पागलपन वाला प्यार
वो तो मुझे हुआ था
उस ने तो बस
छुआ था मुझे
मेरे आग्रह करने पर
उसके पैरों में जंजीरे थी
और मैं
उड़ना चाहती थी
उसका हाथ पकड़ कर
सात आसमानों में
जो हो नही सकता था
उसे जंजीरों से प्यार था
और मुझे उस से
वह वहीं रहा
मैं आगे बढ़ गई
थोड़ी सी वहीं रह गई
उसी के पास
बाकी जो थी
वह चल दी थी
भीड़ के पीछे
कहीं भी नही जाने को
बस चल रही थी
रेंगते हुए
उड़ने का ख्याल भी
पांव के छालों में
घुल कर पीड़ा देता है
अब नही होता
उड़ना चलना और रेंगना
अब तो बस बैठ गई हूं
सड़क के एक किनारे
सड़क चल रही है
मैं नही
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