आज तक हरे थे
अभी कहाँ भरे थे
पावँ के छाले
सब देखे भाले
खूब संभाले
मैं अंग अंग रिसीे थी ।
कुचली थी और पिसी थी
मरहम से लगे तुम
सो लगा लिया
बिन सोचे समझे
आज मरहम हटाई है
तल में दर्द दुहाई है
जो गहरे थे कहाँ भरे है
जख्म तो अपने हरे भरे है
बाकि फिर कभी
@sd
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