सोमवार, 30 मार्च 2020

वहां सुकून का झोंका
 बड़ा अच्छा था
चाहे घर मेरा वहां 
अभी तक कच्चा था
मेरे अपनो ने जो
 घोंपा था छुरा वो भी सच्चा था
तूफानों से जूझने का 
मेरा हुनर भी तो अभी बच्चा था
आज भी है उस शहर से 
है मेरा करीबी नाता
जहां मैंने जाना
 रिश्तों को बनाना
हर हाल निभाना
जहां मैंने जाना 
मेरी ताकत क्या है
अकेली औरत को रहने 
में है आफत क्या 
नारी हठ से जो मिलती है 
वो है ताकत क्या

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