सोमवार, 23 मार्च 2020

यूँ ही लिखा 

ज़रा मेरा  हिसाब तो रखना 
इकतरफे  इश्क़ की किताब में रखना 

कितनी रातें जागी मैं 
फिर भी रही अभागी मैं

कितने ही दिन तड़पी मैं 
कितनी बार तुमसे झड़पी मैं

कितना मर मर जिन्दा मैं 
घायल एक परिंदा मैं 

कितना तुम को चाहा है 
फिर भी  कौन सा पाया है 

कितने दिन में उदास रही 
फिर भी पाने की आस रही 

कितने पल तेरा नाम लिया 
 इक पल भी  दिल ने न  आराम किया 

हर घड़ी आँखे दरवाजे पर 
घट घट तेरा इंतज़ार किया 

झर झर बहते जज्बात मेरे 
हर बूँद से मैंने इजहार किया 

कब  ऊँच नीच जानी मैंने   
बस तुमसे मैंने है  प्यार किया 

राह मेरी भी आसान कहाँ थी 
हर बाधा को मैंने पार किया 

साहस है मेरा मैं कहती रही 
तुमने न कोई इजहार किया 

ये तो मैं हूँ  बिन मदिरा बौराई सी
तुम ने था कब कोई जाम दिया 

हर बार कही मैंने ही कही 
तुमने न कोई पैगाम दिया 

तुम आसानी से  खाली रह लेते हो 
मैंने तो है दिल को सब काम दिया 

हिसाब किताब मुझे कब आया कभी 
मैंने हर खाता तेरे नाम किया

सुनीता धारीवाल

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