खाता तेरे नाम किया
सुनीता धारीवाल
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