बदरी बाबुल के अंगना जइयो
जइयो बरसियो कहियो
कहियो कि हम हैं तोरी बिटिया की अँखियाँ
बदरी बाबुल के अंगना जइयो . . .
मरुथल की हिरणी है गई सारी उमरिया
कांटे बिंधी है मोरे मन कि मछरिया
बिजुरी मैया के अंगना जइयो
जइयो तड़पियो कहियो
कहियो कि हम हैं तोरी बिटिया कि सखियाँ
बदरी बाबुल के अंगना जइयो . . .
अब के बरस राखी भेज न पाई
सूनी रहेगी मोरे वीर की कलाई
पुरवा भईया के अंगना जइयो
छू-छू कलाई कहियो
कहियो कि हम हैं तोरी बहना की राखियाँ
कुँवर बेचैन जी की कविता
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