सोमवार, 23 मार्च 2020

वो बरगद सा खड़ा रहा
 मैं  कुसुम लता सी लिपट गई 
वो बारह मासा वही रहा 
मैं इक पतझड़ में निपट गई

सुनीता धारीवाल

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